मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में कर ऑडिट रिपोर्ट की समय सीमा बढ़ाने की याचिका

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में कर ऑडिट रिपोर्ट की समय सीमा बढ़ाने की याचिका

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के सामने एक नई याचिका दायर की गई है, जिसमें कर ऑडिट रिपोर्ट जमा करने की अंतिम तिथि को बढ़ाने का अनुरोध किया गया है। मौजूदा 30 सितम्बर 2025 की समय सीमा कई टैक्स पेशेवरों और करदाताओं को कठिनाइयों में डाल रही है। याचिका में बताई गई प्रमुख वजहें तकनीकी glitches, कम समय‑सीमा और अन्य मौसमी कारक हैं।

अभी तक के न्यायिक फैसले और उनका प्रभाव

राष्ट्रभर में कई हाई कोर्ट ने समान अनुरोधों को स्वीकार किया है। राजस्थान हाई कोर्ट की जोधपुर बेंच ने हाल ही में अस्थायी आदेश जारी कर रिपोर्ट की तिथि 31 अक्टूबर 2025 तक बढ़ा दी। इसी तरह कर्नाटक हाई कोर्ट ने भी चार्टर्ड एकाउंटेंट्स एसोसिएशन की याचिका के बाद 31 अक्टूबर को नई समय सीमा तय की। इन फैसलों से स्पष्ट हुआ कि कोर्टें करदाताओं को कठिन समय‑सीमा से बचाने में सक्रिय भूमिका निभा रही हैं।

जटिलताओं की वजहें और राष्ट्रीय प्रतिक्रिया

जटिलताओं की वजहें और राष्ट्रीय प्रतिक्रिया

टैक्स प्रोफेशनल्स ने कई कारणों को विस्तार का आधार बताया है:

  • आयकर रिटर्न और ऑडिट यूटिलिटी का देर से जारी होना, जिससे फाइलिंग की तैयारी में बाधा आती है।
  • ई‑फाइलिंग पोर्टल पर लगातार तकनीकी गड़बड़ियाँ, जो फॉर्म अपलोड या सिग्नेचर प्रक्रिया को रोकती हैं।
  • अन्य विधायी दायित्वों के साथ टकराव, जैसे GST रिटर्न और कंपनियों के वार्षिक रिपोर्टिंग दायित्व।
  • उत्तरी राज्यों में हाल की बाढ़, जिसने कई व्यवसायों की सामान्य कार्यप्रवाह को बाधित कर दिया।

इन चुनौतियों के मद्देनज़र, ऑल इंडिया फ़ेडरेशन ऑफ़ टैक्स प्रैक्टिशनर्स ने दिल्ली हाई कोर्ट में 31 अक्टूबर तक विस्तार तथा ऑडिट मामलों में आयकर रिटर्न की सीमा को 30 नवम्बर तक बढ़ाने की याचिका दर्ज की। इसी तरह, चार्टर्ड एकाउंटेंट्स इंस्टिट्यूट ने सीबीडीटी के चेयरमैन को लिखित शिकायत भेजी, जिसमें सभी टैक्सपेयर्स को वर्तमान तकनीकी बॉटलनेक से बाहर निकलने की अपील की गई।

राजनीतिक स्तर पर भी कई सांसद इस दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं। गुजरात के देवु सिंह जेएसिंगभाई चौहान सहित पाँच सांसदों ने सीबीडीटी को आधिकारिक रूप से पत्र लिखकर सेक्शन 44AB के तहत 2025‑26 के असेसमेंट इयर की रिपोर्टिंग तिथि को बढ़ाने की मांग की। हरियाणा के सीए नितिन बन्सल ने खुद सीबीडीटी अध्यक्ष से मिलकर इस मुद्दे पर तत्काल कार्रवाई की आशा व्यक्त की।

जबकि कुछ राज्यों को न्यायिक राहत मिली है, मध्य प्रदेश के करपेशेवर अभी भी कोर्ट के निर्णय का इंतज़ार कर रहे हैं। अगर हाई कोर्ट का फैसला अभी भी 30 सितंबर की तिथि को कायम रखता है, तो कई फर्मों को देर रात तक काम करने और अतिरिक्त संसाधन लगाकर फाइलिंग पूरी करनी पड़ेगी। इस बीच, कर विभाग की ओर से कोई राष्ट्रीय-level घोषणा नहीं आई है, जिससे असमानता और बढ़ सकती है।

समग्र रूप में, भारत का कर अनुपालन पर्यावरण तकनीकी, नियामकीय और प्राकृतिक चुनौतियों के संगम पर खड़ा है। न्यायालय, संसद और पेशेवर संगठनों की सहयोगी कार्रवाई ही इस दुविधा को हल कर सकती है, जिससे सभी करदाता समय पर और सुगमता से अपना दायित्व पूरा कर सकें।

