चेन्नई स्कूल में हुई घटना: छात्रों की तबीयत अचानक बिगड़ी
चेन्नई के एक निगम स्कूल में एक अज्ञात गैस रिसाव के कारण करीब 30 छात्रों की तबीयत अचानक बिगड़ गई। यह घटना उस समय हुई जब छात्र दोपहर के भोजन के बाद कक्षाओं में वापस लौट रहे थे। बच्चों के अचानक जी मचलाने और उल्टी की शिकायतों के बाद स्कूल प्रशासन तुरंत हरकत में आया। प्रभावित छात्रों को तुरंत पास के अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें निगरानी में रखा है। अधिकारियों का कहना है कि सभी छात्र अब स्थिर हैं और उनका उचित उपचार किया जा रहा है।
तत्काल उपचार और अधिकारियों की प्रतिक्रिया
घटना के तुरंत बाद, स्थिति को संभालने के लिए स्थानीय प्रशासन और पुलिस को सूचित किया गया। बचाव दल ने घटना स्थल पर पहुंचकर सावधानीपूर्वक सभी छात्रों और कर्मचारियों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया। चिकित्सा दल ने तुरंत बच्चों का उपचार शुरू किया और डॉक्टर मेडिकल रिपोर्ट पर लगातार काम कर रहे हैं। भले ही छात्रों की स्थिति अब स्थिर हो, लेकिन अभिभावकों की चिंता स्वाभाविक है कि उनकी सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा जाए।
गैस रिसाव की संभावना: जांच जारी
इस घटना की प्राथमिक जांच के अनुसार, माना जा रहा है कि यह रिसाव संभवतः पास के किसी रासायनिक फैक्ट्री से आया है। अधिकारियों द्वारा तत्काल घटनास्थल पर पहुंचकर मौके की जांच की जा रही है। जबकि गैस रिसाव के ठीक कारण का पता नहीं चल पाया है, स्थानीय प्रशासन इसे गंभीरता से ले रहा है। केमिकल सैंपल्स इकट्ठा कर लिए गए हैं और विशेषज्ञ जांच कर रहे हैं।
गतिविधि की समीक्षा: स्कूलों में सुरक्षित वातावरण की आवश्यकता
हाल ही में हुई एक अन्य घटना, जो तमिलनाडु के होसुर में हुई थी, ने एक बार फिर यह प्रश्न खड़ा कर दिया है कि स्कूलों में सुरक्षित वातावरण का क्या प्रबंध है। होसुर की घटना में लगभग 100 छात्र गैस रिसाव के कारण बीमार हो गए थे। यह घटनाएं स्कूलों के सुरक्षा उपायों की समीक्षा की आवश्यकता को प्रदर्शित करती हैं। दुर्भाग्यवश, ये घटनाएं दर्शाती हैं कि हमारे वातावरण में बच्चों की सुरक्षा अब भी खतरे में है और हमें इसके लिए संगठित प्रयास करने की आवश्यकता है।
अभिभावकों की चिंता और प्रशासनिक जिम्मेदारी
घटना के बाद अभिभावकों में चिंता का माहौल था और स्कूल प्रशासन पर दबाव बढ़ गया है कि इस प्रकार की घटना फिर न हो। प्रशासनिक अधिकारियों का कहना है कि वे ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए कठोर कदम उठाएंगे। इस दिशा में सभी स्कूलों में सुरक्षा प्रोटोकॉल की समीक्षा और अपग्रेडेशन की योजना बनाई जा रही है। साथ ही, केमिकल इंडस्ट्रीज के साथ बेहतर समन्वय स्थापित करने की दिशा में भी काम होगा।
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17 टिप्पणि
ये सब फैक्ट्रियां बच्चों के स्कूल के बिल्कुल पास क्यों बन रही हैं? 🤔 सरकार तो बस फोटो खींचकर फेसबुक पर पोस्ट कर देती है। ये गैस रिसाव अब नया नहीं, ये तो रोज़ हो रहा है।
VOC 120 ppm से ऊपर गैस के लेवल पर एस्थमा और नाक की सूजन तुरंत शुरू हो जाती है। ये जो हुआ, वो एक क्लासिक VOC इंडक्शन केस है।
मैंने अपने बच्चे के स्कूल के पीछे वाली फैक्ट्री की गंध कभी नहीं भूली। हर शाम एक तरह का खट्टा बैंगनी बादल आता था। अभी तक कोई टेस्ट नहीं हुआ? ये तो बस डर लगाने का नाटक है।
अगर बच्चे बीमार हुए तो उन्हें दवा दे दो... और फैक्ट्री बंद कर दो... ये सब बातें क्यों कर रहे हो? 😒
हम सब बच्चों के लिए चिंता कर रहे हैं, लेकिन क्या हम खुद भी अपने घरों में इतना सावधान हैं? बाहर का दोष देना आसान है, लेकिन अंदर का बदलाव जरूरी है।
ये जो बच्चे बीमार हुए... उनकी तस्वीरें देखकर मेरा दिल टूट गया 😭 हम इतने बेकार हो गए हैं कि अब बच्चों को स्कूल में भी सुरक्षित नहीं रख पा रहे!
