शिवराज सिंह चौहान ने बाढ़‑प्रभावित किसानों को 21वीं PM किसान किस्त जारी की

शिवराज सिंह चौहान ने बाढ़‑प्रभावित किसानों को 21वीं PM किसान किस्त जारी की

जब शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री ने 26 सितंबर 2025 को दिल्ली में आयोजित एक छोटे समारोह में PM किसान की 21वीं किस्त को बाढ़‑प्रभावित राज्यों के 27,00,068 किसानों के खाते में ट्रांसफर किया, तो कृषि क्षेत्र में ताल‑बदल की हलचल शुरू हो गई।

बाढ़‑पीड़ित राज्यों में प्रारम्भिक भुगतान

इस शुरुआती रिलीज़ का मकसद हिमाचल प्रदेश, पंजाब और उत्तराखंड में हाल ही में आए बाढ़‑भूसा‑भूसे से खेतों को हुए क्षति को कुछ हद तक बचाना था। हिमाचल प्रदेश में 801,045 किसानों को 160.21 करोड़ा रुपये, पंजाब में 1,109,895 किसानों को 221.98 करोড়া रुपये और उत्तराखंड में 789,128 किसानों को 157.83 करोड़ा रुपये मिले। कुल मिलाकर 540.02 करोड़ा रुपये की राशि सीधे बैंक खातों में डाली गई।

आंकड़े के अनुसार, इस ट्रांसफर में लगभग 2.7 लाख महिला किसान भी शामिल थे – जो अक्सर कृषि ऋण के बोझ से सबसे अधिक जूझते हैं। शिवराज सिंह चौहान ने कहा, "यह 2,000 रुपये की किस्त उनके घरेलू खर्च, बीज‑उर्वरक खरीद और अगली बुआई सत्र की तैयारी में मदद करेगी।"

PM किसान योजना का विस्तृत परिप्रेक्ष्य

यह योजना असल में 2019 दिसंबर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लॉन्च हुई थी। तब से अब तक 12 कोटा में 12 लाख किसान‑भर्ती हो चुके हैं और कुल 3.69 लाख करोड़ रुपये की मदद दी जा चुकी है। योजना के तहत हर चार महीने में 2,000 रुपये तीन किस्तों में वितरित होते हैं – अप्रैल‑जुलाई, अगस्त‑नवंबर और दिसंबर‑मार्च में।

वर्तमान में, 20वीं किस्त को 2 ऑगस्ट 2025 को पूरे भारत में वितरित किया गया था, जिसमें 97 मिलियन किसानों को 20,500 करोड़ रुपये मिले। इस बार की 21वीं किस्त का राष्ट्रीय स्तर पर वितरण अक्टूबर‑नुवम्बर 2025 में होने की उम्मीद है, जबकि बाढ़‑प्रभावित क्षेत्रों में इसे पहले ही जारी कर दिया गया।

लाभार्थियों की प्रतिक्रिया और स्थानीय प्रभाव

हिमाचल प्रदेश के एक छोटे किसान, राम बत्रा, ने कहा, "अचानक आए बाढ़ के बाद खेतों में से कुछ भी बचा नहीं, अब ये 2,000 रुपये थोड़ी राहत देंगे, खासकर बीज खरीदने में।" इसी तरह पंजाब के यूपीएल का मालिक, कल्पना कौर, ने बताया कि वह महिला किसानों की ओर से बैंकिंग प्रक्रिया में अक्सर अड़चनें देखती थीं, लेकिन इस बार की शीघ्र रिलीज़ ने उनकी आशा को फिर से जगाया।

उत्तराखंड में कई छोटे गाँवों में यह भुक्तान पहले ही सामाजिक मीडिया पर चर्चा का कारण बन चुका है, जहाँ किसान समूह ने इस रकम को “बाढ़‑बाद की आशा” के रूप में ब्रांड किया।

भविष्य की योजना व राष्ट्रीय निकासी

भविष्य की योजना व राष्ट्रीय निकासी

केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने संकेत दिया है कि अगली किश्त के साथ साथ, किसानों को KYC (Know Your Customer) सत्यापन की अनिवार्यता भी दोहराई जाएगी। इसका मतलब है कि हर बार भुगतान से पहले किसानों को अपना आधार‑वैलिडेशन, बैंकों के साथ लिंक अपडेट आदि करना होगा। इस कदम का उद्देश्य लाभार्थी सूची को साफ‑सुथरा रखना और भविष्य में धोखाधड़ी को रोकना है।

अगर किसान KYC नहीं कराते, तो उन्हें उस किस्त से बाहर कर दिया जाएगा, चाहे वे पहले से ही पात्र हों। इस नई शर्त के बारे में कई किसान समूहों ने चिंता जताई है, क्योंकि कुछ क्षेत्रों में इंटरनेट सुविधा अभी भी सीमित है।

शिकायत निवारण तथा सहायता के साधन

जो भी किसान भुगतान में उलझन या देरी का सामना कर रहे हैं, उनके लिए कई चैनल खुले हैं:

  • PM‑Kisan हेल्पडेस्क (सोम‑शुक्र, 9 से 18 बजे)
  • ई‑मेल: [email protected] , [email protected]
  • टोल‑फ़्री हेल्पलाइन: 1800‑115‑526
  • स्थानीय कृषि कार्यालय में प्रत्यक्ष शिकायत पंजीकरण
  • ऑनलाइन ग्रिवांस पोर्टल: pmkisan.gov.in/Grievance.aspx (आधार/मोबाइल/बैंक खाता नंबर से लॉग‑इन)

इन्हें सब मिलाकर यह सुनिश्चित किया गया है कि किसान कभी भी ‘भुगतान नहीं मिला’ की स्थिति में अकेला महसूस न करें।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

बाढ़‑प्रभावित किसानों को भुगतान क्यों जल्दी किया गया?

बाढ़‑सेपीडित क्षेत्रों में फसल क्षति बहुत अधिक थी, जिससे किसानों की आय पर सीधा असर पड़ा। इसला‍ए केंद्र ने राहत के तौर पर 21वीं किस्त को सामान्य समय‑सीमा से पहले जारी किया, ताकि वे बीज‑उर्वरक खरीद सकें और अगली बुआई की तैयारी कर सकें।

क्या सभी राज्यों में 21वीं किस्त का राष्ट्रीय वितरण कब होगा?

केन्द्र ने कहा है कि राष्ट्रीय स्तर पर 21वीं किस्त का भुगतान अक्टूबर‑नवंबर 2025 के बीच किया जाएगा। यह समय‑सीमा मौसम‑परिस्थितियों और वित्तीय व्यवस्था पर निर्भर करेगी।

KYC सत्यापन न करने पर क्या होगा?

यदि किसान प्रत्येक भुगतान अवधि के पहले अपना KYC पूरा नहीं करता, तो वह उस विशेष किस्त से बाहर कर दिया जाएगा। अगली बार फिर से सत्यापन कराना होगा, नहीं तो निधि नहीं मिलेगी।

महिला किसानों को इस रकम में कितना हिस्सा मिला?

प्रकाशित आंकड़ों के अनुसार, बाढ़‑पीड़ित तीन राज्यों में लगभग 2.7 लाख महिला किसान इस 21वीं किस्त से सीधे लाभान्वित हुए। यह महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक सकारात्मक कदम माना जा रहा है।

यदि भुगतान नहीं मिला तो शिकायत कहाँ दर्ज करूँ?

किसी भी समस्या के लिए किसान तुरंत PM‑Kisan हेल्पडेस्क, टोल‑फ़्री 1800‑115‑526 या आधिकारिक ग्रिवांस पोर्टल (pmkisan.gov.in/Grievance.aspx) पर शिकायत दर्ज कर सकते हैं। स्थानीय कृषि कार्यालय भी सहायता प्रदान करता है।

20 टिप्पणि

Anil Puri
Anil Puri
अक्तूबर 16, 2025 AT 21:43

सरकार ने बाढ़‑पीड़ित किसानों को जल्दी पैसा भेजा, पर असली समस्या जमीन का क्षरण है, पैसे से नहीं बदलेंगे। यह त्वरित ट्रांसफर हलचल तो पैदा करती है, पर दीर्घकालिक समाधान नहीं देता। किसान अब भी फसल के लिए उचित बीज और उर्वरक नहीं खरीद पाएंगे। इसलिए हमें संरचनात्मक सुधारों पर भी ध्यान देना चाहिए।

poornima khot
poornima khot
अक्तूबर 18, 2025 AT 20:27

वास्तव में यह कदम एक समर्थन जैसा प्रतीत होता है, विशेषकर उन महिलाओं के लिए जो अक्सर किनारे पर रहती हैं। वित्तीय मदद से उनकी शाश्वतता में वृद्धि हो सकती है। बाढ़‑बाद की स्थिति में यह आशा की किरण है, हालांकि इसे निरंतरता चाहिए। इस प्रकार के पहल को सामाजिक रूप से सराहना चाहिए।

Mukesh Yadav
Mukesh Yadav
अक्तूबर 20, 2025 AT 19:11

ये पैसा का जाल है, हमें स्वावलंबी बनना चाहिए।

Yogitha Priya
Yogitha Priya
अक्तूबर 22, 2025 AT 17:56

सच्ची स्वतंत्रता तभी आएगी जब हम सरकार पर निर्भरता कम कर अपने खेतों को सुदृढ़ बनाएं। नकदी मदद अस्थायी राहत है, पर सतत कृषि तकनीकें ही भविष्य का समाधान हैं। यह जमघट केवल सतहीय राहत के रूप में देखना चाहिए, नहीं तो दीर्घकाल में नुकसान होगा।

Rajesh kumar
Rajesh kumar
अक्तूबर 24, 2025 AT 16:40

देशभक्तों को यह देखकर खुशी होगी कि केंद्र ने बाढ़‑पीड़ित किसानों को तुरंत मदद पहुंचाई। इस तरह के कदम से राष्ट्रीय एकजुटता और आत्मविश्वास बढ़ता है। हमें यह याद रखना चाहिए कि हमारी भूमि हमारी शान है, और इस शान को बचाने हेतु सरकार की हर नीति को प्रोत्साहन देना चाहिए। बाढ़ के बाद भी कृषि जारी रहनी चाहिए, नहीं तो देश की आत्मा क्षीण हो जाएगी। इसलिए इस पहल को सराहना के साथ पूरा समर्थन देना चाहिए।

Bhaskar Shil
Bhaskar Shil
अक्तूबर 26, 2025 AT 14:24

मिटिंग के बाद थोड़ा सख्त भाषा में कहा जाए तो यह वित्तीय सहायता एक त्वरित दवाब जैसा है, पर हमें इसको एक विस्तृत सत्कार योजना में बदलना चाहिए। क्लारिटी और ट्रांजिशन प्रोसिड्यूर को आसान बनाने से किसानों को लाभ पहुंचेगा। KYC जैसी प्रक्रियाओं को डिजिटल सॉल्यूशन से जोड़ना उपयोगी रहेगा।

Deepak Verma
Deepak Verma
अक्तूबर 28, 2025 AT 13:08

सरल शब्दों में, मदद मिली है तो ठीक है।

Rani Muker
Rani Muker
अक्तूबर 30, 2025 AT 11:52

ये भुगतान किसानों को ज़रूरी संसाधन प्रदान करता है, खासकर छोटे किसानों को। हमें इस कदम को आगे भी जारी रखना चाहिए ताकि हर साल की बाढ़ से उत्पन्न समस्याओं का समाधान हो सके।

Hansraj Surti
Hansraj Surti
नवंबर 1, 2025 AT 10:37

जब हम इस तरह की सरकारी पहल की चर्चा करते हैं, तो कई पहलुओं को समझना आवश्यक है।
पहला, यह रकम बाढ़‑पीड़ित किसानों के जीवन में तत्काल राहत लाती है।
दूसरा, यह कदम सामाजिक सुरक्षा के ढांचे को मजबूत करता है।
तीसरा, निरंतरता और पारदर्शिता इस प्रक्रिया को अधिक विश्वसनीय बनाती है।
चौथा, बैंकिंग प्रणाली में डिजिटल एक्सेस को बढ़ावा देना अनिवार्य है।
पाँचवां, महिला किसानों के हिस्से को विशेष ध्यान देना चाहिए क्योंकि वे अक्सर हल्के हाथों से काम करती हैं।
छठा, इस सहायता का प्रभाव दीर्घकालिक कृषि उत्पादन पर पड़ता है।
सातवां, भविष्य में KYC जैसी शर्तें डेटा सुरक्षा को सुदृढ़ करती हैं।
आठवां, लेकिन यह भी जरूरी है कि ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट का विस्तार हो।
नवां, ग्रामीण नेता और समूहों को इस प्रक्रिया में सक्रिय भागीदारी करनी चाहिए।
दसम, राज्यों के बीच समान वितरण सुनिश्चित करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
ग्यारहवां, इस तरह की योजनाओं का सही उपयोग करने के लिए प्रशिक्षण आवश्यक है।
बारहवां, सरकारी विभागों को किसानों की प्रतिक्रिया सुननी चाहिए।
तेरहवां, समग्र आर्थिक प्रभाव को मापने के लिए आँकड़े संग्रह महत्वपूर्ण है।
चौदहवां, इस पहल के माध्यम से राष्ट्रीय एकजुटता की भावना को बढ़ावा मिलेगा।
पंद्रहवां, अंत में, हमें इस विचार को रखना चाहिए कि हर सहायता का लक्ष्य सतत विकास होना चाहिए।
सोलहवां, इसलिए मैं कहूँगा कि यह कदम सकारात्मक दिशा में है, पर सतर्क रहना भी ज़रूरी है।

