प्रारंभिक मुकाबले में भारत की जीत
पेरिस 2024 ओलंपिक के पहले मैच में भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने शानदार प्रदर्शन करते हुए न्यूजीलैंड को 3-2 से हराकर जोरदार शुरूआत की। इस जीत ने पूरे देश में खुशी की लहर दौड़ा दी है। पहला क्वार्टर न्यूजीलैंड के पक्ष में गया, जिन्होंने तेज शुरुआत करते हुए पहला गोल दागकर बढ़त बनाई। लेकिन भारतीय टीम ने आत्मविश्वास नहीं खोया। अगले तीन क्वार्टर में टीम ने अद्वितीय खेल दिखाते हुए पीछे की तरफ से आकर मुकाबला अपने पक्ष में किया।
महत्वपूर्ण गोल और अनुभवी खिलाड़ियों की भूमिका
भारतीय टीम के लिए पहले गोल की शुरुआत कीmandeep sing. इसके बाद vivek sagar prasad ने दूसरा गोल किया। कप्तान Harmanpreet singh ने टीम की जीत को सुनिश्चित किया। इन गोलों ने टीम का हौसला बढ़ाया और दर्शाया कि उसमें किसी भी स्थिति से वापस आने की क्षमता है। इन अनुभवी खिलाड़ियों की योजना और उनके अनुभव ने टीम के सेग पर जीत का परचम लहराया।
गोलकीपर PR श्रीजेश की अहम भूमिका
गोलकीपर PR श्रीजेश ने भी अपने अद्वितीय बचाव से टीम की रक्षा की। खासकर तीसरे क्वार्टर में उनकी शानदार बचाव ने भारतीय टीम को मजबूती प्रदान की। यह उनकी चौथी और अंतिम ओलंपिक प्रतियोगिता है, जिसमें उन्होंने अपने करियर के अंत समय तक सबसे अधिकतम देने की कोशिश की है। उनके अनुसार, यह जीत टीम के लिए एक 'वेक अप कॉल' है, जिसमें टीम ने अपनी अधिकतम क्षमता का प्रदर्शन किया।
कोच क्रेग फुल्टन की आलोचना और भविष्य की रणनीति
जीत के बावजूद, टीम के कोच क्रेग फुल्टन ने टीम की आलोचना की। उनके अनुसार, भारतीय टीम को गेंद पर अधिक पकड़ बनाना होगा और कब्जे के मामले में और सुधार लाना होगा। कोच के अनुसार, इस जीत के बावजूद, कई क्षेत्रों में टीम को काम करने की आवश्यकता है ताकि अगली बार और भी बेहतर प्रदर्शन किया जा सके।
अगला मुकाबला अर्जेंटीना से
भारतीय टीम का अगला मुकाबला 29 जुलाई को अर्जेंटीना से होगा। यह मैच भी काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि अर्जेंटीना की टीम भी मजबूत मानी जाती है। भारतीय खिलाड़ियों को अपनी रणनीति और खेल पर ध्यान केंद्रित रखते हुए, अपने प्रदर्शन में और भी सुधार करना होगा ताकि वे अपने ग्रुप में शीर्ष पर पहुंच सकें।
इस जीत के साथ ही भारतीय टीम ने साबित कर दिया है कि वह किसी भी चुनौती को पार कर सकती है। खिलाड़ियों की मेहनत और संकल्प ने उन्हें यह सफलता दिलाई है और आगे भी संघर्ष जारी रहेगा।
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18 टिप्पणि
ये टीम तो बस फिल्मी कहानी है। एक तरफ गोलकीपर ने जादू किया, दूसरी तरफ कोच का गुस्सा। बस अब अर्जेंटीना के खिलाफ भी ऐसा ही नाटक चलेगा।
pr shreejesh ki performance toh pure olympics ka highlight hai... 3rd quarter me jo save kiya wo kisi bhi pro goalkeeper se bhi better tha. ye ladka apne career ke end pe bhi ek god mode me hai.
