मनोज सोनी: UPSC छोड़ अध्यात्म की ओर बढ़ा अनोखा सफर

मनोज सोनी: UPSC छोड़ अध्यात्म की ओर बढ़ा अनोखा सफर

मनोज सोनी का आध्यात्मिक सफर: UPSC छोड़कर साधना की ओर

भारतीय प्रशासनिक सेवाओं के उच्चतम निकाय यूपीएससी के अध्यक्ष, मनोज सोनी, ने अपने कार्यकाल के समाप्ति से पाँच वर्ष पूर्व, अपने पद से इस्तीफा देकर सभी को चौंका दिया है। उन्होंने अपने त्यागपत्र में व्यक्तिगत कारणों का हवाला दिया है, लेकिन उनके इस कदम के पीछे छिपी वास्तविकता उनकी आध्यात्मिक प्रतिबद्धताओं और धार्मिक समर्पण की ओर इंगित करती है।

मनोज सोनी का जन्म और शुरुआती शिक्षा गुजरात में हुई, लेकिन उनका बचपन से ही अध्यात्म और धार्मिक साहित्य की ओर रुचि रही है। यह रुचि धीरे-धीरे व्यापक होती गई और अंततः 2020 में उन्हें 'निष्कर्म कर्मयोगी' (निर्लेप कर्मयोगी) के रूप में दीक्षा प्राप्त हुई। तब से उन्होंने अनूपम मिशन, स्वामीनारायण परंपरा की एक गैर-लाभकारी संस्था, में गहराई से जुड़कर कार्य करना शुरू किया।

अनूपम मिशन और मनोज सोनी

अनूपम मिशन का उद्देश्य स्वामीनारायण के आध्यात्मिक, नैतिक और सामाजिक शिक्षाओं को प्रसारित करना है। मनोज सोनी ने, अपनी कुशल प्रशासनिक क्षमताओं और विद्वतापूर्ण दृष्टिकोण से, मिशन के कार्यों में नया ऊर्जा और दिशा दी है। उनका मानना है कि अध्यात्मिक व्यक्ति को न केवल स्वयं की आत्मा की शुद्धि करनी चाहिए, बल्कि समाज की भलाई के लिए भी कार्य करना चाहिए।

सोनी के इस निर्णय को लेकर कई अटकलें और चर्चाएं होती रहीं, लेकिन उनका कहना है कि यह कदम उनका सच्चा आंतरिक बुलावा था। उन्होंने यूपीएससी के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त की और वहाँ बिताए गए समय की सराहना की। साथ ही उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उनका इस्तीफा आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर के विवाद से किसी भी प्रकार से संबंधित नहीं है।

शिक्षा और प्रशासनिक सफ़र

मनोज सोनी का शिक्षा और प्रशासनिक सेवा में एक लंबा और सराहनीय करियर रहा है। वे तीन बार विश्वविद्यालय के कुलपति रह चुके हैं, पहले महाराजा सयाजीराव यूनिवर्सिटी, बड़ौदा और फिर डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर ओपन यूनिवर्सिटी, गुजरात में। 2017 में वे यूपीएससी के सदस्य बने और 2023 में अध्यक्ष पद की शपथ ली। इस दौरान उन्होंने अपनी विशेषज्ञता और प्रशासनिक क्षमता को दर्शाया है।

समाज के प्रति योगदान

मनोज सोनी के प्रशासनिक करियर और आध्यात्मिक जीवन का संगम, समाज के लिए एक प्रेरणा का स्रोत है। उनका मानना है कि एक सफल और सशक्त जीवन के लिए आध्यात्मिकता और सेवा का गहरा महत्व है। उन्होंने अनूपम मिशन के माध्यम से समाज में नैतिक और आध्यात्मिक जागरूकता फैलाने का संकल्प लिया है।

सोनी का यह निर्णय, यूपीएससी के जिम्मेदारियों को छोड़कर, समाज और युवाओं को नई दिशा देने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। यह दिखाता है कि सच्चे नेतृत्वकर्ता केवल सत्ता और पद के पीछे नहीं भागते, बल्कि अपने आंतरिक संतोष और समाज की सेवा को भी महत्व देते हैं।

भविष्य की योजनाएं

भविष्य की योजनाएं

मनोज सोनी के भविष्य की योजनाएं अनूपम मिशन के साथ उनकी नई यात्रा का हिस्सा हैं। वे अब अपना अधिक समय और ऊर्जा मिशन के कार्यों में लगाएंगे और स्वामीनारायण की शिक्षाओं को व्यापक रूप से प्रसारित करेंगे। उनका लक्ष्य है कि हर व्यक्ति को नैतिकता, अध्यात्मिकता और समाजसेवा का महत्व समझ में आए।