Naman Patidar
Naman Patidar
नवंबर 3, 2025 AT 09:21

वित्तीय मदद आवश्यक थी।

Vinay Bhushan
Vinay Bhushan
नवंबर 5, 2025 AT 08:05

बिलकुल सही कहा, यह मदद किसानों के लिए एक नई ऊर्जा का स्रोत बन सकती है। हमें इस पहल को निरंतर समर्थन देना चाहिए ताकि हर किसान को असली विकास मिल सके। साथ ही, इस प्रक्रिया में सकारात्मक रवैया अपनाना जरूरी है।

Gursharn Bhatti
Gursharn Bhatti
नवंबर 7, 2025 AT 06:49

देखो, हर बार सरकार कुछ न कुछ नई योजना लेकर आती है, पर असली मुद्दा यह है कि इन योजनाओं की सही तरह से कार्यान्वयन हो। अगर KYC जैसी शर्तें तोड़-फोड़ के बिना पूरी हों, तभी किसानों को असली लाभ मिलेगा। इसलिए सतर्क रहना और अपने अधिकारों को समझना ज़रूरी है।

Arindam Roy
Arindam Roy
नवंबर 9, 2025 AT 05:33

खैर, यही है न।

Parth Kaushal
Parth Kaushal
नवंबर 11, 2025 AT 04:18

भारी पानी के बाद यह राशि कुछ राहत देती है, पर उससे भी ज़्यादा ज़रूरी है कि किसान खुद खुद को सशक्त बनाने के उपाय ढूंढ़ें। यह सिर्फ़ एक बार की सहायता नहीं, बल्कि एक निरंतर प्रक्रिया होनी चाहिए। राष्ट्रीय भावना को बढ़ाने के साथ-साथ व्यक्तिगत मेहनत भी अहम है।

Namrata Verma
Namrata Verma
नवंबर 13, 2025 AT 03:02

आप देख रहे हैं, सरकार के कदम हमेशा सतही होते हैं; असली परिवर्तन तो जमीन से जुड़ी सूचनात्मक तकनीकों में है!; यही वजह है कि हम इतने समय से इंतज़ार कर रहे हैं; अब समय है कि हम खुद पहल करें!.

Rashid Ali
Rashid Ali
नवंबर 15, 2025 AT 01:46

बाढ़‑पीड़ित किसानों के लिए यह वित्तीय सहायता एक वास्तविक समर्थन है। हमें इस मदद को सद्भावना के साथ स्वीकार करना चाहिए और साथ ही स्थानीय स्तर पर सहयोगियों के साथ मिलकर भविष्य की योजना बनानी चाहिए।

Tanvi Shrivastav
Tanvi Shrivastav
नवंबर 17, 2025 AT 00:30

आह! इस तरह की योजना तो हमेशा बैनर पर चमकती रहती है, पर असली मज़ा तो तब है जब हम इसे सही ढंग से लागू करवाएं। 😂 कोई तो देखता ही नहीं कि क्या हो रहा है, लेकिन मैं तो कहूँगा इसका समर्थन तो करूँगा, बस थोड़ा फॉर्मलिटी का ध्यान रखें।

Ayush Sanu
Ayush Sanu
नवंबर 18, 2025 AT 23:14

परिणामस्वरूप, यह पहल कुल मिलाकर उपयोगी है।

Jay Fuentes
Jay Fuentes
नवंबर 20, 2025 AT 21:59

सभी को यह मदद मिल रही है, यह बहुत अच्छी बात है! चलिए इस उत्साह को बनाये रखें और आगे भी सकारात्मक बदलाव लाएँ।

Veda t
Veda t
नवंबर 22, 2025 AT 20:43

ये विचारधारा की लड़ाई नहीं, आर्थिक मदद की बात है, और हमें इसे सीधा लेना चाहिए।

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