जगन्नाथ रथ यात्रा – सबको चाहिए यह जानकारी

हर साल लाखों भक्त पुरी में आते हैं ताकि जगन्नाथ जी के रथ को देखकर मन की शान्ति मिल सके। अगर आप पहली बार जा रहे हैं तो इस लेख में आपको सारी जरूरी बातें मिलेंगी, जैसे तिथि, रास्ते और यात्रा के टिप्स.

मुख्य तिथियां और कार्यक्रम

रथ यात्रा का मुख्य दिन ‘आषाढ़ी द्वादशी’ को होता है, जो आमतौर पर जून या जुलाई में पड़ता है। इस दिन रथे में तीन देवता – जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा – शहर के चारों किनारों से निकलते हैं और पुरी के श्मशान तक पहुंचते हैं। यात्रा का अंतिम चरण ‘अंतिम रथ दैव’ कहलाता है जहाँ रथ को समुद्र में विसर्जित किया जाता है.

पर्यटक अक्सर पूछते हैं कि कौन‑से दिन सबसे भीड़भाड़ वाले होते हैं? उत्तर आसान है – द्वादशी और उसके अगले दो दिन, क्योंकि कई पंथी इन दिनों ही यात्रा देखना पसंद करते हैं। अगर आप शांति चाहते हैं तो पहले या बाद के दिन भी जा सकते हैं.

यात्रियों के लिए व्यवहारिक टिप्स

पहला नियम – जल्दी पहुंचें. रथ निकास से पहले भीड़ बहुत तेज़ होती है और रास्ते में धक्का‑मरना आम बात है। एक छोटी सी कलाई बैंड या पैन्ट पहनिए जिससे पहचान आसान हो और खो जाने की चिंता कम रहे.

दूसरा, पानी और हल्का स्नैक्स साथ रखें. सड़कों पर खाने‑पीने के स्टॉल बहुत होते हैं लेकिन कीमतें ज्यादा होती हैं। अपना खुद का बोतल लाएँ, ताकि गरमी में डिहाइड्रेशन न हो.

तीसरा, सुरक्षा को गंभीरता से लें. बड़े भीड़ में जेबों में रखे सामान की देखभाल आवश्यक है। अगर आप कैमरा या मोबाइल ले जा रहे हैं तो उसे हमेशा हाथ में रखें और बैकपैक बंद रखें.

चौथा, स्थानीय परिवहन का प्रयोग करें. पुरी के अंदर ऑटो रिक्सा और टैक्सी आसानी से मिलते हैं, लेकिन भीड़ के कारण बुकिंग पहले कर लें। ट्रेन या बस से आने वाले यात्रियों को ‘जगन्नाथ स्टेशन’ पर उतरना बेहतर रहता है क्योंकि वहाँ से सीधे रथ मार्ग तक पहुंच सकते हैं.

पाँचवा, आध्यात्मिक अनुभव का पूरा लाभ उठाएँ. यात्रा में भाग लेने के दौरान ध्वनि और बंधन की ऊर्जा बहुत प्रबल होती है। अगर आप मन को शांत रखना चाहते हैं तो आँखें बंद कर एक गहरी श्वास लें और अपने भीतर शांति महसूस करें.

अंत में, यदि आपके पास समय हो तो पुरी के अन्य आकर्षण देखना न भूलें – समुद्र तट, ओडिशा की हस्तशिल्प बाजार और मंदिर परिसर। ये सभी जगहें यात्रा को और यादगार बनाती हैं.

जगन्नाथ रथ यात्रा केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा है. सही योजना और छोटे‑छोटे सावधानियों से आप इस अनुभव को पूरी तरह आनंदित कर सकते हैं। तो तैयार हो जाइए, अपनी बैग पैक करें और पुरी के पावन माहौल में डूब जाएँ.

पुरी में भगवान जगन्नाथ की 147वीं रथ यात्रा: एक ऐतिहासिक महोत्सव का शुभारंभ

पुरी में भगवान जगन्नाथ की 147वीं रथ यात्रा: एक ऐतिहासिक महोत्सव का शुभारंभ

पुरी, ओडिशा में भगवान जगन्नाथ की 147वीं रथ यात्रा आरंभ हो गई है। यह 53 सालों के बाद एक दो-दिवसीय समारोह है जिसमें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और लाखों श्रद्धालु शामिल हो रहे हैं। सुरक्षा व्यवस्था के तहत 180 प्लाटून सुरक्षाकर्मी और एआई आधारित सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं।