मध्य प्रदेश हाई कोर्ट – अद्यतन फैसले, प्रक्रिया और कानूनी टिप्स
जब आप मध्य प्रदेश हाई कोर्ट, राज्य का प्रमुख न्यायिक प्राधिकारी जो उच्च स्तर के मुकदमों को सुनता है. यह संस्था MP High Court के नाम से भी जानी जाती है, और मध्य प्रदेश तथा छत्तीसगढ़ के क्षेत्रों में न्यायिक अधिकारिता रखती है. इस कोर्ट का काम सामान्य न्यायालयों से अलग, जटिल वांछनीय मामलों को प्रतिबंधित समय सीमा में निपटाना है। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के बारे में समझना तब जरूरी हो जाता है जब आप कानूनी कदम उँठाने की सोच रहे हों।
इसी संदर्भ में दो सहायक संस्थाएँ आती हैं: सुप्रीम कोर्ट, देश की सर्वोच्च न्यायिक शक्ति जो हाई कोर्ट के निर्णयों को अपील के स्तर पर देखती है और वकील, कानूनी प्रतिनिधि जो याचिकाएँ तैयार करता है और अदालत में आपका बचाव करता है. सुप्रीम कोर्ट के precedents अक्सर मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के निर्णयों को निर्देशित करते हैं, जबकि वकील की रणनीति आपके केस की सफलता को सीधे प्रभावित करती है। ये तीनों संस्थाएँ मिलकर न्यायिक प्रक्रिया को संतुलित बनाती हैं।
मुख्य सेवा और प्रक्रिया
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य कार्यों में आपत्ति दाखिल करना, बंधक मामलों का निपटारा, आपराधिक और दीवानी मामलों की सुनवाई, तथा मौलिक अधिकारों की रक्षा शामिल है। केस फाइल करने के लिए ऑनलाइन पोर्टल 'e-Courts' पर रजिस्ट्रेशन करना आसान है; यहाँ से आप याचिका अपलोड कर सकते हैं, ट्रैक कर सकते हैं और अदालत के आदेश प्राप्त कर सकते हैं। यदि आप किसी मौजूदा फैसले के खिलाफ अपील चाहते हैं तो सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों को ध्यान में रखकर सही समय सीमा (आमतौर पर 90 दिन) का पालन करना आवश्यक है।
एक सामान्य प्रक्रिया को समझना अक्सर लोगों को भ्रमित करता है। प्रथम चरण में वादी को अपना शिकायत पत्र (विफायर) बनाना होता है, जिसे न्यायिक प्रक्रिया, प्रक्रिया नियम जो फाइलिंग, नोटिस और सुनवाई को नियंत्रित करती है के तहत दर्ज किया जाता है। इसके बाद कोर्ट क्लर्क केस को लॉग करता है और नोटिस जारी करता है। वादियों और प्रतिवादियों को दोनों को अपने साक्ष्य जमा करने का अवसर मिलता है, जिसके बाद एक निर्धारित दिन पर सुनवाई होती है। यदि पक्षों में समझौता हो जाता है, तो कोर्ट उसका आदेश दे सकता है, नहीं तो अंतिम फैसला सुनाया जाता है।
इन सभी चरणों को समझने के बाद, आप अपने अधिकारों को बेहतर तरीके से सुरक्षित रख सकते हैं। नीचे दी गई सूची में आप को विभिन्न समाचार, केस स्टडी, और प्रक्रिया संबंधी अपडेट मिलेंगे — जैसे हाई कोर्ट की ताज़ा फ़ैसले, आवेदन फॉर्म, वकीलों के सुझाव, और न्यायिक सुधार पर रिपोर्ट। यह संग्रह आपके लिए एक छोटा‑सा गाइड है, चाहे आप पहली बार कोर्ट में जा रहे हों या अनुभवी litigant हों। अब आगे बढ़ें और देखें कि कैसे मध्य प्रदेश हाई कोर्ट आपके कानूनी सफर को आकार देता है।

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में कर ऑडिट रिपोर्ट की समय सीमा बढ़ाने की याचिका
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में 30 सितंबर 2025 को समाप्त होने वाली कर ऑडिट रिपोर्ट की समय सीमा बढ़ाने की याचिका दायर हुई है। राजस्थान और कर्नाटक की अदालतों ने पहले ही समान राहत दी है। टैक्स प्रोफेशनल्स तकनीकी गड़बड़ी, घटती समय‑सीमा और वार्षिक बाढ़ से जूझ रहे हैं। कई सांसद और कर संगठनों ने भी सीबीडीटी से विस्तार की माँग की है। कोर्ट के फैसले पर राष्ट्रीय स्तर की प्रतिक्रिया ताज़ा है।