आयात शुल्क क्या है? सरल भाषा में जानिए

जब भी कोई कंपनी विदेश से माल लाती है, तो सरकार एक तय रक्कम लेती है जिसे हम आयात शुल्क या कस्टम ड्यूटी कहते हैं। ये कर देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने, घरेलू उद्योगों की रक्षा करने और राजस्व बढ़ाने के लिए लगाया जाता है। अगर आप व्यापार में नए हैं तो समझना जरूरी है कि ये कैसे काम करता है।

शुल्क की गणना कैसे होती है?

सबसे पहले माल का CIF मूल्य पता करें, यानी Cost (माल की लागत) + Insurance (बीमा) + Freight (ढुलाई). इस राशि पर शुल्क प्रतिशत लागू होता है। उदाहरण के लिए अगर एक इलेक्ट्रॉनिक सामान की CIF कीमत 10 लाख रुपये है और उसका शुल्क दर 15% है, तो आपको 1.5 लाख रुपये अतिरिक्त देना पड़ेगा। कभी‑कभी विशेष कर जैसे इंटीग्रेटेड टॅक्स (IGST) भी जोड़ा जाता है, इसलिए कुल खर्च बढ़ सकता है।

नई नीति और व्यापार पर असर

सरकार ने 2024 में कई उत्पादों की शुल्क दरें कम की हैं ताकि आयात सस्ता हो और कंपनियों को लागत बचाने का मौका मिले। लेकिन कुछ संवेदनशील सेक्टर जैसे एग्रीकल्चर, स्टील और टेक्सटाइल पर अभी भी उच्च कर लागू है। इसका मतलब है कि अगर आप इन क्षेत्रों में काम करते हैं तो कीमतों को ध्यान से देखना होगा, नहीं तो मुनाफा कम हो सकता है।

एक और बात जो अक्सर छूट जाती है वह है अवधि‑विशेष रियायतें. सरकार कभी‑कभी कुछ महीनों के लिए शुल्क में कटौती देती है, जैसे कृषि सत्र शुरू होने पर इनपुट सामग्री की दर घटा देना। ऐसे अवसरों को पकड़ने से आप अपने व्यवसाय की लागत काफी कम कर सकते हैं।

अब बात करते हैं दस्तावेज़ीकरण की. आयात के समय आपको इन्वॉइस, पैकिंग लिस्ट, बिल ऑफ लेडिंग और मूल प्रमाणपत्र (Certificate of Origin) जैसी चीजें तैयार रखनी पड़ती हैं। इन पेपरों में कोई गलती नहीं होनी चाहिए, वरना कस्टम क्लियरेंस में देर या अतिरिक्त शुल्क लग सकता है।

अगर आप छोटे व्यापारी हैं तो ऑनलाइन कस्टम पोर्टल का इस्तेमाल कर सकते हैं। यहाँ से शुल्क की दरें देखी जा सकती हैं, फॉर्म भरकर जमा किए जाते हैं और रसीद तुरंत मिलती है। इससे समय बचता है और प्रक्रिया में पारदर्शिता रहती है।

व्यापारियों के लिए एक उपयोगी टिप यह है कि हर साल के बजट में शुल्क नीति में बदलाव देखना चाहिए। अक्सर नई नियमों की घोषणा बजट या वित्तीय वर्ष की शुरुआत में होती है, इसलिए समय पर अपडेट रहना फायदेमंद रहता है।

अंत में याद रखें: आयात शुल्क सिर्फ़ एक कर नहीं, बल्कि व्यापार रणनीति का हिस्सा है। इसे समझकर और सही तरीके से प्लान बनाकर आप लागत घटा सकते हैं, लाभ बढ़ा सकते हैं और नियमों की भी पाली कर सकते हैं। अब जब आप इस गाइड को पढ़ चुके हैं, तो अगले कदम पर जाएँ—अपनी अगली आयात योजना में शुल्क का हिसाब लगाएँ और स्मार्ट निर्णय लें।

ट्रम्प के टैरिफ धमाके से भारतीय बाजार हिल गए: सेंसेक्स 300 से अधिक अंक लुढ़का, निफ्टी नए निम्न स्तर पर

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के नए टैरिफ नीति की घोषणा से भारतीय बाजार में भारी गिरावट आई। आयात पर 26% टैरिफ ने आईटी और ऑटोमोटिव क्षेत्र को प्रभावित किया, जबकि फार्मा को छूट मिली। सेंसेक्स में 300 से अधिक अंकों की गिरावट और निफ्टी में लगभग 80 अंकों की गिरावट देखी गई। विश्लेषकों ने मंदी के जोखिम और मुद्रास्फीति की चेतावनी दी।