सोनी की इस नई भूमिका से अनूपम मिशन को नया बल मिलेगा और यह समाज में नैतिकता और आध्यात्मिकता के प्रसार में अधिक प्रभावी हो सकेगा। मनोज सोनी का यह कदम समाज में एक नई अलख जलाने का प्रयास है जिसकी जरूरत आज के युग में बहुत ज्यादा है।

9 टिप्पणि

Deepak Singh
Deepak Singh
जुलाई 22, 2024 AT 20:57

इस तरह के निर्णय को समझना ही बहुत कम लोगों को आता है। UPSC का पद नहीं, आत्मा की शांति है जो असली सफलता है। यह बस एक इस्तीफा नहीं, एक जीवन-परिवर्तन है। और इसके लिए उन्हें बहुत-बहुत अभिनंदन।

Rajesh Sahu
Rajesh Sahu
जुलाई 22, 2024 AT 21:40

ये लोग तो हमारे देश के सबसे बड़े अवसरों को छोड़ देते हैं! यूपीएससी का पद तो दुनिया का सबसे कठिन परीक्षा है, और फिर भी अध्यात्म के नाम पर भाग जाते हैं? ये देश के लिए एक बड़ा नुकसान है! और फिर ये स्वामीनारायण वाले भी बस धार्मिक धोखेबाज़ी हैं!

Chandu p
Chandu p
जुलाई 23, 2024 AT 06:21

मनोज सोनी जी का ये कदम बहुत प्रेरणादायक है। 🙏 जब एक इंसान अपने भीतर की आवाज़ को सुनता है, तो वो सिर्फ एक अधिकारी नहीं, एक आध्यात्मिक नेता बन जाता है। अनूपम मिशन को इस तरह के लोगों की जरूरत है। बहुत बढ़िया!

Gopal Mishra
Gopal Mishra
जुलाई 25, 2024 AT 02:48

मनोज सोनी के इस निर्णय में एक गहरा दार्शनिक आधार छिपा हुआ है। वे अपने जीवन को एक नए संरचनात्मक ढांचे में स्थापित कर रहे हैं, जहाँ सेवा और साधना एक ही रेखा पर समाप्त होती हैं। यह एक अनूठा उदाहरण है कि कैसे एक व्यक्ति बाहरी सफलता को छोड़कर आंतरिक अर्थ की खोज कर सकता है। यह निर्णय आधुनिक भारत के लिए एक आदर्श है।

Swami Saishiva
Swami Saishiva
जुलाई 25, 2024 AT 09:03

ये सब बकवास है। UPSC छोड़कर धार्मिक संगठन में जाना? बस एक असफलता को आध्यात्मिकता का नाम दे रहे हैं। इन लोगों को तो नौकरी नहीं मिली, इसलिए अब भगवान का बचाव कर रहे हैं।

Swati Puri
Swati Puri
जुलाई 26, 2024 AT 13:29

इस अंतर्दृष्टि को देखकर लगता है कि नेतृत्व का वास्तविक अर्थ संस्थानों के शीर्ष पर बैठने में नहीं, बल्कि उन संस्थानों को बदलने में है जो आत्म-अभिव्यक्ति और सामाजिक चेतना को प्राथमिकता देते हैं। उनकी आध्यात्मिक व्यवस्था एक स्थायी नैतिक इंफ्रास्ट्रक्चर की ओर इशारा करती है।

megha u
megha u
जुलाई 27, 2024 AT 00:50

अरे ये सब फेक है। यूपीएससी के अध्यक्ष बनकर अचानक धार्मिक मिशन में चले गए? बस कोई बड़ा स्कैंडल छिपा हुआ है। और ये स्वामीनारायण वाले तो हमेशा से ही अपने पैसे के लिए बातें करते हैं। इन्हें जांचो ये सब कैसे चल रहा है। 😒

pranya arora
pranya arora
जुलाई 28, 2024 AT 07:44

क्या हम सच में इतने जल्दी निष्कर्ष निकालते हैं? एक इंसान का जीवन एक रेखा नहीं, एक वृत्त है। उन्होंने जो चुना, वो उनके अनुभवों का परिणाम है। हमें उनके निर्णय को नहीं, उनके अंदर के संघर्ष को समझना चाहिए।

Arya k rajan
Arya k rajan
जुलाई 28, 2024 AT 12:29

मैं इस बात से बहुत प्रभावित हुआ हूँ कि एक इंसान अपने जीवन के सबसे ऊँचे बिंदु पर भी अपने दिल की आवाज़ को सुन सकता है। यह बहुत कम लोग कर पाते हैं। आपका ये सफर बहुत सुंदर है। आपके लिए शुभकामनाएँ।

एक टिप्पणी लिखें

आपकी ईमेल आईडी प्रकाशित नहीं की जाएगी.