नीरज पांडे की 'और कौन दम था' रिव्यु: अजय देवगन और तब्बू की अदाकारी ने लगाया चार चांद

नीरज पांडे की 'और कौन दम था' रिव्यु: अजय देवगन और तब्बू की अदाकारी ने लगाया चार चांद

नीरज पांडे की रोमांचक जासूसी फिल्म 'और कौन दम था' का रिव्यु

भारतीय सिनेमा में नीरज पांडे का नाम बतौर निर्देशक और निर्माता एक विशिष्ट पहचान रखता है। पांडे की नई फिल्म 'और कौन दम था' एक बार फिर दर्शकों को एक रोमांचक सफर पर ले जाती है। इस बार उन्होंने एक gripping स्पाई थ्रिलर पेश की है, जो केवल सिनेमा के जुनूनियों के लिए ही नहीं, बल्कि उन सभी के लिए है जो जासूसी और देशभक्ति से भरी कहानियों का लुत्फ उठाते हैं।

फिल्म की कहानी

फिल्म में अजय देवगन एक सेवानिवृत्त जासूस का किरदार निभा रहे हैं, जिन्हें एक खतरनाक साजिश का खुलासा करने के लिए वापस बुलाया जाता है। उनके साथ तब्बू हैं, जिनका किरदार कहानी में गहराई और रोचकता जोड़ता है। सई मांजरेकर और शांतनु माहेश्वरी भी अहम भूमिकाओं में नजर आते हैं। कहानी नेशनल सिक्योरिटी के इर्द-गिर्द घूमती है, जहां एक साजिश देश की सुरक्षा को खतरे में डालने का काम करती है।

अजय देवगन और तब्बू की दमदार अदाकारी

अजय देवगन ने अपने शानदार अभिनय से इस किरदार को जिंदा कर दिया है। उनकी स्क्रीन प्रजेंस और एक्टिंग का जादू एक बार फिर से देखने को मिलता है। वहीं, तब्बू ने भी अपने किरदार को इतनी गहराई से निभाया है कि दर्शक उनकी व्याख्या से प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकते। सई और शांतनु ने भी अपने-अपने किरदारों को बखूबी निभाया है, जिससे फिल्म की कहानी और भी मजबूत हो जाती है।

निर्देशन और तकनीकी पक्ष

नीरज पांडे के निर्देशन की बात करें तो उन्होंने बतौर निर्देश किसी भी पहलू को अनदेखा नहीं किया। कहानी को ज्यों का त्यों प्रस्तुत करने के लिए उन्होंने प्रत्येक डिटेल पर ध्यान दिया है। उनके निर्देशन में हर सीन की प्लानिंग और एक्ज़िक्यूशन बेहतरीन है। उनके निर्देशन से फिल्म की रफ्तार के साथ-साथ थ्रिल और सस्पेंस भी बनाए रखते हैं।

फिल्म की सिनेमैटोग्राफी भी बेमिसाल है। फिल्म में इस्तेमाल किए गए कैमरा एंगल और विजुअल्स दर्शकों को एक अलग अनुभव देते हैं। एडिटिंग भी बहुत सजीव और सक्षम है, जिससे फिल्म की रफ्तार और जमावट बरकरार रहती है।

एक्शन और सस्पेंस

फिल्म की एक अन्य विशेषता इसके एक्शन सीक्वेंसेस हैं, जो न सिर्फ thrilling बल्कि बहुत ही well-choreographed हैं। लड़ाई के दृश्यों में बढ़िया तालमेल और टेंशन है, जो दर्शकों को सीट से बांधे रखती है। सस्पेंस एलिमेंट भी बहुत अच्छे से ब्लेंड किया गया है, जिससे कहानी में रुचि बनी रहती है।

फिल्म की खूबसूरती

फिल्म 'और कौन दम था' की सबसे बड़ी खूबसूरती इसका विषय है - देशभक्ति। कहानी में यह भावना और विस्तृत है जो दर्शकों के दिल को छू जाती है। थ्रिलर होने के बावजूद, इसमें आत्मीयता और अभिव्यक्ति की गहराई है, जो इसे अन्य फिल्मों से अलग और विशेष बनाती है।

संगीत और बैकग्राउंड स्कोर

फिल्म का संगीत और बैकग्राउंड स्कोर कहानी के मूड को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। म्यूजिक के जरिए दर्शकों के साथ भावनात्मक कनेक्ट बनाता है। वहीं, बैकग्राउंड स्कोर थ्रिल और सस्पेंस को और भी अधिक बढ़ा देता है। यह फिल्म की आत्मा को जीवंत बनाता है।

समग्र अनुभव

कुल मिलाकर, नीरज पांडे की 'और कौन दम था' एक उत्कृष्ट फिल्मों में से एक है, जो दर्शकों को अंत तक बांधे रखने में सक्षम है। जासूसी, एक्शन, सस्पेंस, और देशभक्ति का बेहतरीन मिश्रण इस फिल्म को अवश्य देखने योग्य बनाता है। अजय देवगन और तब्बू की दमदार अदाकारी, शानदार निर्देशन, और बेहतरीन तकनीकी सपोर्ट इस फिल्म को एक 'मस्ट वॉच' बनाते हैं। यदि आप थ्रिलर फिल्मों के शौकीन हैं तो इसे देखना हरगिज न भूलें।

5 टिप्पणि

Swami Saishiva
Swami Saishiva
अगस्त 2, 2024 AT 22:58

अजय की एक्टिंग तो बेस्ट है पर फिल्म का प्लॉट बहुत पुराना है। 2005 की कोई फिल्म याद आ गई। देशभक्ति वाला ड्रामा अब बोरिंग हो गया है।

Swati Puri
Swati Puri
अगस्त 3, 2024 AT 21:06

नीरज पांडे ने इस फिल्म में नैरेटिव डायनामिक्स और थ्रिलर टेंशन को बहुत स्मार्टली मैनेज किया है। अजय के कैरेक्टर का एमोशनल आर्क और तब्बू की सबटेक्स्ट्स ने फिल्म को लिटरेरी डेप्थ दी है। सिनेमैटोग्राफी के लेयर्स और बैकग्राउंड स्कोर का इंटरैक्शन भी एक नए स्टैंडर्ड की ओर जा रहा है।

megha u
megha u
अगस्त 5, 2024 AT 06:26

ये सब फिल्म बनाने वालों का राज़ है ना? देशभक्ति का नाम लेकर लोगों को धोखा देना... असली खतरा तो ये है कि लोग इसे असली समझ बैठे हैं 😒

pranya arora
pranya arora
अगस्त 6, 2024 AT 00:36

कभी-कभी लगता है कि हम फिल्मों में देशभक्ति की बात करते हैं, लेकिन असल में अपने डर और अनिश्चितता को छिपाने की कोशिश कर रहे होते हैं। अजय का किरदार ऐसा ही लगा - जो बाहर से ताकतवर लगता है, अंदर से टूटा हुआ। फिल्म ने उस खालीपन को बहुत सुंदर दिखाया।

Arya k rajan
Arya k rajan
अगस्त 7, 2024 AT 20:23

मैंने फिल्म देखी और बस इतना कह सकता हूँ - अजय और तब्बू की जोड़ी फिर से जादू कर गई। बैकग्राउंड म्यूजिक ने तो मेरी आँखें भर दीं। ये फिल्म बस एक फिल्म नहीं, एक अनुभव है।

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