ट्रम्प की टैरिफ नीति का भारतीय बाजार पर गहरा असर
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की नई टैरिफ नीति की घोषणा से 2 अप्रैल, 2025 को भारतीय शेयर बाजार में भारी अशांति देखने को मिली। इस अहम घोषणा के बाद सेंसेक्स में 300 से अधिक अंकों की गिरावट दर्ज की गई, जबकि निफ्टी 50 ने अपने शुरुआती व्यापार में लगभग 80 अंकों का नुकसान झेला। हालांकि, दिन के अंत तक बाजार में थोड़ी स्थिरता आई। राष्ट्रपति ट्रम्प की 'लिबरेशन डे' योजना के तहत भारत को 26% टैरिफ का सामना करना पड़ रहा है।
इस नीति के चलते आईटी और ऑटोमोबाइल जैसे क्षेत्रों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा, जबकि फार्मास्यूटिकल स्टॉक्स को छूट मिलने से उन्हें बढ़त मिली। यह नीति 60 देशों को लक्षित कर बनी है और इसमें चीन पर 54%, वियतनाम पर 47%, और यूरोपीय संघ पर 20% टैरिफ लगाया गया है।
बाजार में हंगामा और निवेशकों की प्रतिक्रिया
आईटी सेक्टर पर इस नीति का विशेष प्रभाव पड़ा, जिसके चलते निफ्टी आईटी इंडेक्स में 3-4% की गिरावट हुई। इसके विपरीत, निफ्टी फार्मा इंडेक्स में 3% की वृद्धि हुई। वैश्विक बाजारों में भी इस घोषणा का असर पड़ा, नास्डैक फ्यूचर 4.7% नीचे गया जबकि एप्पल के शेयर 6.9% गिर गए। इस सब के बीच भारतीय रुपया 85.69 प्रति डॉलर पर स्थिर रहा।
विश्लेषकों ने चेतावनी दी है कि इन टैरिफ के चलते महंगाई दर बढ़ सकती है, फेडरल रेट में कटौती में देरी हो सकती है और अमेरिकी मंदी का जोखिम बढ़ सकता है। फार्मास्यूटिकल्स को दी गई छूट ने उन्हें फायदा पहुंचाया है, लेकिन टेक्सटाइल्स और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसी अन्य इंडस्ट्रीज को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। इन टैरिफ से वैश्विक व्यापार में प्रतिशोध का खतरा भी बढ़ सकता है, जिससे सप्लाई चेंस प्रभावित हो सकती हैं और कंपनियों की लाभप्रदता पर असर पड़ सकता है।
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13 टिप्पणि
ये टैरिफ वाला मामला असल में बहुत पुराना है। अमेरिका हमेशा से अपने बाजार को बचाने के लिए ऐसा करता रहा है। हम तो बस अपने फार्मा और IT को मजबूत कर लें, बाकी तो चलता रहेगा।
सेंसेक्स में 300 अंक गिरे तो क्या हुआ? ये तो अभी शुरुआत है। अगर ट्रम्प अपनी बात पर अड़े तो अगले महीने 800 भी गिर सकते हैं। लेकिन फार्मा अच्छा चल रहा है, इसलिए अभी तो बस धीरे बैठो।
ये टैरिफ नहीं, ये तो अमेरिका का नया युद्ध है! हम जो बेचते हैं उसकी कीमत बढ़ा दी, तो अब हमारी कंपनियाँ अमेरिका में बिकेंगी कैसे? भारत को अपनी अर्थव्यवस्था अपने हाथों में लेनी होगी।
ट्रम्प एक बदमाश है पर उसकी बात सच है। हमने अमेरिका को बहुत ज्यादा लूटा है। IT और फार्मा दोनों अमेरिका के घरों में घुस चुके हैं। अब वो दरवाजा बंद कर रहे हैं। हमें भी अपने घर की सफाई करनी होगी।
फार्मा को छूट मिली? बस एक अच्छा ट्रिक है। जब तक हम अपने निवेशकों को भारतीय बाजार में नहीं लाएंगे, तब तक ये सब नाटक है। आप लोग अभी भी वैश्विक बाजारों पर भरोसा कर रहे हैं? बेवकूफी है।
इस टैरिफ नीति का आर्थिक विश्लेषण करने पर यह स्पष्ट होता है कि भारत के लिए व्यापार घाटा बढ़ने की संभावना है। विशेष रूप से इलेक्ट्रॉनिक्स और टेक्सटाइल्स के क्षेत्र में। इसके लिए राष्ट्रीय स्तर पर नीति निर्माण की आवश्यकता है।
क्या तुम्हें लगता है कि ट्रम्प इसलिए ऐसा कर रहा है क्योंकि वो बुरा है? नहीं। वो तो सिर्फ अपने देश को बचा रहा है। हम भी अपने देश को बचाने की कोशिश करो। हमारे यहाँ तो लोग अभी भी बाहर की चीज़ों पर भरोसा कर रहे हैं। ये दुनिया नहीं बदल रही, तुम बदलो।
सच बताऊँ तो मैं तो बस घर पर बैठा हूँ, बाजार के बारे में ज्यादा नहीं सोचता। लेकिन फार्मा अच्छा चल रहा है, इसलिए शायद इसमें कुछ अच्छा है।
ट्रम्प ने टैरिफ लगाया तो फार्मा बढ़ा और IT गिरा तो अब लोग फार्मा में भाग रहे हैं। लेकिन क्या ये सब नहीं बस एक बड़ा बाजार नाटक है? जब तक भारत अपने अंदर देखेगा नहीं तब तक ये चलता रहेगा।
ये टैरिफ नीति एक नए युग की शुरुआत है। हम जिस दुनिया में रह रहे हैं वो अब नहीं रहेगी। अमेरिका अपने आप को बचाने के लिए दुनिया को बदल रहा है। हम भी बदलने की तैयारी करें।
हम जिस तरह से विश्व व्यापार को देखते हैं, वह एक विचारधारा है... जिसमें न्याय, शक्ति, और असमानता का खेल छिपा हुआ है। टैरिफ तो बस एक अभिव्यक्ति है - एक भाषा जिसमें देश अपनी असुरक्षा को अभिव्यक्त करते हैं।
अरे भाई, ट्रम्प ने टैरिफ लगाया तो फार्मा बढ़ गया, यानी हमारा दवा वाला बाजार दुनिया को देता है! अब इसे बढ़ाओ, अपने घर में बनाओ, और अमेरिका को बेचो! ये तो बहुत बड़ा मौका है!
श्रीमान ट्रम्प की इस नीति के अनुसार, भारतीय उद्योगों को वैश्विक व्यापार में अपनी स्थिति को पुनर्परिभाषित करने की आवश्यकता है। विशेष रूप से, फार्मास्यूटिकल्स के क्षेत्र में निर्यात बढ़ाने के लिए गुणवत्ता और नियमन के मानकों को उच्च स्तर पर लाना आवश्यक है।