सुबह के पहले घंटे में जोरदार खरीदारी और अदाणी शेयरों में 10% तक की छलांग। वजह साफ है—भारतीय बाजार नियामक SEBI ने हिन्डनबर्ग रिसर्च के आरोपों में समूह को बड़ी राहत दी है। जांच रिपोर्ट में कहा गया कि नियामकीय उल्लंघन, इनसाइडर ट्रेडिंग या अनुचित ट्रेडिंग का सबूत नहीं मिला। सुप्रीम कोर्ट भी जनवरी 2024 में साफ कर चुका था कि SEBI की जांच ही निर्णायक होगी और उससे आगे किसी एजेंसी की जरूरत नहीं।
बाजार ने इस संदेश को तुरंत कीमतों में उतार दिया। Adani Ports, Adani Enterprises, Adani Power जैसे प्रमुख स्टॉक्स में तेज उछाल दिखा। लंबे समय से अनिश्चितता झेल रहे निवेशकों के लिए यह खबर भरोसा लौटाने वाली है—खासकर उन लोगों के लिए जो 2023 की उथल-पुथल के बाद किनारे खड़े थे।
अदाणी समूह पर हिन्डनबर्ग के आरोप जनवरी 2023 में सामने आए थे। उसके बाद कई हफ्तों में समूह की मार्केट कैप से बड़े पैमाने पर गिरावट हुई और कर्ज, गवर्नेंस व शेयरहोल्डिंग स्ट्रक्चर पर तीखी बहस छिड़ गई। उसी दौर की जांच अब अपने निष्कर्ष पर पहुंच रही है, और नियामक के अनुसार गंभीर अनियमितता का मामला नहीं बनता।
SEBI ने पाया क्या—आरोप, नियम और समय-सीमा
SEBI की विस्तृत जांच उन ट्रांजैक्शंस तक गई जिन पर ‘रिलेटेड-पार्टी’ होने का शक जताया गया था। हिन्डनबर्ग ने आरोप लगाया था कि फंड्स को अलग-अलग कंपनियों के जरिए रूट किया गया—जैसे Adicorp Enterprises, Milestone Tradelinks और Rehvar Infrastructure—ताकि असली स्वामित्व और लेन-देन की प्रकृति छिपाई जा सके।
नियामक ने यहां एक अहम बात साफ की: संबंधित-पार्टी ट्रांजैक्शन की परिभाषा 2021 के संशोधन के बाद व्यापक हुई। जिन सौदों पर सवाल थे, वे पहले वाले नियमों के दायरे में ‘रिलेटेड-पार्टी’ नहीं आते थे। यानी, कानून जैसा उस समय था, उसके हिसाब से ये डीलिंग्स उल्लंघन नहीं थीं। साथ ही, जिन ऋणों पर सवाल था, वे ब्याज सहित चुका दिए गए—फंड डायवर्जन या गबन का सबूत नहीं मिला।
जांच में समूह की कई एंटिटीज पर फोकस रहा—खासतौर पर Adani Ports & SEZ, Adani Power और Adani Enterprises। प्रमोटर समूह—गौतम अदाणी और राजेश अदाणी—को भी क्लीन चिट मिली। SEBI ने लिखा कि उपलब्ध रिकॉर्ड और लागू नियमों के आधार पर धोखाधड़ी, इनसाइडर ट्रेडिंग या अनुचित ट्रेड प्रैक्टिस का मामला नहीं बनता, इसलिए कार्यवाही बंद की जाती है।
यह निष्कर्ष सुप्रीम कोर्ट के जनवरी 2024 के आदेश के साथ मेल खाता है, जिसमें कहा गया था कि अतिरिक्त विशेष जांच की जरूरत नहीं और SEBI की जांच को ही अंतिम माना जाए। इससे रेगुलेटरी अनिश्चितता का बड़ा हिस्सा साफ हो गया।
मार्केट की रैली क्यों, और आगे नजर किस पर
