हिन्डनबर्ग रिसर्च द्वारा आगामी बड़े खुलासे की आशंका
हिन्डनबर्ग रिसर्च ने भारत के संबंध में एक और बड़े खुलासे की ओर इशारा करते हुए एक संदेश पोस्ट किया है: 'भारत में जल्द कुछ बड़ा।' यह लेख जनवरी 2023 के उस घटनाक्रम से जुड़ा है जब इस शॉर्ट-सेलर फर्म ने अदानी ग्रुप के खिलाफ एक प्रमुख रिपोर्ट जारी की थी, जिसने शेयर बाजार में व्यापक उतार-चढ़ाव पैदा कर दी थी।
उस समय, अदानी ग्रुप को भारी नुकसान झेलना पड़ा था और इसके शेयरों की बाजार मूल्य में $86 अरब की गिरावट आई थी। साथ ही, अदानी के विदेशी सूचीबद्ध बॉन्ड्स की भी बड़े पैमाने पर बिक्री हुई थी। अब, हिन्डनबर्ग रिसर्च का यह नया संकेत उसके अगले बड़े खुलासे की ओर इशारा कर रहा है, जिसमें फिर से भारत का जिक्र है।
सेबी की नई जानकारियाँ
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने अदानी-हिन्डनबर्ग विवाद में नई जानकारियाँ जारी की हैं, जो हिन्डनबर्ग रिसर्च और न्यूयॉर्क हेज फंड मैनेजर मार्क किंगडॉन के बीच के संबंधों को उजागर करती हैं। SEBI के अनुसार, हिन्डनबर्ग ने अपनी अदानी ग्रुप के खिलाफ रिपोर्ट का एक अग्रिम प्रतिलिपि किंगडॉन के साथ उसकी सार्वजनिक रिलीज से लगभग दो महीने पहले साझा किया था। इस कदम ने किंगडॉन को रणनीतिक व्यापार के माध्यम से महत्वपूर्ण लाभ प्राप्त करने में सक्षम बनाया।
सेबी के अनुसार, हिन्डनबर्ग और किंगडॉन कैपिटल मैनेजमेंट ने मई 2021 में एक 'रिसर्च एग्रीमेंट' में प्रवेश किया था, जिसके तहत ड्राफ्ट रिपोर्ट साझा की गयी थी, जो जनवरी 2023 में प्रकाशित अंतिम संस्करण के समान थी। रिपोर्ट में अदानी ग्रुप पर 'कॉर्पोरेट इतिहास का सबसे बड़ा धोखा' रचने का आरोप लगाया था, जिसके परिणामस्वरूप अदानी की सूचीबद्ध कंपनियों में से 150 अरब डॉलर से अधिक का बाजार मूल्य गिर गया था।
किंगडॉन कैपिटल की चलक
सेबी की सूचना के अनुसार, किंगडॉन कैपिटल, जिनके पास कोटक महिंद्रा इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड (KMIL) में महत्वपूर्ण हिस्सेदारी है, ने रिपोर्ट द्वारा उत्पन्न बाजार अत्याचार से लाभ कमाया। रिपोर्ट के रिलीज से पहले अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड (AEL) में शॉर्ट पोजिशन स्थापित करने के लिए किंगडॉन कैपिटल ने $43 मिलियन ट्रांसफर किया, और बाद में इन पोजिशनों को $22.25 मिलियन के लाभ से बंद किया।
इसके अतिरिक्त, सूचना में हेज फंड कर्मचारियों और कोटक महिंद्रा इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड के ट्रेडर्स के बीच टाइम-स्टैम्प्ड चैट शामिल हैं, जहाँ अडानी एंटरप्राइजेज के फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट्स की बिक्री के बारे में चर्चा की गई थी।
रिपोर्ट के परिणामस्वरूप शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव
जनवरी 24, 2023 को रिपोर्ट के रिलीज होने के बाद, AEL के शेयर की कीमत में उल्लेखनीय गिरावट आई, जो एक महीने में 59% गिरकर Rs 3,422 से Rs 1,404.85 प्रति शेयर हो गई।
किंगडॉन का बचाव
अपने पक्ष में, किंगडॉन कैपिटल ने कहा कि वह कानूनी रूप से ऐसे रिसर्च एग्रीमेंट्स में प्रवेश करने के लिए अधिकृत थी, जिससे उसे सार्वजनिक रूप से वितरित करने से पहले रिपोर्ट प्राप्त करने और उन पर कार्य करने की अनुमति मिलती थी।
