नवरात्रि के चौथे दिन माँ कूष्मांडा की पूजा का महत्व और लाभ

नवरात्रि के चौथे दिन माँ कूष्मांडा की पूजा का महत्व और लाभ

माँ कूष्मांडा: नवरात्रि के चौथे दिन की आराध्य देवी

नवरात्रि के चौथे दिन माँ कूष्मांडा का पूजन किया जाता है, जिन्हें देवी दुर्गा के चौथे रूप के रूप में जाना जाता है। माँ कूष्मांडा उनकी श्रेष्ठता और दिव्यता का प्रदर्शन करती हैं, और उनकी पूजा अर्चना विशेष रूप से उन श्रद्धालुओं के लिए लाभकारी होती है जो संकल्प और समर्पण के साथ प्रतिष्ठित होते हैं। यह दिन उनकी अनुकंपा से घर में सुख-शांति और समृद्धि लाने का प्रतीक होता है।

माँ कूष्मांडा का स्वरूप और प्रतीकात्मकता

माँ कूष्मांडा को अष्टभुजा देवी भी कहा जाता है क्योंकि उनकी आठ भुजाएं हैं। उनका नाम तीन शब्दों से मिलकर बना है: 'कू', 'उष्मा', और 'अंडा'। यह इंगित करता है कि वे ब्रह्मांड की संरचना में ऊष्मा का संचार करती हैं और जीवन का संचार करती हैं। इस माध्यम से, वे सकारात्मकता का संचार करती हैं और समृद्धि और दीर्घायु का आशीर्वाद देती हैं।

पूजा के महत्व और प्रक्रियाएं

माँ कूष्मांडा की उपासना करने से धन, स्वास्थ्य और समृद्धि का विकास होता है। उनका पूजन करते समय, लाल फूल, धूप, गंध, अक्षत, और सफेद कद्दू अर्पित किए जाते हैं। यह माना जाता है कि उनका आशीर्वाद लेने से व्यक्ति को स्वरूप में वृद्धि और मानसिक संतोष मिलता है। उनके लिए एक विशेष मंत्र है: 'दधाना हस्तपद्माभ्याम कूष्मांडा शुभदास्तु मे', जो उनके आशीर्वाद के लिए उच्चारित किया जाता है।

माँ कूष्मांडा और संतान का वरदान

माँ कूष्मांडा का पूजन विशेष रूप से उन दम्पतियों के लिए फलदायी होता है जो संतान की इच्छा रखते हैं। उनकी कृपा से संतान की प्राप्ति होती है और परिवार में खुशियों का संचार होता है। इस दिन की पूजा विशेष रूप से महिलाओं के लिए शुभकारी मानी जाती है जो उनकी गोद सजीव बनाने की इच्छा रखती हैं। यह पर्व और इसके रस्में उन माता-पिता के लिए असीम लाभकारी होती हैं जो समर्पण और श्रद्धा के साथ इस दिन का पूजन करते हैं।

नवरात्रि के चौथे दिन शुभकामनाएं

नवरात्रि के चौथे दिन माँ कूष्मांडा के पूजन की महत्ता को जानकर हर श्रद्धालु के हृदय में उनकी आराधना की दीपावली जल उठती है। माँ कूष्मांडा की पूजा से मिलने वाली शुभकामनाएं और संदेश इस दिन को और भी विशेष बनाते हैं। यह दिन भक्तों को उनके आशीर्वाद से सफल और समृद्ध जीवन की दिशा में बढ़ने का अवसर प्रदान करता है। माता के आशीर्वाद से उनके भक्त जीवन के समस्त संकटों को पार करते हैं और सुख-शांति का जीवन जीते हैं।

8 टिप्पणि

Atanu Pan
Atanu Pan
अक्तूबर 7, 2024 AT 05:40

चौथे दिन की पूजा से घर में सुख आता है, ये बात सच है। मैंने पिछले साल ये रितुअल फॉलो किया और अब तक कोई बड़ा झटका नहीं लगा।
धूप और कद्दू अर्पित करना बहुत छोटी बात लगती है, पर असर बड़ा होता है।

Pankaj Sarin
Pankaj Sarin
अक्तूबर 7, 2024 AT 14:30

ये सब बकवास है भाई साहब ऊष्मा और अंडा से ब्रह्मांड चलता है क्या अब जीवन का राज देवी के आठ हाथों में छिपा है
मैंने तो एक बार गर्मी में कद्दू खाया था और उस दिन मेरी बिल्ली ने मुझे घर से निकाल दिया

Mahesh Chavda
Mahesh Chavda
अक्तूबर 7, 2024 AT 14:47

इतनी आसानी से धर्म को बेकार का नाम देना बहुत अशिष्टता है
कूष्मांडा की पूजा एक आध्यात्मिक अनुभव है जिसे समझने के लिए जीवन का गहराई से अनुभव होना चाहिए
आप जैसे लोग बस तर्क के नाम पर अपने अज्ञान को ढकते हैं
इस तरह की टिप्पणियाँ बस दूसरों को भ्रमित करती हैं