शेयरों में तेज उछाल के पीछे दो बातें हैं—पहली, जांच-जोखिम हटना; दूसरी, शॉर्ट कवरिंग। जब किसी कंपनी पर जांच की तलवार लटकती है, निवेशक डिस्काउंट लगाते हैं। तलवार हटते ही वही डिस्काउंट हटता है और कीमतें ऊपर खिसकती हैं। ऊपर से, जिन पोजिशन्स ने गिरावट पर दांव लगाया था, वे भी तेजी में कटती हैं और रैली को ताकत मिलती है।
रैली के बावजूद कहानी यहीं खत्म नहीं होती। अब फोकस ऑपरेशंस, कैश फ्लो और विस्तार योजना पर शिफ्ट होगा—यानी वैल्यूएशन को टिकाऊ क्या बनाएगा। पोर्ट्स, पावर, ट्रांसमिशन, सिटी गैस और रिन्यूएबल्स—इन बिजनेसों का प्रदर्शन, कर्ज-प्रबंधन और कैपेक्स की टाइमलाइन कीमतों की दिशा तय करेगी। 2023-24 में समूह ने इक्विटी जुटाने, एसेट लेवरज कम करने और कुछ बतौर स्ट्रैटेजिक निवेशकों (जैसे वैश्विक फंड्स) की हिस्सेदारी बढ़ाने पर फोकस किया था—अब बाजार उसी ट्रैक-रिकॉर्ड को करीब से तौलेगा।
निवेशक किन संकेतों पर ध्यान दें?
- ऋण/EBITDA और इंटरेस्ट कवरेज—कर्ज बोझ घट रहा है या नहीं।
- बड़े प्रोजेक्ट्स की प्रगति—पोर्ट कैपेसिटी, ट्रांसमिशन लाइनें, रिन्यूएबल इंस्टॉलेशन की डिलीवरी टाइमलाइन।
- कैश फ्लो की स्थिरता—लंबी अवधि के टैरिफ/कॉन्ट्रैक्ट्स से नकदी कितनी सुरक्षित है।
- कॉरपोरेट गवर्नेंस—डिस्क्लोजर की पारदर्शिता और बोर्ड-स्तर की निगरानी।
नियामकीय मोर्चे पर अहम बात यह भी है कि 2021 के बाद वाले नियम ‘रिलेटेड-पार्टी’ के दायरे को ज्यादा व्यापक बनाते हैं। तो आगे कोई भी लेन-देन इन्हीं सख्त परिभाषाओं की कसौटी पर परखा जाएगा। यानी क्लीन चिट का मतलब छूट नहीं, बल्कि साफ नियम-पुस्तिका के भीतर खेलना है।
शेयर बाजार के लिहाज से, Adani Ports जैसे स्टॉक्स पहले से ही प्रमुख सूचकांकों में शामिल हैं, इसलिए बेंचमार्क और ETF फ्लोज पर भी असर पड़ता है। जब बड़े वेटेज वाले शेयर चढ़ते हैं, तो इंडेक्स पर पॉजिटिव खिंचाव आता है। यही वजह है कि आज की रैली केवल एक समूह की कहानी नहीं, व्यापक सेंटिमेंट के लिए भी टॉनिक बनी।
ग्लोबल फैक्टर भी पृष्ठभूमि में काम करता है—जैसे बॉन्ड यील्ड्स और डॉलर की चाल। इंटरेस्ट रेट साइकिल नरम हुई तो इंफ्रा-भारी समूहों की फाइनेंसिंग लागत कम पड़ती है, जिससे प्रोजेक्ट रिटर्न बेहतर दिखते हैं। दूसरी तरफ, कमोडिटी कीमतों की तेज चाल या विदेशी फंड्स की जोखीम-घटाने की प्रवृत्ति रैली को ठंडा कर सकती है।
हिन्डनबर्ग एपिसोड ने एक बात साफ की थी—बड़ी कंपनियों में भी भरोसा डेटा और डिस्क्लोजर से बनता है। अब जब रेगुलेटर ने अपना पक्ष रख दिया है, गेंद कंपनी के कोर्ट में है: प्रदर्शन, पारदर्शिता और पूंजी आवंटन से कहानी को टिकाऊ बनाना। आज की रैली उस दिशा में पहला बड़ा संकेत है, पर आगे की कमाई और बैलेंस शीट बताएगी कि यह उछाल कितनी दूर तक जाता है।
