नवंबर 3, 2025 को समाप्त हुए स्टड्स एक्सेसरीज लिमिटेड के आईपीओ में निवेशकों की भीड़ इतनी भयंकर रही कि इसकी सब्सक्रिप्शन दर 73.25 गुना पहुंच गई। ये आंकड़ा नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) के आधिकारिक डेटा के मुताबिक है, जिसमें 54.5 लाख शेयर्स के लिए 39.92 करोड़ शेयर्स की बोली दर्ज की गई। ये कोई साधारण घटना नहीं — ये भारतीय आईपीओ इतिहास के सबसे ज्यादा सब्सक्राइब हुए ऑफर्स में से एक है। यहां तक कि ग्रे मार्केट में शेयर्स का प्रीमियम 11.97% तक पहुंच गया, जो निवेशकों को लिस्टिंग पर बड़ा मुनाफा दिखा रहा है।
किसने खरीदा? QIB, NII और रिटेल निवेशकों का अलग-अलग रुख
इस आईपीओ में हर तरह के निवेशक शामिल हुए। क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल बायर्स (QIB) ने 160 गुना सब्सक्रिप्शन दिया — यानी हर एक शेयर के लिए 160 बोलियां आईं। नॉन-इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स (NII) ने 77 गुना, और रिटेल इंडिविजुअल इन्वेस्टर्स (RIIs) ने भी 23 गुना बोली लगाई। ये आंकड़े बताते हैं कि ये सिर्फ बड़े फंड्स का खेल नहीं था — साधारण निवेशक भी इस ब्रांड पर भरोसा कर रहे थे।
ये निवेश बहुत ज्यादा नहीं, बल्कि बहुत समझदारी से किया गया। स्टड्स एक्सेसरीज ने आईपीओ में कोई नया शेयर जारी नहीं किया — सिर्फ मौजूदा शेयरधारकों ने अपने हिस्से बेचे। ये एक ‘ऑफर फॉर सेल’ था, जिसका मतलब है कि कंपनी को नए पैसे की जरूरत नहीं थी, बल्कि इन्वेस्टर्स के विश्वास को दर्शाना था।
ग्रे मार्केट प्रीमियम: उतार-चढ़ाव का खेल
आईपीओ के अंतिम दिन ग्रे मार्केट प्रीमियम (GMP) एक घूमते हुए बाजार की तरह था। सुबह 11.5% था, शाम तक गिरकर 10.3% हो गया — ये वो वक्त था जब फरीदाबाद के कुछ ब्रोकर्स ने बताया कि बोलियां कम हो रही हैं। लेकिन फिर InvestorGain.com ने ₹70 का GMP दर्ज किया — जो ऊपरी प्राइस बैंड (₹585) के आधार पर 11.97% का प्रीमियम है।
ये अस्थिरता बताती है कि निवेशक अभी भी उत्सुक हैं, लेकिन डर भी है। क्यों? क्योंकि ग्रे मार्केट का आंकड़ा अनियमित होता है। Zerodha ने स्पष्ट किया: "ये मूल्य भरोसेमंद नहीं है। बेहतर है कि आप एक्सचेंज के आधिकारिक सब्सक्रिप्शन आंकड़े देखें।" लेकिन फिर भी, जब एक कंपनी का GMP 11% से ऊपर जाता है, तो बाजार उसे एक लिस्टिंग विनर के रूप में देखता है।
कंपनी का बिजनेस: हेलमेट और एक्सेसरीज का राज
स्टड्स एक्सेसरीज 1975 में स्थापित हुई, लेकिन इसकी पहचान आज बहुत अलग है। ये कंपनी दोपहिया हेलमेट्स के लिए भारत की सबसे बड़ी ब्रांड बन चुकी है। उसके दो ब्रांड हैं: Studds जो द्रव्यमान और मध्यम बाजार को टार्गेट करता है, और SMK जो 2016 में लॉन्च हुआ और प्रीमियम मोटरसाइकिलिस्ट्स के लिए डिज़ाइन किया गया है।
