विदेशी निवेश: भारत में क्या बदल रहा है?
आपने सुना होगा कि विदेशियों का पैसा अब हमारी अर्थव्यवस्था में बड़ी भूमिका निभा रहा है। लेकिन असल में इसका मतलब आपके रोज़मर्रा के फैसलों से कैसे जुड़ा है? चलिए, आसान भाषा में समझते हैं कि विदेशी निवेश की नई लहरें क्या लाएगी और हमें किन बातों पर धयान देना चाहिए।
क्रॉस‑बॉर्डर भुगतान प्रणाली – नया रास्ता, कम लागत
ब्रिक्स देशों ने हाल ही में अपना खुद का क्रॉस‑बॉर्डर भुगतान सिस्टम तैयार किया है। इस सिस्टम से डॉलर की निर्भरता घटेगी और लेन‑देनों की फीस कम होगी। भारत 2026 में इसका नेतृत्व करेगा, इसलिए भारतीय निर्यातकों को अब विदेशी खरीदारों के साथ सीधे सस्ता व्यापार करने का मौका मिलेगा। आप अगर किसी छोटे व्यापारी या स्टार्ट‑अप के मालिक हैं, तो यह सुविधा आपके प्रोडक्ट्स को अंतरराष्ट्रीय मार्केट में लाने की लागत घटा देगी।
सिस्टम कैसे काम करेगा? कल्पना करें कि आप चीन से कोई कच्चा माल खरीदते हैं – पहले आपको डॉलर में भुगतान करना पड़ता था और कई बैंकों के बीच लेन‑देनों में कई दिन लग जाते थे। अब एक ही प्लेटफ़ॉर्म पर, रुपये या स्थानीय मुद्रा में तुरंत ट्रांसफर हो सकेगा। इससे नकदी प्रवाह तेज़ होगा और आपका व्यवसाय तेजी से बढ़ेगा।
टैरिफ और ट्रेडिंग हॉलिडे का असर – जोखिम भी साथ
दूसरी ओर, अमेरिकी राष्ट्रपति के टैरिफ कदमों ने भारतीय बाजार को झकझोर दिया है। आयात पर 26% शुल्क लगा देने से ऑटोमोबाइल और आईटी कंपनियों की लागत बढ़ी। सेंसेक्स जैसे बड़े शेयरों में 300 अंक गिरावट देखी गई, जबकि निफ्टी भी नीचे गया। अगर आप म्यूचुअल फंड या स्टॉक मार्केट में निवेश कर रहे हैं, तो ये बदलाव आपके पोर्टफोलियो को प्रभावित कर सकते हैं।
इसके अलावा, अप्रैल 2025 में BSE और NSE तीन प्रमुख छुट्टियों – महावीर जयन्ती, डॉ. अंबेडकर जयन्ती और गुड फ्राइडे – के कारण ट्रेडिंग बंद रहेगी। इसका मतलब है कि इन दिनों में कोई भी लेन‑देन नहीं हो पाएगा, इसलिए अपनी एंट्री या एक्सिट टाइमिंग को पहले से प्लान करना जरूरी है।
सारांश में, विदेशी निवेश का माहौल दो तरफ़ा है – एक ओर नई भुगतान प्रणाली से लागत कम होगी और व्यापार आसान होगा, तो दूसरी ओर टैरिफ और ट्रेडिंग हॉलिडे जैसी चुनौतियां भी मौजूद हैं। आपका काम है कि इन दोनों पहलुओं को समझकर सही निर्णय लें। चाहे आप खुदरा व्यापारी हों या निवेशक, अपडेटेड जानकारी पर नज़र रखें और अपने वित्तीय प्लान में लचीलापन बनाएं।

पोर्टफोलियो प्रबंधन सेवा मामले में Shares Bazaar को SEBI ने रद्द किया पंजीकरण
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने Shares Bazaar नामक दलाल फर्म का पंजीकरण रद्द कर दिया है। यह कदम तब उठाया गया जब यह फर्म अवैध पोर्टफोलियो प्रबंधन सेवा (PMS) चला रही थी। बार-बार चेतावनी और नोटिस के बावजूद, फर्म ने SEBI के निर्देशों के पालन में विफल रही और अंततः नियामक के संपर्क में भी नहीं रही। इससे निवेशक हितों को सुरक्षित रखने के लिए SEBI की सख्त नीति सामने आती है।