जम्मू-कश्मीर की राजनीति का नया मोड़
जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक गतिविधियों ने एक नया मोड़ लिया है। नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से मुलाकात की है। अब्दुल्ला ने राज्य में नई सरकार के गठन का दावा किया है। यह मुलाकात उमर अब्दुल्ला के एनसी विधायी दल का नेता चुने जाने के एक दिन बाद हुई है। यह मुलाकात सियासी गणित में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है, और इस बार अब्दुल्ला के समर्थन में कई निर्दलीय उम्मीदवार भी आ गए हैं।
नेशनल कॉन्फ्रेंस का बहुमत में दावा
नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) का दावा है कि वह 90 सदस्यीय विधानसभा में 47 विधायकों के साथ बहुमत में है। इस ताकत को केंद्र में रखते हुए, उमर अब्दुल्ला ने उपराज्यपाल को नई सरकार बनाने का प्रस्ताव सौंपा है। राज्य की राजनीति में लंबे समय से इस्तीफा देने के बाद यह एनसी और उमर के लिए नई शुरुआत की तरह है। अब्दुल्ला को समर्थन देने वाले निर्दलीय उम्मीदवार भी एनसी की स्थिति को मजबूत कर रहे हैं।
कांग्रेस का समर्थन और इंडिया गठबंधन की भावना
कांग्रेस पार्टी ने भी एनसी को समर्थन देते हुए, अपनी प्रतिबद्धता को दर्शाया है। कांग्रेस के प्रदेश प्रमुख तारिक हामिद कर्रा ने इस संबंध में बताया कि उनकी पार्टी ने एनसी का समर्थन देश की इंडिया गठबंधन की भावना के अनुरूप किया है और राज्य की बेहतरी के लिए यह समर्थन दिया गया है। कांग्रेस पार्टी और एनसी का यह मिलना, राज्य की राजनीति को नई दिशा देने वाला माना जा रहा है। हालांकि, कांग्रेस ने यह स्पष्ट किया है कि वह आगे की चर्चा के बाद ही सरकार के मॉडल के बारे में कोई निर्णय लेगी।
निर्दलीय विधायकों का समर्थन
कांग्रेस के अलावा, कुछ निर्दलीय विधायकों ने भी उमर अब्दुल्ला को समर्थन देने का निर्णय लिया है। इनमें जम्मू के मुज़फ्फर इकबाल खान, चंदमर से प्यारे लाल शर्मा, छंब से सतीश शर्मा, सुरनकोट से चौधरी मोहम्मद अकरम, और बानी से रमेश्वर सिंह शामिल हैं। इन निर्दलीय विधायकों का समर्थन एनसी को और अधिक मजबूत बनाता है और राज्य में नई सरकार के गठन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
16 अक्टूबर का शपथ ग्रहण समारोह
नई सरकार का शपथ ग्रहण समारोह 16 अक्टूबर को निर्धारित किया गया है, और यह समारोह राजनीतिक परिस्थिति को नया आयाम देने की उम्मीद रखता है। उमर अब्दुल्ला की नीति और नेतृत्व में जम्मू-कश्मीर का राजनीतिक भविष्य एक नए युग की शुरुआत कर सकता है। यह समय राज्य के नागरिकों के लिए उम्मीदों से भरा हो सकता है, जो नई सरकार से प्रगति और स्थिरता की अपेक्षा रखते हैं।
राजनीतिक स्थायित्व के लिए आगे की रणनीति
अगली सरकार की नीति और दिशा को लेकर चर्चाओं का दौर शुरू हो चुका है। यह महत्वपूर्ण होगा कि किस तरह एनसी और कांग्रेस इकट्ठा होकर दिशा निर्देश तय करते हैं और राज्य की जनता के लिए लाभकारी नीतियाँ बनाते हैं। राजनीति के इस मोड़ पर, उमर अब्दुल्ला और उनकी पार्टी से उम्मीदें और भी बढ़ गई हैं, जो राज्य में एक नए सवेरा लाने में सक्षम हो सकते हैं।
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6 टिप्पणि
अरे भाई, ये सब नेशनल कॉन्फ्रेंस का नया नाटक है क्या? उमर अब्दुल्ला तो हमेशा से यही करते रहे हैं - चुनाव जीते तो बहुमत का दावा, हारे तो गठबंधन की बात। अब कांग्रेस भी उनके साथ आ गई, जैसे कोई नया अध्याय शुरू हो रहा है। बस एक बात समझ लो - ये सब राजनीति का खेल है, आम आदमी के लिए कुछ नहीं बदलेगा।
मुझे लगता है अब थोड़ा अच्छा हो सकता है। जम्मू के निर्दलीय विधायक जो आ गए हैं, वो असली बदलाव की नींव हैं। मुझे लगता है अगर ये सब अच्छे इरादे से काम करें तो बात बदल सकती है। बस एक बात - बातें नहीं, काम करने दो।
ये सब देखकर लग रहा है जैसे कश्मीर की राजनीति में एक नया रंग आ रहा है। पहले तो बस दो पार्टियाँ लड़ती थीं, अब निर्दलीय भी आ गए। ये अच्छी बात है। अगर ये सब एक साथ बैठकर बात करें तो बहुत कुछ बदल सकता है। बस एक बात - अब बातों की जगह काम दिखाओ।
16 अक्टूबर को शपथ ग्रहण होगा। बस इतना ही।
अब्दुल्ला जी अच्छे नेता हैं। उन्होंने हमेशा शांति और बातचीत का रास्ता चुना है। अगर ये सरकार असली मेहनत करे तो जम्मू-कश्मीर के लोगों को बहुत फायदा होगा। बस ये याद रखें - लोगों की जरूरतें हैं, न कि नाम के लिए नाम।
अब्दुल्ला को अब शपथ दिलाने का नाटक क्यों? ये सब बस एक धोखा है। कांग्रेस और एनसी का गठबंधन? ये तो बस एक नया रंग बदलने का नाटक है। जब तक जम्मू-कश्मीर के लोगों को सुरक्षा नहीं मिलेगी, तब तक कोई सरकार बेकार है। इंडिया गठबंधन? ये तो बस एक नया नाम है पुराने झूठ का।