14 टिप्पणि

Sakshi Mishra
Sakshi Mishra
सितंबर 27, 2025 AT 18:50

ये सब तो बस एक और ब्यूरोक्रेटिक चक्र है... हर साल एक ही कहानी। टैक्स फाइलिंग की तारीख बढ़ाने की बजाय, अगर सिस्टम को स्मार्ट बना दिया जाए, तो ये सारी गड़बड़ियाँ खत्म हो जाएँगी।

हमें टैक्स ऑडिट के लिए एक AI-आधारित ऑटो-पॉपुलेटेड टूल चाहिए, न कि और एक महीने की छूट।

जब तक हम इंसानों को टैक्स नियमों के बजाय टेक्नोलॉजी के साथ काम करने के लिए तैयार नहीं करते, तब तक ये चक्र चलता रहेगा।

मैं बस इतना कहना चाहती हूँ-क्यों नहीं जोधपुर और बेंगलुरु के फैसले को नेशनल स्टैंडर्ड बना दिया जाए?

हर राज्य के लिए अलग-अलग तिथियाँ? ये तो अनियमितता का नाम है।

और फिर हम भारत की डिजिटल इकोनॉमी के बारे में गर्व करते हैं? बस एक फॉर्म भरने के लिए दो महीने की छूट चाहिए?

मैं एक एकाउंटेंट हूँ, और मैं बस इतना कहूँगी-हमें टैक्स लॉ को सरल बनाने की जरूरत है, न कि उसे लचीला बनाने की।

क्या आपने कभी सोचा है कि जब हम ये बातें करते हैं, तो छोटे व्यवसायी अभी भी अपने बच्चों के बिस्तर के पास लैपटॉप लेकर बैठे हैं?

हम बस इंतज़ार कर रहे हैं... और इंतज़ार करते-करते बहुत सारे लोग तोड़ जाते हैं।

हमें बस एक बार विश्वास दिखाना है-कि हम उन लोगों के साथ हैं, जो हमारी अर्थव्यवस्था को चलाते हैं।

इस बार बस एक बार, कृपया, न्याय को एक अर्थ दीजिए।

Ritu Patel
Ritu Patel
सितंबर 29, 2025 AT 12:40

अरे ये सब बकवास है! जिन्होंने ये सिस्टम बनाया, उनका खुद का टैक्स ऑडिट तो कभी नहीं हुआ! बस आप लोगों को देरी की छूट चाहिए, नहीं तो आप क्या करते हो?

क्या आपको लगता है कि आम आदमी को भी इतना टाइम मिलता है?

जब तक आप लोग अपने आप को नहीं सुधारेंगे, तब तक कोई नहीं सुधारेगा!

Deepak Singh
Deepak Singh
सितंबर 29, 2025 AT 16:44

यहाँ तक कि राजस्थान और कर्नाटक के फैसले भी अस्थायी हैं। यह सिर्फ एक टेम्पोररी रिलीफ है, न कि स्थायी समाधान।

अगर सीबीडीटी वास्तव में नियमों को समझता है, तो उसे एक राष्ट्रीय समय सीमा घोषित करनी चाहिए-न कि राज्य-आधारित फैसले।

और हाँ, तकनीकी गड़बड़ियाँ तो जानते हैं, लेकिन उन्हें सुधारने के लिए बजट नहीं आवंटित किया जाता।

यह बस एक ब्यूरोक्रेटिक अनदेखा है।

हम लोग फाइल करने के लिए तैयार हैं, लेकिन इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार नहीं है।

क्या आपको लगता है कि एक चार्टर्ड एकाउंटेंट को रात भर जागकर फाइल करना चाहिए?

यह न्याय नहीं, यह अत्याचार है।

Rajesh Sahu
Rajesh Sahu
सितंबर 30, 2025 AT 00:03

ये सब तो बस एक बड़ा धोखा है! जो लोग टैक्स बचाने के लिए फर्जी बुक्स बनाते हैं, उन्हें टाइम दे दिया जा रहा है!

हमारे देश में अब नियम बनाने वाले नियम तोड़ रहे हैं!

ये जो एकाउंटेंट्स हैं, वो तो अपने क्लाइंट्स के लिए टाइम बढ़ाने की बात कर रहे हैं, लेकिन अपने खुद के टैक्स तो बचाने के लिए भी नहीं जानते!

हमें एक नए नियम की जरूरत है-जो टैक्स बचाने वालों को दंड दे!

इस देश में अब न्याय तो बस उनके लिए है जिनके पास लैपटॉप है!

