हिन्डनबर्ग अनिश्चितता सिद्धान्त क्या है?
आपने शायद कभी न्यूटन के नियमों के बारे में सुना हो. लेकिन बहुत छोटा स्केल, यानी क्वांटम दुनिया में नियम अलग ढंग से काम करते हैं. हिन्डनबर्ग ने 1927 में एक ऐसा सिद्धान्त पेश किया, जो कहता है कि किसी कण की स्थिति और गति को एक साथ बिल्कुल सटीक नहीं मापा जा सकता. जितना आप एक चीज़ को ठीक देखेंगे, उतना ही दूसरी चीज़ का अनुमान कम हो जाएगा.
यह सिद्धान्त थोड़ा उल्टा लगता है, लेकिन यही क्वांटम फिजिक्स की खास बात है. इसे अक्सर ‘अनिश्चितता सिद्धान्त’ या ‘हिन्डनबर्ग का सिद्धान्त’ कहा जाता है. इस विचार ने न केवल भौतिकी को बदल दिया, बल्कि हमारी सोच को भी नई दिशा दी.
हिन्डनबर्ग का इतिहास और मूल विचार
वर्नर हिन्डनबर्ग, जर्मनी के एक युवा वैज्ञानिक, ने इस सिद्धान्त को अपनी पेपर में पेश किया. उनका कहना था: “जब आप कण की स्थिति को बहुत सटीक मापते हो, तो उसकी गति का अनुमान लगाना मुश्किल हो जाता है, और इसके उलटे भी यही सच है.” उन्होंने यह बात गणितीय रूप से दर्शाया, जिससे सिद्धान्त वैज्ञानिकों में जल्दी ही मशहूर हो गया.
हिन्डनबर्ग का काम बर्लिन में उन्नत प्रयोगशालाओं में किया गया, जहाँ उन्होंने इलेक्ट्रॉनों और फोटॉनों के व्यवहार को ध्यान से देखा. उनका सिद्धान्त तुरंत ही कई प्रयोगों में साबित हुआ, इसलिए आज इसे भौतिकी की बुनियादी पहचानों में गिना जाता है.
दैनिक जीवन में हिन्डनबर्ग का असर
शायद आप सोच रहे हों कि यह दूर की विज्ञान वाली बात हमारे रोज़मर्रा की ज़िन्दगी में क्या भूमिका निभाती है? असल में, बहुत सारे टेक्नोलॉजी इस सिद्धान्त पर आधारित हैं. ए.एस.एम. रैडार, मेडिकल इमेजिंग (जैसे MRI) और यहाँ तक कि सिमुलेशन सॉफ़्टवेयर भी कणों की अनिश्चितता को ध्यान में रखकर बनते हैं.
एक और उदाहरण है कंप्यूटर चिप्स. जब ट्रांजिस्टर बहुत छोटे होते हैं, तो उनके इलेक्ट्रॉन्स की स्थिति अनिश्चित हो जाती है, और इस कारण डिजाइनर को खास ट्रिक अपनानी पड़ती है. इसलिए हिन्डनबर्ग का सिद्धान्त सीधे आपके स्मार्टफोन की गति और बैटरी लाइफ को प्रभावित करता है.
अगर आप क्वांटम कंप्यूटिंग में रुचि रखते हैं, तो हिन्डनबर्ग का सिद्धान्त आपका पहला दोस्त बन जाता है. क्वांटम बिट्स (qubits) की अनिश्चित अवस्था ही उन्हें पारम्परिक बिट्स से तेज़ बनाती है. यानी, भविष्य की तेज़ कंप्यूटिंग इस सिद्धान्त के बिना नहीं हो सकती.
सारांश में, हिन्डनबर्ग ने हमें दिखाया कि प्रकृति में कुछ चीज़ें पूरी तरह से मापी नहीं जा सकतीं, और यही सीमा हमें नई तकनीक और नई सोच की ओर ले जाती है. अगली बार जब आप अपना फोन इस्तेमाल करें या डॉक्टर की रिपोर्ट देखें, तो याद रखिए कि हिन्डनबर्ग की अनिश्चितता ने वो सब संभव बनाया है.

अदाणी समूह को SEBI की क्लीन चिट, शेयर 10% तक उछले; हिन्डनबर्ग आरोप खारिज
SEBI ने हिन्डनबर्ग के आरोपों में अदाणी समूह और प्रमोटरों गौतम व राजेश अदाणी को क्लीन चिट दी। नियामक को इनसाइडर ट्रेडिंग, फंड डायवर्जन या अनुचित व्यापार का सबूत नहीं मिला। जांच में जिन ट्रांजैक्शंस पर सवाल थे, वे उस समय की रेगुलेटरी परिभाषा के तहत संबंधित-पार्टी डीलिंग नहीं मानी गईं और सभी लोन ब्याज सहित चुकाए गए। खबर के बाद अदाणी शेयर 10% तक चढ़े।