प्रोटोकॉल के अनुसार, एयर क्वॉलिटी मॉनिटरिंग सिस्टम (AQMS) को स्कूल परिसर में इंस्टॉल किया जाना चाहिए। ये नियमित डेटा कलेक्शन के लिए एक बेसलाइन है। अगर ये नहीं है, तो ये घटना दोहराई जाएगी।
मैंने चेन्नई के एक स्कूल में जॉब की इंटरव्यू दी थी। वहां का एयर क्वॉलिटी मॉनिटर तीन साल से बंद था। कोई ने पूछा भी नहीं।
इस तरह की लापरवाही के लिए डीपी और स्कूल प्रिंसिपल को तुरंत निलंबित किया जाना चाहिए। बच्चों की जान नहीं बल्कि बाहरी बातों का ध्यान है।
हम सब ये सोचते हैं कि बच्चे बीमार हो गए... लेकिन क्या हमने कभी सोचा कि ये बच्चे जिस दुनिया में बड़े हो रहे हैं, वो दुनिया खुद बीमार है? हम नहीं बचा पा रहे, हम तो उसी का हिस्सा हैं।
मैंने अपने बेटे के स्कूल का नियम देखा है - जब भी गैस की गंध आती है, तो बच्चों को अंदर बुलाया जाता है। लेकिन यहां कोई ऐसा नियम नहीं था।
अरे यार इतना बड़ा मामला क्यों बना रहे हो? बच्चे तो बस थोड़ा बीमार हुए... अगर घर में खाना खराब हो जाए तो क्या होता है? वो भी बीमार होते हैं।
मैंने लंदन में एक स्कूल देखा था... वहां हर कक्षा में एयर प्यूरिफायर लगा हुआ था। और हम यहां बच्चों को जहरीली हवा में भेज रहे हैं। ये तो बस एक नसीहत है - आप भी अपने बच्चों को घर पर रख लीजिए।
स्कूल प्रबंधन के द्वारा एयर सैंपलिंग के लिए कोई विधिवत प्रक्रिया नहीं अपनाई गई है। इसके लिए अनुचित व्यवहार के तहत कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए।
ये फैक्ट्री वाले देश के दुश्मन हैं! बच्चों को जहर दे रहे हैं! हमें इन्हें बंद करना होगा। अगर कोई बोले तो बताओ - ये भारतीय नहीं हैं, वो बाहरी हैं।
क्या हमने कभी सोचा कि बच्चों को स्कूल में ले जाने का ये बोझ हम उन पर क्यों डाल रहे हैं? अगर हमारा वातावरण इतना खराब है, तो क्या वो बच्चे ही जिम्मेदार हैं कि वो बीमार हो गए?
किसी ने भी इस बारे में बात नहीं की? ये गैस रिसाव तो चीन वालों की चाल है। उन्होंने हमारे देश में इतने सारे फैक्ट्री बनवा दिए। हमें अपनी जमीन बचानी होगी।