फ़ेडरल रिजर्व का ब्याज दरों पर बड़ा निर्णय
हाल ही में फ़ेडरल रिजर्व ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है जिसमें उन्होंने ब्याज दरों को यथावत रखने की घोषणा की है। यह निर्णय उस समय आया है जब मुद्रास्फीति को लेकर चिंताएँ बढ़ रही हैं और मौजूदा आर्थिक नीतियों के प्रभाव पर ध्यान दिया जा रहा है। वर्तमान समय में अमेरिकी अर्थव्यवस्था ने एक तरह की मजबूती दिखाई है, खासकर बेरोजगारी दर के कम होने के चलते और आर्थिक विकास की मजबूती के कारण। परंतु, मुद्रास्फीति को लेकर आशंकाएँ अधिक हो गई हैं, क्योंकि कीमतों में बढ़ोतरी हो सकती है जो फेड के 2% लक्ष्य को पार कर सकती है।
मुद्रास्फीति की गुत्थियां और नीतियों का संतुलन
फ़ेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पावेल ने इस निर्णय के पीछे की सोच को स्पष्ट किया, जिसमें मुद्रास्फीतकारी दबाव को संभालने के लिए मुद्रा नीति में लचीलेपन का महत्व बताया गया। सरकार ने 2017 में जो कर कटौतियां दीं, उसके प्रभाव को लेकर अलग-अलग धारणाएँ हैं। जहां कुछ लोग इसे वर्तमान मुद्रास्फीति के लिए जिम्मेदार मानते हैं, वहीं नीतियों के समर्थक इसे विकास के लिए आवश्यक मानते हैं। जो भी हो, फेड का यह निर्णय आर्थिक वृद्धि बनाए रखने के साथ मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के बीच संतुलन बनाने का प्रयास है।
उपभोग और औद्योगिक क्षेत्र में बदलाव
अर्थशास्त्री इस समय के उपभोग आंकड़ों पर भी गौर कर रहे हैं। उपभोक्ता खर्च में मजबूत वृद्धि दिखाई देने के बावजूद कुछ क्षेत्रों में विकास की रफ्तार धीमी पड़ रही है। यह आर्थिक वृद्धि की मौजूदा दिशा पर सवाल खड़े करता है। उपभोक्ता खर्च में आई गिरावट और कुछ औद्योगिक क्षेत्रों में धीमापन आने से फेड के लिए अनिश्चितता बढ़ गई है।
आर्थिक पृष्ठभूमि और नीति निर्माताओं की चुनौतियाँ
वर्तमान आर्थिक स्थिति ने नीति निर्माताओं को एक जटिल स्थिति में डाल दिया है। यहाँ पर उन्हें ऐसी नीतियाँ बनानी होती हैं जो आर्थिक वृद्धि को समर्थन दें और साथ ही साथ मुद्रास्फीति के जोखिम को भी नियंत्रित करें। निर्णय लेने वालों को यह चिंता सताती है कि यदि ब्याज दरें बढ़ा दी गईं तो इससे आर्थिक वृद्धि धीमी पड़ सकती है, और यदि बढ़ाई नहीं गईं, तो मुद्रास्फीति नियंत्रण से बाहर हो सकती है। इस संतुलन अधिनियम ने नीति निर्माताओं को एक कठिन स्थिति में डाल दिया है, लेकिन फेड अपनी मुद्रा नीति को बदलने के लिए तैयार है, यदि उत्तेजनाओं की आवश्यकता हो।
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9 टिप्पणि
फेड ने बस इतना कहा कि 'हम देखते हैं'... और फिर घर चले गए। 😅
