आर्थिक संकट: भारत की मौजूदा आर्थिक चुनौतियाँ
क्या आप जानते हैं कि सिर्फ एक महीने में भारतीय शेयर बाजार ने लगभग 10% गिरावट देखी? यह गिरावट कई कारणों से आई, जैसे विदेशियों के टैरिफ कदम, फेडरल रिज़र्व की ब्याज दर नीति और घरेलू राजकोषीय निर्णय। अब समय है समझने का कि ये घटनाएँ हमारे रोज‑मर्रा के पैसे को कैसे प्रभावित करती हैं।
स्टॉक मार्केट में अप्रैल 2025 की छुट्टियों ने ट्रेडिंग को तीन दिन बंद कर दिया, जिससे इक्विटी और डेरिवेटिव दोनों सैक्टर में अस्थिरता बढ़ी। निवेशक अचानक बिना लेन‑देन के फंड्स का मूल्य देख रहे थे, और कई लोग अपने पोर्टफ़ोलियो रीबैलेंस की तैयारी में लगे। अगर आप भी शेयर में रुचि रखते हैं तो इस प्रकार की कैलेंडर इवेंट को पहले से नोट कर लेना फायदेमंद रहेगा।
बाजार पर प्रभाव: टैरिफ और ब्याज दरें
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प के नए टैरिफ ने भारतीय आयात‑निर्यात सेक्टर में तेज़ गिरावट मारी। सेंसेक्स 300 पॉइंट से नीचे गया, जबकि निफ्टी लगभग 80 अंक घटा। यह असर खासकर ऑटो, आईटी और एंजीनियरिंग सामानों पर पड़ा, जहाँ कच्चे माल की कीमतें तुरंत बढ़ गईं। साथ ही फेडरल रिज़र्व ने ब्याज दर को स्थिर रखा, जिससे वैश्विक मुद्रा बाजार में डॉलर की मजबूती बनी रही और भारतीय रूपया कुछ हद तक दबाव में रहा।
इन दो बड़े कारकों से छोटे निवेशकों को अपनी जोखिम सहनशीलता का पुनर्मूल्यांकन करना चाहिए। उदाहरण के तौर पर, कम‑जोखिम वाले फिक्स्ड डिपॉजिट या गोल्ड जैसी सुरक्षित संपत्तियों में हिस्सेदारी बढ़ा सकते हैं। यह कदम अल्पावधि में पूँजी की रक्षा कर सकता है जबकि बाजार स्थिर हो रहा हो तो फिर से एंट्री का इंतज़ार किया जा सकता है।
नीति व व्यक्तिगत कदम
सरकार ने भी इस संकट को कम करने के लिए कुछ उपाय किए हैं। वैकल्पिक ऊर्जा में निवेश, विशेषकर सौर और पवन परियोजनाओं पर सब्सिडी बढ़ाने की योजना चल रही है। इससे न सिर्फ रोजगार के नए अवसर मिलेंगे बल्कि आयात‑निर्भरता घटेगी। साथ ही, फेडरल रिज़र्व की दर नीति को देखते हुए भारतीय रिझर्व बैंक्स ने लिक्विडिटी सपोर्ट प्रोग्राम जारी किया है, जिससे बाजार में नकदी प्रवाह बना रहता है।
व्यक्तिगत स्तर पर आप क्या कर सकते हैं? सबसे पहले खर्चों का एक बजट बनाएं और अनावश्यक ख़र्च को काटें। दूसरी बात, बचत को अलग‑अलग उपकरणों में बाँटे—एक हिस्सा फिक्स्ड डिपॉजिट में, दूसरा म्यूचुअल फंड्स में, और थोड़ा भाग डिजिटल गोल्ड या रियल एस्टेट ट्रस्ट में रखें। इस तरह का विविधीकरण जोखिम कम करता है और आपके पोर्टफ़ोलियो को संतुलित रखता है।
अंत में, आर्थिक संकट हमेशा कुछ हद तक अनिवार्य रहता है, लेकिन सही जानकारी और योजनाबद्ध कदमों से आप इसके असर को घटा सकते हैं। चाहे आप निवेशक हों या सामान्य नागरिक, बाजार की खबरें पढ़ते रहना, टैक्स बदलाव पर नजर रखना और अपने वित्तीय लक्ष्य स्पष्ट करना सबसे बड़ा हथियार है। आगे भी हम ऐसे ही अपडेट्स लाते रहेंगे, ताकि आप हर बदलाव के साथ कदम से कदम मिला सकें।

इंटेल के सामने अस्तित्व का संकट: अर्धशतकीय गिरावट के कगार पर शेयर
इंटेल कॉर्प का हालिया आय रिपोर्ट और दृष्टिकोण में बदलाव ने विश्लेषकों को चिंतित कर दिया है। कंपनी के सीईओ पैट गेलसिंगर ने $10 बिलियन की लागत कटौती और 15% कर्मचारियों की छंटनी की घोषणा की है। कंपनी का स्टॉक साल दर साल 57% गिर चुका है।