बस हेलमेट नहीं — ये कंपनी राइडिंग जैकेट्स, ग्लव्स, रेन सूट्स, हेलमेट लॉक्स और लगेज भी बेचती है। ये एक फुल-इंटीग्रेटेड बिजनेस है: डिज़ाइन से लेकर निर्माण तक, सब कुछ अपने हाथों में। ये भारत भर में और विदेशों में भी बिकता है — यूरोप, दक्षिण एशिया और अफ्रीका में भी इसकी डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क है।
खतरे: फरीदाबाद पर निर्भरता और ऑटो सेक्टर का दबाव
लेकिन यहां एक बड़ा खतरा है — सभी फैक्ट्रियां फरीदाबाद में हैं। एक बाढ़, एक बिजली का बंद होना, या एक श्रम संघर्ष — इनमें से कोई भी घटना पूरी कंपनी को ठप कर सकती है। ये जोखिम Zerodha ने खुलकर चेतावनी दी है।
दूसरा खतरा? ये कंपनी सिर्फ ऑटो सेक्टर पर निर्भर है। अगर मोटरसाइकिल की बिक्री गिरती है — जैसे कि 2020 में कोविड के बाद हुआ था — तो स्टड्स की बिक्री भी गिर जाती है। और फिर वो खतरा है कि उनके हेलमेट्स में फ्लैमेबल मटेरियल्स का इस्तेमाल होता है, जिससे फायर का खतरा बना रहता है।
लिस्टिंग का इंतजार: 7 नवंबर को बाजार में उतरेगा शेयर
आईपीओ की बोली 3 नवंबर को समाप्त हुई। अब शेयर्स का आवंटन 4 नवंबर को होगा। जिन्हें शेयर नहीं मिले, उनकी राशि 6 नवंबर को वापस होगी। और फिर — 7 नवंबर, 2025 — ये शेयर नेशनल स्टॉक एक्सचेंज और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्ट होंगे।
लिस्टिंग पर लाभ कितना होगा? ग्रे मार्केट के आंकड़ों के हिसाब से, ₹585 पर लिस्ट होने की उम्मीद है — लेकिन अगर भीड़ बनती है, तो ₹650 तक जा सकता है। ये एक ऐसा लिस्टिंग है जिसके बारे में अभी तक बाजार में बहुत सारे अंदाजे हैं।
क्यों ये आईपीओ अलग है?
इस साल के बाकी आईपीओज़ के साथ तुलना करें — लेंसकार्ट का आईपीओ भी बहुत ज्यादा सब्सक्राइब हुआ था, लेकिन उसका GMP 21% था। लेकिन वहां नए पैसे जुटाए गए थे। यहां, स्टड्स का मामला अलग है — ये एक पुरानी, स्थिर, लाभदायक कंपनी है जिसने अपने निवेशकों को निकालने का मौका दिया है। ये एक ब्रांड की लिस्टिंग है, न कि एक स्टार्टअप की।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
स्टड्स एक्सेसरीज का आईपीओ क्यों इतना सब्सक्राइब हुआ?
इसका कारण ब्रांड की मजबूत पहचान, भारत में दोपहिया हेलमेट बाजार का बड़ा आकार, और निवेशकों का विश्वास है। कंपनी का बिजनेस मॉडल स्थिर है, और इसके उत्पाद भारतीय राइडर्स के बीच ट्रस्टेड हैं। इसके अलावा, ग्रे मार्केट में 11% से अधिक प्रीमियम देखने को मिला, जो निवेशकों को लिस्टिंग पर लाभ का आश्वासन दे रहा था।
क्या ग्रे मार्केट प्रीमियम लिस्टिंग पर असली लाभ दिखाता है?
नहीं, ग्रे मार्केट प्रीमियम एक अनियमित और अनिश्चित संकेत है। ये ब्रोकर्स और अनौपचारिक लेन-देन पर आधारित होता है। हालांकि, जब ये 10% से ऊपर जाता है, तो यह बाजार के रुझान को दर्शाता है। लिस्टिंग पर असली लाभ तब दिखता है जब शेयर एक्सचेंज पर ट्रेड होने लगते हैं।
फरीदाबाद पर निर्भरता क्यों खतरनाक है?
