आरएसएस क्या है? आसान भाषा में समझें

अगर आप कभी किसी साइट पर "RSS" का आइकन देखते हैं तो सोचते रहें कि यह किस काम का है। असल में RSS एक छोटा कोड होता है जो वेबसाइट के अपडेट को आपके पास लाता है, बिना हर बार साइट खोलने की जरूरत पड़े।

RSS कैसे काम करता है?

जब कोई वेबसाइट नई खबर या ब्लॉग पोस्ट जोड़ती है, तो वह अपना नया कंटेंट एक XML फाइल में रख देती है। यह फाइल आपके RSS रीडर को बताती है कि क्या नया आया। आपका रीडर हर कुछ मिनट बाद इस फ़ाइल को चेक करता है और अगर नया सामग्री मिलती है तो उसे दिखा देता है।

इस प्रक्रिया से आपको सिर्फ एक जगह पर सभी पसंदीदा साइट्स के ताज़ा लेख मिलते हैं। आप किसी भी समय पढ़ सकते हैं, चाहे मोबाइल हो या कंप्यूटर। इसीलिए कई लोग इसे न्यूज़ एग्रीगेटर कहते हैं।

RSS को अपने डिवाइस पर सेट करना

सबसे पहले एक मुफ्त RSS रीडर चुनें—Feedly, Inoreader या कोई ब्राउज़र एक्सटेंशन भी चल जाता है। फिर साइट के RSS आइकन (आमतौर पर नारंगी रंग का) पर क्लिक करें और लिंक को कॉपी करें।

अब अपने रीडर में "Add Feed" बटन दबाएँ, लिंक पेस्ट करें और सब्सक्राइब कर लें। अब से जब भी वेबसाइट नई पोस्ट डालती है, आपका रीडर तुरंत बताता है। आप सेटिंग्स में नोटिफिकेशन टाइम या फ़िल्टर भी बदल सकते हैं।

यदि कोई साइट RSS नहीं देती तो आप एक ऑनलाइन टूल जैसे Feed43 का इस्तेमाल करके खुद की फीड बना सकते हैं। थोड़ा तकनीकी लगता है, पर एक बार सेट हो जाने पर काम आसान हो जाता है।

ध्यान रखें कि सभी वेबसाइट्स अपना RSS फ़ॉर्मेट अलग रख सकती हैं, इसलिए कभी‑कभी फीड नहीं दिखती। ऐसे में सीधे साइट खोल कर देखना पड़ता है या रीडर के सपोर्ट पेज पर मदद लेनी चाहिए।

RSS का बड़ा फायदा यह भी है कि यह आपके डेटा को कम इस्तेमाल करता है। आप बिना विज्ञापनों और ट्रैफ़िक लोड किए सिर्फ टेक्स्ट पढ़ते हैं, जिससे मोबाइल बैटरी बचती है।

सारांश में कहें तो RSS आपको समय बचाता है, सूचना के धारा को व्यवस्थित रखता है और आपके पढ़ने के अनुभव को सटीक बनाता है। आज ही एक रीडर चुनें और अपने पसंदीदा न्यूज़ का फीड सेट करें—आपको पछतावा नहीं होगा।

महाराष्ट्र में भाजपा की हार का कारण अजित पवार की एनसीपी से गठबंधन? आरएसएस समर्थित साप्ताहिक ने किया विश्लेषण

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आरएसएस से जुड़े एक साप्ताहिक 'विवेक' ने महाराष्ट्र में लोकसभा चुनावों में भाजपा के खराब प्रदर्शन का कारण अजित पवार की एनसीपी के साथ गठबंधन को बताया है। भाजपा को केवल नौ सीटें मिलीं, पिछले चुनाव में 23 सीटें मिली थीं। यह विश्लेषण 200 लोगों के सर्वे पर आधारित है, जिसमें पार्टी सदस्यों ने इस गठबंधन की आलोचना की।