राहुल गांधी की कंगना राणावत पर टिप्पणी: किसानों के प्रति अपमान सहन नहीं

राहुल गांधी की कंगना राणावत पर टिप्पणी: किसानों के प्रति अपमान सहन नहीं

राहुल गांधी की कंगना राणावत पर तीखी प्रतिक्रिया

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सोमवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सांसद कंगना राणावत के किसानों के विरोध प्रदर्शन पर दिए गए बयानों की तीखी आलोचना की। उन्होंने इसे किसानों के प्रति एक 'महान अपमान' करार दिया। राहुल गांधी ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट X पर अपने विचार साझा करते हुए कहा कि मोदी सरकार की प्रोपगैंडा मशीनरी, जो किसानों को किए गए वादे को पूरा करने में विफल रही है, लगातार किसानों का अपमान कर रही है।

भाजपा सांसद के विवादास्पद बयान

गांधी ने विशेष रूप से भाजपा सांसद कंगना राणावत की टिप्पणियों को केंद्र में रखते हुए कहा कि उनके बयान, जिसमें उन्होंने किसानों को 'बलात्कारी और विदेशी ताकतों के प्रतिनिधि' कहा था, किसानों के प्रति भाजपा की नीतियों और इरादों का एक और उदाहरण है। राहुल गांधी ने कहा कि ये बयान न केवल अस्वीकार्य हैं, बल्कि पूरे देश के किसानों के लिए भी एक गंभीर अपमान हैं, खासकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब के किसानों के लिए।

सरकारी वादों की नाकामी पर कसते निशाना

राहुल गांधी ने ध्यान दिलाते हुए कहा कि किसान आंदोलन की वापसी के दौरान बनाई गई सरकारी समिति निष्क्रिय है, न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर सरकार का रुख स्पष्ट नहीं है, और शहीद किसानों के परिवारों को कोई राहत नहीं मिली है। इसके अलावा, उन्होंने यह भी कहा कि किसानों की चरित्र हत्या जारी है और मोदी सरकार द्वारा किसानों के साथ किया गया विश्वासघात अपमान और उनकी गरिमा पर हमला करके छुपाया नहीं जा सकता है।

रिपोर्ट की गई घटना के बारे में राणावत की टिप्पणी

कंगना राणावत ने तब विवाद उत्पन्न किया जब उन्होंने किसानों के विरोध प्रदर्शन के बारे में यह सुझाव दिया कि अगर भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने मजबूती नहीं दिखाई होती, तो स्थिति बांग्लादेश जैसी हो सकती थी। X पर साझा किए एक वीडियो में, राणावत ने आरोप लगाया कि विरोध के दौरान 'लाशें लटक रही थीं और बलात्कार हो रहे थे' और उन्होंने दावा किया कि चीन, अमेरिका और अन्य विदेशी सत्ताएं देश को अस्थिर करने के लिए साजिश के हिस्से के रूप में शामिल थीं।

भाजपा की दूरी बनाने की कोशिश

भाजपा ने राणावत की टिप्पणियों से दूरी बनाते हुए कहा कि उनके बयान पार्टी की राय का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं और उन्हें भविष्य में इस तरह के टिप्पणी करने से बचने का निर्देश दिया। राणावत के इस बयान ने सोशल मीडिया पर भी बहस को जन्म दिया और लोगों ने बड़े पैमाने पर प्रतिक्रिया दी, जिससे उनके बयान की सराहना और निंदा दोनों ही हुई।

किसान विरोध आंदोलन एक बड़ा मुद्दा बना रहा है और नेताओं के बयान इस मामले में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। किसानों की परिस्थितियों को समझना और उनकी समस्याओं का समधान निकालना राजनीतिक दलों के लिए महत्वपूर्ण है। न केवल सरकार को बल्कि विरोधाभासी दलों को भी इस मुद्दे पर संवेदनशीलता से पेश आना चाहिए।

इस पोस्ट पर साझा करें

एक टिप्पणी लिखें

आपकी ईमेल आईडी प्रकाशित नहीं की जाएगी.