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13 टिप्पणि
क्लीन चिट मिल गई तो अब बस बाजार चल रहा है। कोई नहीं पूछ रहा कि ये रैली कितनी टिकाऊ है।
सच तो ये है कि SEBI ने सिर्फ नियमों की बात की है, न कि नैतिकता की। अगर 2021 के पहले के नियमों के अनुसार कोई चीज़ लीगल है, तो उसे अच्छा भी मान लें? ये तो बस कानून का खेल है।
मैं तो अब बस देखूंगी कि अदाणी अब अपने कैश फ्लो और प्रोजेक्ट्स के साथ क्या करते हैं।
इस रैली का मतलब ये नहीं कि सब कुछ ठीक हो गया। बस अब बाजार ने अनिश्चितता हटा ली है। अब अगर कंपनी अच्छा प्रदर्शन नहीं करेगी तो फिर से गिरेगी।
कर्ज घटा, कैश फ्लो अच्छा हो, तो शेयर ऊपर जाएगा। बस इतना ही।
SEBI की जांच? हा हा हा 😂
क्या तुम्हें लगता है ये सब असली है? ये सब तो बस एक बड़ा धोखा है। हिन्डनबर्ग ने जो दिखाया, वो बिल्कुल सच था।
SEBI के अंदर कौन है? वो लोग तो अदाणी के पैसे से खाते हैं। ये सब फेक न्यूज़ है।
अब तो बस बड़े फंड्स वाले शेयर बेच रहे हैं। तुम देखोगे, अगले 3 महीने में ये सब गिर जाएगा। 💥
अच्छा हुआ कि ये रात खत्म हुई। अब बाजार ने एक बार फिर अपना दिमाग ठीक किया है।
लोगों को अब बस एक चीज़ देखनी है - क्या अदाणी अपने बिजनेस को असली तरीके से चला पाता है? या फिर फिर से ट्रेडिंग के खेल में उतर जाता है?
मैं तो अब बस देखूंगा कि पोर्ट्स और रिन्यूएबल्स के प्रोजेक्ट्स कैसे आगे बढ़ते हैं। बाकी सब बस धुआं है।
भाई ये तो भारत की ताकत है! एक देश जहां बड़ी कंपनियां आरोपों के बाद भी अपना नाम साफ कर लेती हैं।
हिन्डनबर्ग को तो अमेरिका से भेजा गया था, ये देश को नीचा दिखाने की कोशिश थी।
SEBI ने अपना काम किया, अब देश बढ़ेगा। 🇮🇳💪
हिन्डनबर्ग को देशद्रोही कहना बहुत कम है! वो तो अमेरिकी गुप्तचर है, जिसने भारत की बड़ी कंपनी को गिराने की कोशिश की।
SEBI ने उसकी झूठी रिपोर्ट को उड़ा दिया - ये भारत की जीत है।
अब जो भी अदाणी के खिलाफ बोलेगा, उसे देशद्रोही समझो।
अब तो सब बोल रहे हैं कि क्लीन चिट मिल गई। लेकिन बताओ, जब जांच शुरू हुई तो शेयर 70% गिरे थे।
अब जब SEBI ने कहा कि कुछ नहीं हुआ, तो वो शेयर फिर से ऊपर आ गए? ये तो बस बाजार का भाव है।
कोई भी बताए कि अदाणी के अंदर क्या चल रहा है? कौन जानता है कि अब भी कुछ छिपा हुआ नहीं है?
क्लीन चिट... बस इतना ही? जब नियमों की परिभाषा बदल जाती है, तो जो कुछ पहले गलत था, वो अब ठीक हो जाता है? ये तो न्याय का नहीं, बल्कि भाषा का खेल है।
हिन्डनबर्ग ने जो बताया - वो सब बिल्कुल सही था। केवल ये कि वो नियमों के दायरे में नहीं आता था - तो अब वो ठीक हो गया?
