दुर्गा – देवी, पूजा और संस्कृति
जब दुर्गा, हिंदू धर्म की वह प्रमुख देवी हैं जो शक्ति और शौर्य का प्रतीक मानी जाती हैं. Also known as महिषासुर मर्दिनी, वह दु:ख, आशा और सुरक्षा के मध्य संतुलन स्थापित करती हैं। दुर्गा का महत्व न केवल धार्मिक अनुष्ठानों में बल्कि भारत की सांस्कृतिक पहचान में भी गहराई से जुड़ा है.
दुर्गा पूजा, दार्जिलिंग और टॉय ट्रेन का जुड़ाव
दुर्गा पूजा, एक वार्षिक उत्सव है जहाँ मां दुर्गा की 10 दिन की पूजा-अर्चना की जाती है विभिन्न राज्यों में अलग‑अलग रिवाज़ों के साथ मनाई जाती है। इस साल दार्जिलिंग में एक नया प्रयोग हुआ – टॉय ट्रेन, छोटे बच्चों के लिए बनाई गई मॉडल रेलगाड़ी है जो दुर्गा के विसर्जन का साकार रूप बन गई. नरिन्द्र नारायण बंगाली हिंदू हॉल पूजा समिति ने इस अनोखे कदम से धार्मिक परम्परा और पर्यटन को नई दिशा दी। यहाँ तीन प्रमुख संबंध स्थापित होते हैं: दुर्गा पूजा, टॉय ट्रेन और दार्जिलिंग – ये सब मिलकर धार्मिक अनुभव को आधुनिक तकनीक के साथ जोड़ते हैं।
दुर्गा के विभिन्न रूपों में शक्ति का अद्भुत चित्रण किया गया है, जैसे महिषासुर मर्दिनी जो बुराई को हराती है। इस शक्ति को समझने के लिए दुर्गा पूजा में गाने, नृत्य और शालीन नृत्य जैसी कलाएँ बुनियादी हिस्सा हैं। दार्जिलिंग जैसे पहाड़ी स्थल में टॉय ट्रेन जैसी नवाचारों को शामिल करना दर्शाता है कि पारम्परिक धार्मिक रीति‑रिवाज भी समय के साथ विकसित हो सकते हैं। साथ ही, हिंदू हॉल पूजा समिति ने यह दिखाया कि स्थानीय समुदाय कैसे बड़े आयोजन को छोटे-छोटे नवाचारों से समृद्ध बना सकता है।
यदि आप दुर्गा से जुड़ी खबरों की खोज में हैं, तो नीचे दी गई सूची में आपको कुशल रिपोर्टिंग, स्थानीय परफॉर्मेंस और राष्ट्रीय स्तर के विश्लेषण मिलेंगे। यहाँ आप देखेंगे कि कैसे अलग‑अलग क्षेत्रों में दुर्गा का सम्मान किया जाता है, किस तरह नई तकनीकें परम्पराओं को नया रूप देती हैं, और कौन‑से सामाजिक‑सांस्कृतिक पहलु अभी चर्चा में हैं। आगे पढ़ें और दुर्गा के विविध पहलुओं को समझें।

Chaitra Navratri 2025: 30 मार्च‑6 अप्रैल, जानें कौन‑सी देवी की पूजा हर दिन
Chaitra Navratri 2025 30 मार्च से 6 अप्रैल तक मनाई जाएगी। यह नौ दिन का उत्सव दुर्गा के नौ रूपों को समर्पित है और कई क्षेत्रों में हिन्दू नववर्ष के साथ जुड़ा है। प्रत्येक दिन अलग‑अलग रंग, उपवास और पूजा विधियाँ अपनाई जाती हैं। नौवें दिन रामनवमी का भी त्यौहार है, जिससे द्वैध खुशी मिलती है। उत्तर भारत में यह खासा धूमधाम से मनाया जाता है।