इज़रायली कमांडो: क्या है उनका रोल और क्यों खास हैं?

जब भी कोई बड़े टेरर या सीमा पर दंगाइयां होती हैं, इज़रायली कमांडो अक्सर सामने आते हैं। ये सशस्त्र बलों के सबसे तेज़, फिट और हाई-टेक यूनिट होते हैं। उनके पास सिर्फ हथियार नहीं, बल्कि गुप्त सूचना, ड्रोन और साइबर टूल्स भी होते हैं। इसलिए उनका हर मिशन बड़ी खबर बन जाता है।

कैसे तैयार होते हैं कमांडो?

कमांडो बनने के लिए सबसे पहले बेसिक सेना में दो साल की सर्विस करनी पड़ती है, फिर विशेष ट्रैनिंग कैंप में चुने जाते हैं। यहाँ उन्हें 12‑किलो वजन वाली बैग लेकर 30 किलोमीटर रूट पर दौड़ना, रात में पर्सनल नेविगेशन करना और फायरआर्म्स के साथ तेज़ शूटिंग सीखनी होती है। ट्रेनिंग की कठोरता का मकसद यही है कि किसी भी स्थिति में वे ठंडे दिमाग से काम कर सकें।

सबसे यादगार ऑपरेशंस

इज़रायली कमांडो ने कई बड़े मिशन सफलतापूर्वक किए हैं—जैसे 1976 का एन्कॉंट्री ऑपरेशन, जहाँ उन्होंने हवाई अड्डे पर किडनी को फ्री किया। हाल ही में 2023‑24 में गाज़ा सीमा के पास एक टेरर नेटवर्क को ध्वस्त करने वाले ‘ऑपरेशन शील्ड’ ने उनकी तेज़ी और सटीकता दिखायी। इन ऑपरेशंस की रिपोर्ट अक्सर मीडिया में आती है, जिससे जनता उनके काम से अवगत रहती है।

कमांडो का उपकरण भी अद्भुत होता है—स्मार्ट स्निपर राइफल, नाइट विज़न गॉगल्स और छोटे ड्रोन जो तुरंत टेरेन मैप बना देते हैं। इस टेक्नोलॉजी की मदद से वे रात में भी लक्ष्य को सटीकता से मारते हैं। अक्सर उनका गैजेट ‘मिराक’ (इज़राइल का हेड-ऑफ़‑ट्राइब) कहा जाता है, जो हर ऑपरेशन में बुनियादी भूमिका निभाता है।

अगर आप कमांडो की ताज़ा खबरें या उनके अगले कदम जानना चाहते हैं, तो यहाँ पर नियमित अपडेट मिलते रहते हैं। नई ट्रेनिंग विधियां, विदेशी सहयोग और हथियारों की अपग्रेडेशन जैसी बातें अक्सर इस टैग पेज में आती हैं।

कई बार कमांडो को सोशल मीडिया पर भी देखा जाता है—जैसे जब वे एक हाई‑रिस्क रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद फोटोज़ शेयर करते हैं। इससे जनता को उनके काम की वास्तविक झलक मिलती है और साथ ही राष्ट्रीय सुरक्षा में उनका योगदान समझ आता है।

अंत में, इज़रायली कमांडो सिर्फ युद्ध के माहिर नहीं—वे साइबर सेक्योरिटी, एंटी‑टेरर ट्रेनिंग और अंतरराष्ट्रीय सहयोग में भी आगे हैं। इस टैग पेज को फॉलो करके आप उनके हर पहलू से जुड़ी जानकारी आसानी से पा सकते हैं।

ऑपरेशन थंडरबोल्ट: एंटेबे में इज़रायल का साहसिक बंधक बचाव अभियान

ऑपरेशन थंडरबोल्ट: एंटेबे में इज़रायल का साहसिक बंधक बचाव अभियान

ऑपरेशन थंडरबोल्ट इज़रायल की उस ऐतिहासिक कार्रवाई का नाम है जिसमें 1976 में एंटेबे हवाईअड्डे पर बंधकों को आतंकवादियों से छुड़ाया गया। इस साहसी मिशन में इज़रायली कमांडो ने मुश्किल हालात में 102 लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला। यह घटना इदी अमीन के समर्थन और इजरायल की निर्णायक कार्रवाई को उजागर करती है।