अगर फरीदाबाद में कोई आपातकालीन स्थिति आती है — जैसे बाढ़, बिजली कटौती, या श्रम विवाद — तो पूरी उत्पादन श्रृंखला रुक सकती है। ये जोखिम अन्य कंपनियों के मुकाबले इसके लिए बहुत अधिक है, क्योंकि उनके पास अन्य इकाइयां नहीं हैं। ये एक बड़ा ऑपरेशनल रिस्क है।
क्या रिटेल निवेशकों को शेयर मिलने की संभावना है?
हां, लेकिन बहुत कम। रिटेल कैटेगरी में 22 गुना सब्सक्रिप्शन था, जिसका मतलब है कि हर 22 आवेदनों में से सिर्फ एक को ही शेयर मिलेगा। ये आईपीओ इतना ज्यादा सब्सक्राइब हुआ है कि रिटेल निवेशकों को शायद ही 1-2 शेयर मिलेंगे, अगर मिलें तो।
स्टड्स का ब्रांड SMK क्या है?
SMK एक प्रीमियम हेलमेट ब्रांड है जिसे स्टड्स एक्सेसरीज ने 2016 में लॉन्च किया। यह उच्च खर्च करने वाले मोटरसाइकिलिस्ट्स के लिए डिज़ाइन किया गया है, जो डिज़ाइन, सुरक्षा और ब्रांड वैल्यू पर जोर देते हैं। यह ब्रांड यूरोपीय मानकों के अनुसार बनता है और इसकी कीमतें स्टड्स ब्रांड से 2-3 गुना अधिक हैं।
लिस्टिंग के बाद क्या देखना चाहिए?
लिस्टिंग के बाद पहले 3-5 दिनों में शेयर का व्यवहार देखें। क्या यह स्थिर रहता है? या फिर गिर जाता है? अगर यह ₹600 के आसपास ट्रेड करता है, तो यह एक सफल लिस्टिंग है। लेकिन अगर यह ₹550 के नीचे चला जाता है, तो बाजार को अभी भी इस पर संदेह है। अपने निवेश की योजना इसी के आधार पर बनाएं।
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20 टिप्पणि
ये आईपीओ तो बस भारत की शक्ति का प्रमाण है! अमेरिका के पास ऐसा कुछ नहीं है जो इतना भीड़ भाड़ ला सके। जिन्होंने इसमें निवेश किया वो अब अमीर बन गए हैं। बाकी लोग बस देखते रह गए।
वाह! ये तो बस एक आईपीओ नहीं - ये तो एक जागृति है! भारतीय निवेशक अब सिर्फ बैंक डिपॉजिट नहीं देख रहे, वो अपने देश की कंपनियों में भरोसा कर रहे हैं! स्टड्स ने साबित कर दिया - ट्रस्ट, टेक्नोलॉजी और टाइम का मिश्रण ही असली वैल्यू बनाता है! 🚀🔥
क्या आपने देखा कि SMK ब्रांड यूरोप में भी चल रहा है? मैंने इटली में एक बाइकर को इस हेलमेट में देखा था... उसकी आंखों में वो जोश था जैसे वो भारत का ब्रांड पहन रहा हो। हमारा देश अब बस बनाता नहीं, वो ब्रांड बना रहा है।
रिटेल निवेशकों को 23 गुना सब्सक्रिप्शन? ये तो बस जल्दबाजी में लिया गया निर्णय है। अगर आपको शेयर मिले तो तुरंत बेच दें। ये नहीं लिस्टिंग है, ये बाजार का एक झूठा बुलबुला है। 😒
दोस्तों, ये आईपीओ देखकर मेरी आंखें नम हो गईं। एक ऐसी कंपनी जो 1975 में शुरू हुई और आज भी भारतीय राइडर्स के दिलों में है - ये तो सच्ची कहानी है। ब्रांड नहीं, इमोशन बेच रही है।
एक कंपनी जिसका सारा उत्पादन एक ही शहर पर निर्भर है... ये न सिर्फ जोखिम है, बल्कि एक अनुचित आत्मविश्वास है। जब तक हम अपने व्यवसायों को विविध नहीं करेंगे, तब तक ये गुलामी चलती रहेगी।