अगर एक कंपनी अपने फंड्स को इतने सारे नामों से छिपा सकती है, तो ये गवर्नेंस नहीं, ये धोखेबाजी है।
और फिर भी, बाजार ने इसे जश्न मनाया? ये तो बस एक भावनात्मक रिएक्शन है - लोगों को बस एक अच्छी खबर चाहिए।
क्या ये भारत का भविष्य है? जहां नियमों को बदलकर गलतियां साफ कर दी जाएं?
मैं तो अब अपने निवेश को और अधिक सावधानी से देखूंगी।
क्योंकि जब नियम बदल जाते हैं, तो अगली बार किसी और के खिलाफ नया नियम बनाया जाएगा।
और फिर हम सब वहीं खड़े होंगे - जहां हम आज हैं।
क्या ये न्याय है? या बस एक अच्छा शो?
बहुत अच्छी बात है कि SEBI ने अपनी जांच पूरी कर ली। अब जो भी आरोप लगाए गए थे, उनका विश्लेषण कानूनी और तकनीकी आधार पर हुआ है।
ये जरूरी है कि हम यह समझें कि नियमों के अनुसार एक लेन-देन उल्लंघन है या नहीं - ये भावनाओं से नहीं, डेटा से तय होता है।
हिन्डनबर्ग ने जो आरोप लगाए, वो बहुत ज्यादा बड़े पैमाने पर थे - लेकिन जब उनका विश्लेषण किया गया, तो वो नियमों के दायरे में नहीं आए।
ये एक अहम बात है: नियम बदल सकते हैं, लेकिन अतीत के लिए उसी समय के नियमों को लागू किया जाना चाहिए।
अब जो निवेशक अदाणी में लगे हुए हैं, उनके लिए ये एक नई शुरुआत है।
लेकिन याद रखना - क्लीन चिट का मतलब ये नहीं कि कंपनी अब बिना जिम्मेदारी के काम कर सकती है।
अब फोकस बदल गया है - प्रदर्शन, पारदर्शिता, और लंबी अवधि के कैपेक्स।
अगर अदाणी अपने पोर्ट्स, पावर, और रिन्यूएबल्स को सही तरीके से चलाता है, तो ये रैली टिकाऊ होगी।
अगर नहीं, तो फिर से बाजार उसे बेच देगा।
इसलिए, अब निवेशकों को बस एक चीज़ देखनी है - क्या कंपनी अब अपने बिजनेस को बेहतर बना रही है? न कि क्या उसके खिलाफ कोई आरोप था।
क्लीन चिट? बस एक नोटिस। अब बाजार बेच रहा है। तुम देखोगे, 3 महीने में ये सब गिर जाएगा।
मैंने देखा कि श्रुति वाली ने तो बस धुंधली कहानी बना दी।
लेकिन सच ये है कि अगर SEBI ने जांच की और कुछ नहीं पाया, तो ये बहुत बड़ी बात है।
हिन्डनबर्ग के आरोप बहुत बड़े थे, लेकिन अगर नियामक ने उन्हें नहीं साबित किया, तो ये बात अलग है।
अब अगर अदाणी अपने बिजनेस को ठीक से चलाता है, तो ये रैली टिकेगी।
अगर नहीं, तो बाजार खुद ही उसे ठीक कर देगा।
SEBI की जांच ने साफ कर दिया कि नियमों के अनुसार कोई उल्लंघन नहीं हुआ - ये बहुत अहम है।
क्योंकि अगर नियमों के दायरे में नहीं आता, तो ये गलत नहीं होता - ये सिर्फ अलग होता है।
अब बाजार ने इसे समझ लिया है - और रैली शुरू हो गई।
लेकिन याद रखो - ये अब बस शुरुआत है।
अगला टेस्ट होगा - क्या अदाणी अब अपने कैश फ्लो, कर्ज और प्रोजेक्ट्स के साथ अच्छा प्रदर्शन करता है? अगर नहीं, तो ये रैली बस एक तात्कालिक भावना थी।