बाढ़‑प्रभावित किसान

जब हम बाढ़‑प्रभावित किसान, ऐसे किसान को कहते हैं जो अत्यधिक जलभराव के कारण फसल, जमीन और निवेश में भारी नुकसान झेलते हैं. बाढ़ के शिकार किसान के सामने आयी कठिनाइयाँ अक्सर मौसम बदलने की गति, नदियों का ओवरफ़्लो और खराब जल निकास प्रणाली से जुड़ी होती हैं। इन चुनौतियों से निपटने में बाढ़ राहत, सरकार और NGOs द्वारा प्रदान की जाने वाली तात्कालिक भोजन, स्वास्थ्य और पुनर्निर्माण सहायता और कृषि बीमा, फसल क्षति को कम करने के लिए प्रीमियम‑आधारित सुरक्षा योजना दो मुख्य स्तम्भ बनते हैं। इस टैग पेज पर आप पाएँगे कैसे ये उपाय वास्तविक जमीन में लागू होते हैं, किन नीतियों में बदलाव आया है, और कौन‑से नए प्रोजेक्ट जल प्रबंधन को सुदृढ़ बना रहे हैं।

सरकारी सहायता और स्थायी कृषि प्रथाएँ

बाढ़‑प्रभावित किसान अक्सर सरकारी सहायता, केंद्र और राज्य स्तर पर घोषित नुकसान व्यापार, सवैलन, पुनरुत्थान योजना और सीड्स सब्सिडी की अपेक्षा रखते हैं। इन पहलों में सीधे नकद ट्रांसफर, बीज व उर्वरक पर सब्सिडी और बुनियादी ढाँचे की मरम्मत शामिल है। हाल ही में कई राज्य जल नियंत्रण डैम, रोकथाम‑फ़ेंस और जल‑संरक्षण तालाब बनाकर जल प्रबंधन, फ़्लड‑इंटरफ़ेसिंग, रेन‑वॉटर हार्वेस्टिंग और निचले‑क्षेत्र में निचोड़‑नाली प्रणाली को मजबूत कर रहे हैं। ये तकनीकें केवल क्षति रोकने के लिए नहीं, बल्कि फसल की लचीलापन बढ़ाने, मिट्टी की उर्वरता सुधरने और भविष्य में बाढ़ के जोखिम को कम करने में मदद करती हैं। इस संदर्भ में स्थायी कृषि प्रथाएँ, वैकल्पिक फसलें, मिश्रित खेती और जैविक उर्वरक का उपयोग को अपनाकर किसान अपनी आय की सुरक्षा बेहतर बना सकते हैं।

अब नीचे आप देखेंगे कि विभिन्न लेखों में बाढ़‑प्रभावित किसान को किस तरह की प्रत्यक्ष मदद मिल रही है, कौन‑से नवाचार उन्हें फिर से खेती के मैदान में लाने में मदद कर रहे हैं, और किस प्रकार की नीतियाँ इन बदलावों को आरंभिक चरण से आगे ले जा रही हैं। इस संग्रह में आप समाचार, सफलता की कहानियाँ और विशेषज्ञों की राय सभी एक ही जगह पर पाएँगे, जिससे आप अपने या अपने आस‑पास के किसानों के लिए उपयोगी कदम उठा सकेंगे।

शिवराज सिंह चौहान ने बाढ़‑प्रभावित किसानों को 21वीं PM किसान किस्त जारी की

शिवराज सिंह चौहान ने बाढ़‑पीड़ित हिमाचल, पंजाब, उत्तराखंड के 27 लाख किसानों को 21वी PM किसान किस्त जारी की, जिससे तुरंत राहत मिली।