Sakshi Mishra
Sakshi Mishra
अक्तूबर 9, 2024 AT 00:30

कूष्मांडा… कू-उष्मा-अंडा… ये नाम तो एक वैदिक विज्ञान का अद्भुत उदाहरण है!
क्या आपने कभी सोचा है कि ये तीन शब्द एक ब्रह्मांडीय ऊर्जा के तीन स्तरों को दर्शाते हैं?
कू: अज्ञात, उष्मा: ऊर्जा का प्रवाह, अंडा: जीवन का स्रोत…
ये नाम एक मंत्र है, एक विज्ञान है, एक दर्शन है…
और आजकल के लोग इसे बस ‘पूजा’ के नाम पर समझ लेते हैं…
हमने अपनी बुद्धि को धार्मिक रूढ़ि में दबा दिया है…
ये नाम तो प्राचीन वैदिक ज्ञान का एक अद्भुत संक्षेप है…
हमें इसे बस रीति के रूप में नहीं, बल्कि ब्रह्मांडीय सिद्धांत के रूप में जीना चाहिए…
हर अर्पण, हर धूप, हर फूल… ये सब एक विज्ञान है…
हम इसे अनुभव करना भूल गए…
और फिर हम दूसरों को बेवकूफ़ बताते हैं…
क्या आप जानते हैं कि ब्रह्मांड का प्रारंभ एक अंडे से हुआ था…?
और इसी अंडे को ऊष्मा से जीवन दिया गया…
कूष्मांडा तो बस इसी का प्रतीक है…
हम तो बस फूल चढ़ा रहे हैं…

Radhakrishna Buddha
Radhakrishna Buddha
अक्तूबर 10, 2024 AT 05:05

ये वाला दिन तो मेरे घर में बहुत बड़ा है! माँ के लिए जो कद्दू बनता है वो इतना अच्छा होता है कि पूरा परिवार उसके लिए इंतज़ार करता है!
और हाँ, वो मंत्र भी हम रोज़ दोहराते हैं… बस एक बार गलत बोल दिया था तो मम्मी ने पूरा दिन नाराज़ रही!
लेकिन जब से हमने इसे सही किया, तो घर में बिजली भी नहीं गई और बिल्ली भी शांत हो गई!

Govind Ghilothia
Govind Ghilothia
अक्तूबर 11, 2024 AT 00:48

माँ कूष्मांडा की आराधना का अर्थ बस एक विधि या रीति नहीं है।
यह भारतीय संस्कृति के गहरे आध्यात्मिक आधार का प्रतिनिधित्व करती है।
इस दिन का विशेष महत्व इस बात में निहित है कि यह ब्रह्मांड के ऊर्जा के संचार को याद दिलाता है।
हमारे पूर्वजों ने इसे इतना सूक्ष्मता से रचा था कि आज भी यह वैज्ञानिक और दार्शनिक रूप से प्रासंगिक है।
हमें इस विरासत को सम्मान देना चाहिए, न कि इसे बेकार कहना।
इस दिन की आराधना केवल भक्ति नहीं, बल्कि जीवन के साथ सामंजस्य स्थापित करने का एक उपाय है।

Sukanta Baidya
Sukanta Baidya
अक्तूबर 12, 2024 AT 04:43

अरे ये सब तो बस लोगों को डराने का तरीका है।
मैंने एक बार चौथे दिन बिना कद्दू के दिन बिताया था… और मेरी कार चल रही थी, मेरी नौकरी चल रही थी, मैं अभी भी जीवित हूँ।
ये सब बस एक बड़ा लूट का रितुअल है।
माँ कूष्मांडा के नाम पर फूल बेचने वाले लोग ही असली देवी हैं।

Adrija Mohakul
Adrija Mohakul
अक्तूबर 14, 2024 AT 00:01

मैंने इस दिन की पूजा कभी नहीं की थी… लेकिन जब मैंने अपनी बहन के घर देखा तो उन्होंने एक छोटा सा घरेलू यंत्र बनाया था जिसमें लाल फूल और एक छोटा कद्दू था…
और फिर उन्होंने बच्चों को बताया कि ये देवी का आशीर्वाद है…
और अगले हफ्ते ही उनकी बेटी ने स्कूल में एक प्रतियोगिता जीत ली…
मैंने तब सोचा कि शायद ये बस एक अच्छा इरादा है…
जब तुम कुछ अच्छा करने का फैसला करते हो… तो दिमाग उसी दिशा में काम करने लगता है…
मैंने अगले साल खुद भी कद्दू चढ़ाया… और अब तो मैं रोज़ सुबह एक बार इस मंत्र को दोहराती हूँ…
कोई जादू नहीं… बस एक शांत दिमाग…
और अगर आपको लगता है कि ये बेकार है… तो आप बस एक दिन इसे आजमाइए…
बिना किसी दबाव के… बस एक शांत बुद्धि के साथ…

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