ये ब्याज दरें यथावत रखने का फैसला असल में एक बहुत ही सूक्ष्म और गहरा निर्णय है। फेड के पास दो बड़े दुश्मन हैं - मुद्रास्फीति और मंदी। अगर वो ब्याज बढ़ा देते तो घरेलू उधार और कंपनियों के लिए ब्याज भारी हो जाता, जिससे निवेश घटता और बेरोजगारी बढ़ती। लेकिन अगर ब्याज नहीं बढ़ाएंगे, तो उपभोक्ता खर्च और बढ़ेगा, जिससे कीमतें और ऊपर उठेंगी। ये संतुलन बनाना एक ऐसा नृत्य है जिसमें हर कदम पर गिरने का खतरा है। और फिर भी, वो इसे अभी तक बरकरार रख रहे हैं - इसका मतलब है कि उनके पास डेटा है जो हम नहीं देख पा रहे।
मुद्रास्फीति के इंडेक्स में फूड और एनर्जी के वेटेज को रिवाइज करने की जरूरत है। अगर हम लोगों के रियल-लाइफ खर्च पैटर्न को देखें - जैसे ऑयल, रेडीमेड फूड, और एजुकेशन - तो ये बेस इंडेक्स बिल्कुल अलग दिखता है। फेड की डेटा सेट अभी भी 2010 की है, जबकि अब अमेरिकी परिवार घर पर खाना बनाने की बजाय डिलीवरी ऐप्स पर निर्भर हैं।
ये सब बकवास है। फेड असल में बैंकर्स के लिए काम करता है। जब तक तुम ब्याज नहीं बढ़ाओगे, तब तक घर और कार के लोन आसानी से मिल जाते हैं। लेकिन जब तुम्हारा बच्चा डिग्री पूरी करता है, तो उसका लोन 100K हो जाता है। ये सिस्टम डिज़ाइन किया गया है कि आम आदमी बेचारा फंसे रहे। 🤡
कभी-कभी मुझे लगता है कि हम अर्थव्यवस्था को एक जीवित चीज़ की तरह देखना भूल गए हैं। ये कोई मशीन नहीं है जिसे आप बटन दबाकर ठीक कर सकें। ये एक जटिल जीव है - जिसके हर हिस्से में दर्द, आशा, और डर है। जब हम ब्याज दरों के बारे में बात करते हैं, तो हम असल में लाखों लोगों के रोज़ के फैसलों के बारे में बात कर रहे हैं - क्या वो बच्चों के लिए नया बस्ता खरीदेंगे? क्या वो डॉक्टर के पास जाएंगे? ये सब नंबर्स के पीछे छिपे हुए इंसान हैं।
मैंने आज सुबह एक छोटे दुकानदार से बात की जो अपनी चाय की दुकान चला रहा है। उसने कहा - 'पिछले 6 महीने में चीनी की कीमत 40% बढ़ गई, लेकिन मैं ग्राहकों से ज्यादा नहीं ले सकता, वरना वो दूसरी दुकान पर चले जाएंगे।' ये है असली अर्थव्यवस्था। फेड के बैठक रूम में जो बातें होती हैं, वो उसके बारे में नहीं होतीं। लेकिन उसकी दुकान के लिए ये ब्याज दरें यथावत रखने का फैसला उसके लिए बचाव है।
PCE deflator अभी 2.8% है, लेकिन core PCE 2.9% - फेड का टारगेट 2% है। फिर भी, लेबर मार्केट टाइट है। अगर वो ब्याज बढ़ाएंगे, तो नौकरी गिरेगी। इसलिए वो वेट एंड सी देख रहे हैं। अगला डेटा जून का CPI है - वहां से ट्रेंड साफ होगा।
तुम सब यहां बहस कर रहे हो कि 'संतुलन' क्या है? ये बस एक झूठ है। फेड ने 2020 में 0% ब्याज दर रखी और 5 ट्रिलियन डॉलर छपाए। अब जब तुम्हारा बच्चा बाहर आया और ब्याज 5% है, तो तुम बोल रहे हो 'हमें संतुलन चाहिए'? ये बस एक चोरी है जिसे आप 'मैक्रोइकोनॉमिक्स' नाम दे रहे हो। अब तुम्हारी बचत नष्ट हो चुकी है।
मैंने गुरुवार को एक आर्थिक विश्लेषक के साथ बात की जो फेड के पुराने डॉक्यूमेंट्स देख रहा था। उसने कहा - 2008 के बाद जब फेड ने ब्याज घटाया, तो उसने एक बार फिर अपने डिसाइशन मैट्रिक्स में एक नया पैरामीटर जोड़ दिया: 'असमानता का असर'। अब वो ये भी देखते हैं कि क्या ब्याज बढ़ाने से गरीब लोगों के लिए ब्याज भारी हो जाएगा या नहीं। ये नई बात है।