इस आईपीओ का सबसे बड़ा संदेश यह है कि भारत में ब्रांड विश्वास का बहुत बड़ा बाजार है। जब एक छोटी कंपनी इतनी भीड़ ला सकती है, तो यह दर्शाता है कि ग्राहक अब नाम और गुणवत्ता के लिए तैयार हैं।
मैंने अपने भाई को इस आईपीओ में शेयर मिले तो उसने तुरंत फोन किया - और फिर बस एक दिन बाद बेच दिए। मैंने पूछा - भाई, क्यों? उसने कहा - भाई, ये तो बस बैंक डिपॉजिट से ज्यादा मुनाफा था 😏
स्टड्स तो बस हेलमेट बेचता है... लेकिन अब ये ब्रांड बन गया है। मैंने भी एक लिया था - 2 साल बाद भी नहीं टूटा। इसलिए मैंने भी आईपीओ में अप्लाई किया... बस शेयर नहीं मिले 😅
इस आईपीओ का असली सफलता यह है कि इसने रिटेल निवेशकों को बाजार के अंदर लाया है। अब वे सिर्फ शेयर नहीं, बल्कि कंपनी की कहानी में शामिल हो रहे हैं।
ग्रे मार्केट प्रीमियम बहुत ज्यादा नहीं, लेकिन अगर आपको शेयर मिल गए हैं, तो लिस्टिंग पर रहना बेहतर है। ये कंपनी स्थिर है - शॉर्ट-टर्म गेम नहीं।
क्या आपने कभी सोचा है कि ये हेलमेट जिसे हम पहनते हैं - वो भारत के लाखों छोटे उद्यमियों की मेहनत का परिणाम है? एक शेयर खरीदना अब सिर्फ निवेश नहीं, एक सामाजिक निर्णय है।
सब्सक्रिप्शन 73 गुना? बस एक और बुलबुला। जब आपको शेयर नहीं मिले, तो आप इसे ब्रांड कहते हैं। जब मिल जाएंगे तो बेच देंगे। ये सब बाजार का खेल है।
SMK ब्रांड के लिए 2-3 गुना कीमत? ये तो बस ब्रांडिंग का नाटक है। मैंने भी एक खरीदा था - अंदर से बाहर जैसे वही फोम था। लोगों को नाम दिखाना है, न कि सुरक्षा।
मैंने यूरोप में एक बाइकर से बात की - उसने कहा, 'ये हेलमेट बहुत स्टाइलिश है, और कीमत भी बहुत अच्छी है।' भारतीय कंपनी को विदेश में ऐसा मान्यता मिलना... ये तो देश का गौरव है।
स्टड्स एक्सेसरीज लिमिटेड ने अपने आईपीओ के द्वारा निवेशकों के लिए एक विश्वसनीय निवेश अवसर प्रदान किया है, जिसका अनुमान उनके वित्तीय प्रदर्शन और ब्रांड अवस्थिति के आधार पर निकाला जा सकता है।
73 गुना सब्सक्रिप्शन? ये तो बस भारतीय निवेशकों की अनजानता का परिणाम है। कोई नया शेयर नहीं जारी किया गया - बस पुराने शेयरधारक निकल रहे हैं। ये आईपीओ नहीं, ये शेयर बेचने का एक नया तरीका है।
यहां तक कि एक छोटी कंपनी भी अपने ब्रांड को बना सकती है - अगर वह गुणवत्ता और निरंतरता को बनाए रखे। स्टड्स ने यही किया है। बाकी बस ट्रेंड चल रहे हैं।
क्या आप जानते हैं कि इसके हेलमेट्स में फ्लैमेबल मटेरियल्स का इस्तेमाल होता है? ये एक खतरा है - और फिर भी लोग इसे खरीद रहे हैं? ये तो बस ब्रांड के लिए जान बचाने का तरीका है।
ग्रे मार्केट प्रीमियम 11.97% है - लेकिन एक्सचेंज के आंकड़े 73.25x सब्सक्रिप्शन हैं। ये दोनों अलग हैं। ग्रे मार्केट अनियमित है, लेकिन सब्सक्रिप्शन डेटा तथ्य है। जानकारी के लिए आधिकारिक डेटा ही देखें।