कोटक महिंद्रा बैंक ने किंगडॉन और हिन्डनबर्ग के संबंध के बारे में किसी भी पूर्व जानकारी या मूल्य-संवेदनशील जानकारी के उपयोग में शामिल होने से इनकार किया।
हिन्डनबर्ग की प्रतिक्रिया
हिन्डनबर्ग ने सेबी के आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए नियामक के दृष्टिकोण की आलोचना की, और यह तर्क दिया कि नोटिस फर्म को 'चुप' कराने का प्रयास है।
हालांकि यह खबर अब नई ऊंचाइयों की ओर बढ़ रही है, लेकिन यह देखना होगा कि हिन्डनबर्ग रिसर्च का अगला बड़ा खुलासा क्या होगा और इसका भारतीय वित्तीय बाजार पर क्या प्रभाव पड़ेगा। यह कहानी अभी और जटिल हो सकती है और इसके आगे के विकास का इंतजार रहेगा। दुनिया भर के निवेशक और वित्तीय विशेषज्ञ इस मामले पर नजर बनाए हुए हैं, और आने वाले समय में और भी कई खुलासे हो सकते हैं।
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12 टिप्पणि
ये सब बातें पुरानी हैं। अब कुछ नया लाओ।
ये सब एक बड़ा षड्यंत्र है 😈 जानते हो क्या हो रहा है? अदानी और सेबी दोनों ही एक ही टीम में हैं... और हिन्डनबर्ग को चुप कराने की कोशिश हो रही है! 🤫💣
ये फंड्स तो हमेशा से ऐसे ही चलते हैं। एक तरफ भारत को बदनाम करने की कोशिश, दूसरी तरफ अपना लाभ। अब तक कोई नहीं रोक पाया।
अब ये सब विदेशी बाजार वाले हमारे देश को नीचा दिखाने की कोशिश कर रहे हैं! अदानी को नुकसान पहुँचाने के लिए अमेरिकी फंड्स का इस्तेमाल! भारत जीतेगा! 🇮🇳🔥
इस तरह के मामले में भारत की अर्थव्यवस्था को बाहर से नहीं, बल्कि अंदर से मजबूत करना होगा। हमारे निवेशकों को अधिक जागरूक होना होगा। धीरे-धीरे, लेकिन सही दिशा में। 💪
इस पूरे मामले को देखने के लिए हमें तीन स्तरों पर समझना होगा: पहला, वित्तीय नियमन का तरीका; दूसरा, अंतरराष्ट्रीय हेज फंड की रणनीति; और तीसरा, भारतीय बाजार की संवेदनशीलता। यह एक जटिल नेटवर्क है, जिसमें नियामक, निवेशक और विश्लेषक सभी अपनी भूमिका निभा रहे हैं। यह एक निर्माणात्मक अवसर है कि हम अपने नियमों को और स्पष्ट कैसे बना सकते हैं।
हिन्डनबर्ग? बस एक शॉर्ट-सेलिंग बैंडिट है। किंगडॉन? उसका नाम ही बोल रहा है-किंग ऑफ गैंगस्टर्स। दोनों ने भारत को नीचा दिखाने के लिए एक साथ काम किया।
इस रिपोर्ट के तहत, मूल्य-संवेदनशील जानकारी का उपयोग एक आंतरिक व्यापार का मामला बन जाता है-जिसे नियामक ने अभी तक ठीक से नियंत्रित नहीं किया है। यह एक संरचनात्मक खाई है जिसे भरने की आवश्यकता है।
अब तक के सब कुछ बस एक बड़ा धोखा है... और अगला खुलासा? शायद प्रधानमंत्री के खिलाफ कुछ होगा 😏
क्या हम वाकई इस बात पर ध्यान दे रहे हैं कि यह सब किसके लिए है? क्या यह सिर्फ लाभ के लिए है, या फिर सच्चाई के लिए? कभी-कभी हम इस बात को भूल जाते हैं कि वास्तविकता क्या है।
हर बड़ी खबर के बाद लोग डर जाते हैं... लेकिन याद रखो, भारत की अर्थव्यवस्था अभी तक बहुत कुछ झेल चुकी है। ये सब तूफान हैं, लेकिन हम अभी भी खड़े हैं। शांत रहो, और अपने निवेशों को समझो।
SEBI का नोटिस और हिन्डनबर्ग की प्रतिक्रिया दोनों के बीच का अंतर एक नियामक अधिकार के विस्तार और अंतरराष्ट्रीय रिसर्च एथिक्स के बीच के संघर्ष को दर्शाता है। यह एक ग्लोबल फाइनेंशियल गवर्नेंस का मामला है।