प्रसिद्ध आर्थिक विशेषज्ञ और प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार समिति के अध्यक्ष, बिबेक देबरॉय का निधन

प्रसिद्ध आर्थिक विशेषज्ञ और प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार समिति के अध्यक्ष, बिबेक देबरॉय का निधन

प्रख्यात आर्थिक विशेषज्ञ बिबेक देबरॉय का निधन

भारत के जाने-माने आर्थिक विशेषज्ञ और प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार समिति के अध्यक्ष बने रहे बिबेक देबरॉय का 1 नवंबर, 2024 को 69 वर्ष की आयु में निधन हो गया। देबरॉय के निधन से भारतीय आर्थिक नीति-निर्माण के क्षेत्र में एक बड़ी क्षति हुई है। उनका योगदान आर्थिक मुद्दों पर सरकार को महत्वपूर्ण सलाह देने में रहा है।

देबरॉय ने भारतीय आर्थिक नीति में एक प्रमुख भूमिका अदा की। उन्होंने देश की अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए तमाम नीतियों के निर्माण में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 2017 में प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार समिति के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त होने के बाद, उन्होंने देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने, सुधारने और अधिक सुदृढ़ आर्थिक प्रणाली विकसित करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

उनके पेशेवर जीवन की उपलब्धियाँ

देबरॉय के पेशेवर जीवन को उनकी दूरद्रष्टि और उनकी अद्वितीय प्रस्तुतियों के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने आर्थिक नीति, शासन और कानून में विशेषज्ञता प्राप्त की और अपने करियर के दौरान कई पुस्तकों का लेखन किया। देबरॉय नियमित रूप से विभिन्न समाचार पत्रों और पत्रिकाओं में लेख लिखते रहे हैं, जिससे उन्हें एक प्रगतिशील आर्थिक विचारक माना गया है।

उन्होंने NITI आयोग में भी सदस्य के रूप में कार्य किया। देबरॉय के विचारों और नीतियों ने भारत की आर्थिक संरचना पर गहरा प्रभाव डाला है और उनके विचार भविष्य के नीति निर्माताओं के लिए मार्गदर्शन का काम करेंगे।

व्यक्तिगत जीवन

बिबेक देबरॉय अपने व्यक्तिगत जीवन में भी बेहद सरल व्यक्ति रहे। उनकी सामाजिक और पारिवारिक जीवन में प्रतिबद्धता अप्रतिम रही। उनके परिवार में उनकी पत्नी और दो बच्चे हैं, जो उनके साथ उनके व्यक्तिगत जीवन की यादों को साझा करते हैं।

उनके निधन की खबर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कई अन्य प्रमुख नेताओं ने शोक व्यक्त किया है। उन्हें एक मेधावी अर्थशास्त्री और समर्पित सार्वजनिक सेवक के रूप में याद किया गया। उनका जाना न केवल एक परिवार के लिए बल्कि पूरे देश के लिए एक बड़ी क्षति है।

देश की अर्थव्यवस्था पर प्रभाव

बिबेक देबरॉय की अनुपस्थिति निश्चित रूप से भारतीय अर्थव्यवस्था के संबंध में विचार-विमर्श के विविध पहलुओं में महसूस की जाएगी। उनकी आर्थिक सूझ-बूझ और छह दशकों से अधिक की सेवा ने दबाव-परीक्षित निर्णयों के साथ कई महत्वपूर्ण आर्थिक नीतियों का निर्माण किया।भारतीय अर्थव्यवस्था को बदलने में उनका योगदान हमेशा याद रखा जाएगा।

आर्थिक परिदृश्य में उनके दिशानिर्देश, विचारशीलता और सांस्कृतिक आर्थिक दृष्टिकोण ने नीति निर्माण को अधिक प्रासंगिक और प्रभावशील बनाने में मदद की है। उनके जैसे विशेषज्ञ के बिना भी अन्य अर्थशास्त्रियों और नीति-निर्माताओं को उनकी अनुकरणीय सेवाओं को ध्यान में रखते हुए काम करना होगा।

यह एक स्पष्ट तथ्य है कि उनके निधन से न केवल आर्थिक बल्कि शैक्षणिक मंडलियों में भी अपूरणीय क्षति हुई है। नए विचारों और दृष्टिकोणों के लिए आर्थिक और शैक्षणिक अफजाई में प्रेरणा लेने वालों के लिए बिबेक देबरॉय एक आदर्श बने रहेंगे।

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