गेंद पर कब्जा बढ़ाना जरूरी है। अगले मैच में फुल्टन कोच की बात सुनकर टीम को बेहतर बनाना होगा। बस दबाव में गोल नहीं करना पड़े।
ये सब बातें तो ठीक है... पर क्या आपने सोचा कि ये जीत भी किसी ने बनाई होगी? मैंने तो सुना है कि ओलंपिक ऑर्गनाइजर्स ने भारत को आसान मैच दिया है। अर्जेंटीना आएगा तो सब पता चल जाएगा 😏
इस जीत के माध्यम से भारतीय हॉकी ने अपनी परंपरा को फिर से स्थापित किया है। एक अनुभवी गोलकीपर की निष्ठा, एक युवा टीम की ऊर्जा, और एक विदेशी कोच की वैज्ञानिक रणनीति - यही तो विकास का सार है।
मैं तो रो पड़ा जब श्रीजेश ने वो बचाव किया। इंडिया के लिए ये जीत सिर्फ मैच नहीं, एक भावना है। 🙏
हर कोई कोच की आलोचना कर रहा है? बस जीत गए तो खुश हो जाओ! अर्जेंटीना के खिलाफ जब लाल झंडा लहराएगा तो फिर देखोगे कि कौन बोलता है!
पहले मैच में ये जीत तो थोड़ी जुगाड़ वाली लगी। अगला मैच असली टेस्ट है। अर्जेंटीना के खिलाफ ये टीम फेल हो जाएगी। तैयार रहो नाराजगी के लिए।
कोच की बात सही है। बस एक बार गेंद पर कब्जा बना लो, तो दूसरे टीम को बस देखना पड़ेगा। श्रीजेश तो बहुत अच्छा है, लेकिन टीम को अपनी गेंद नियंत्रित करनी होगी।
हॉकी एक टीम स्पोर्ट्स है। एक खिलाड़ी के बल पर जीत नहीं होती। श्रीजेश का बचाव अद्भुत था, लेकिन मंदीप और विवेक के गोल भी टीम के अच्छे ट्रांजिशन का परिणाम थे। यही बात कोच चाहते हैं।
गेंद पर कब्जा 60% से नीचे नहीं होना चाहिए। अर्जेंटीना के खिलाफ टीम को अपनी पॉजिशनिंग सुधारनी होगी।
अर्जेंटीना के खिलाफ जीतना तो बस शुरुआत है। अगर ये टीम फाइनल तक पहुंच गई तो भारत के सारे खेल बदल जाएंगे। ये जीत तो बस एक शुभ आरंभ है।
हॉकी के नए एरा में डिफेंस और पॉजिशनिंग का ट्रेनिंग बहुत जरूरी है। अर्जेंटीना के खिलाफ टीम को ट्रांसिशन गेम पर फोकस करना होगा।
क्या ये जीत सिर्फ खेल की जीत है? या एक देश के लिए आत्मविश्वास की वापसी? हर गोल एक नए बच्चे के सपने को जीवन दे रहा है।
श्रीजेश की बचाव देखकर लगा जैसे कोई अंतिम दीवार खड़ी हो गई। ये टीम अभी शुरुआत में है। अर्जेंटीना के खिलाफ भी यही जुनून दिखाएंगे।
अर्जेंटीना तो बस एक टेस्ट है... पर अगर इन्होंने फाइनल तक जीत लिया तो क्या होगा? शायद अब सब कुछ बदल जाएगा... और फिर कोई नहीं बोलेगा कि हॉकी बोरिंग है 😎
श्रीजेश ने जो किया वो जादू नहीं बल्कि दशकों की अनुभव की बात है। ये जीत उनके लिए आखिरी नहीं, बल्कि सबसे बड़ी शुरुआत है।
यहाँ कोई भी नहीं बता रहा कि टीम के अंदर ट्रेनिंग टेक्निक्स में क्या कमी है? बाहरी निर्भरता के बजाय भारतीय एकेडमी को अपग्रेड करना चाहिए। अगले दशक के लिए ये जीत बेकार होगी अगर सिस्टम नहीं बदला।