Chandu p
Chandu p
अक्तूबर 1, 2025 AT 02:42

भाई, ये सब बहुत बड़ी बात है... लेकिन याद रखो, हमारे देश में जो लोग अपने बिजनेस चलाते हैं, वो अक्सर बिना किसी सहारे के लड़ रहे होते हैं।

हमें बस थोड़ी सी मदद चाहिए।

अगर आपको लगता है कि ये बस एक फॉर्म है, तो आप शायद अभी तक एक छोटे व्यवसाय को नहीं देखा होगा।

मैं एक छोटे शहर का एकाउंटेंट हूँ... हर रात दो बजे तक फाइल करता हूँ।

हम नहीं चाहते कि आप हमारे लिए ज्यादा समय दें... बस एक अच्छा सिस्टम दीजिए।

एक अच्छा सिस्टम... वो भी बहुत कम है।

धन्यवाद।🙏

Swami Saishiva
Swami Saishiva
अक्तूबर 2, 2025 AT 23:54

अरे ये सब बेकार की बात है। जिनके पास पैसा है, उनके लिए तो ये फॉर्म भी फ्री है।

बस आप लोगों को देरी की छूट चाहिए, नहीं तो आपका बिजनेस डूब जाएगा?

अगर आप लोगों को इतनी देरी हो रही है, तो शायद आपको अपने आप को बदलना चाहिए।

ये सब बस एक बड़ा भाग रहा है।

Swati Puri
Swati Puri
अक्तूबर 4, 2025 AT 09:46

कर ऑडिट की समय सीमा को बढ़ाने की मांग वास्तविक चुनौतियों को दर्शाती है-तकनीकी बाधाएँ, विधायी ओवरलोड, और असमान राज्यवार लागू होने की स्थिति।

कर विभाग को एक एकीकृत, डिजिटल-प्राथमिक फ्रेमवर्क बनाने की आवश्यकता है, जिसमें ऑटो-कॉम्प्लायंस टूल्स, रियल-टाइम डेटा सिंक, और ऑडिट रिपोर्टिंग ऑटोमेशन शामिल हो।

ये नियमों की लचीलापन नहीं, बल्कि इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी है।

अगर हम टैक्स कम्प्लायंस को एक सेवा के रूप में देखें, तो इसका अर्थ बदल जाएगा।

यह एक अपराध नहीं, बल्कि एक जिम्मेदारी है।

हमें अपने नियमों को लोगों के साथ बनाना होगा, न कि उनके खिलाफ।

एक बार जब इंफ्रास्ट्रक्चर स्थिर हो जाए, तो समय सीमा को वापस ले लिया जा सकता है।

लेकिन अभी, ये विस्तार एक आवश्यक विराम है।

megha u
megha u
अक्तूबर 4, 2025 AT 14:01

ये सब बस एक बड़ा धोखा है... सीबीडीटी ने ये सब जानते हुए भी बनाया है।

अगर तुम लोगों को इतना टाइम चाहिए, तो शायद तुम्हारे पास वो टैक्स नहीं है जो तुम बता रहे हो।

ये सब एक बड़ा कॉन्स्पिरेसी है।

मैं बस इतना कहूँगी... जब तक तुम लोग अपने आप को नहीं बदलोगे, तब तक कोई नहीं बदलेगा। 😏

pranya arora
pranya arora
अक्तूबर 5, 2025 AT 12:59

मैं सोच रही हूँ कि अगर हम इस बार एक नए दृष्टिकोण से देखें-कि टैक्स अनुपालन एक सामाजिक समझौता है, न कि एक अधिकारिक बाध्यता-तो क्या होगा?

हम इसे अपराध के रूप में नहीं, बल्कि एक साझा जिम्मेदारी के रूप में देख सकते हैं।

अगर हम लोगों को टैक्स भरने के लिए प्रेरित करें, न कि डराएं, तो शायद हमें इतनी देरी की जरूरत नहीं पड़ेगी।

क्या हम इस बार एक नए दृष्टिकोण की शुरुआत कर सकते हैं?

Arya k rajan
Arya k rajan
अक्तूबर 5, 2025 AT 15:52

सुनो, मैं एक छोटे शहर का छोटा व्यवसायी हूँ।

हर साल ये टैक्स फाइलिंग का दौर आता है, और हर बार मैं डर जाता हूँ।

लेकिन जब मैं देखता हूँ कि इतने लोग इसी बारे में बात कर रहे हैं, तो लगता है कि मैं अकेला नहीं हूँ।

ये बात बहुत अच्छी लगी।

हम लोग एक साथ खड़े हो सकते हैं।

कोई बड़ा फैसला नहीं चाहिए... बस एक अच्छा सिस्टम।

धन्यवाद।

Sree A
Sree A
अक्तूबर 6, 2025 AT 19:46

सीबीडीटी के पास डेटा है। अगर वो ऑडिट फाइलिंग के लिए एक एल्गोरिदम बना दे, जो ऑटो-एलिजिबिलिटी चेक करे, तो 70% फाइलिंग ऑटोमेट हो जाएगी।

समय सीमा बढ़ाने की बजाय, टेक्नोलॉजी को इंवेस्ट करो।

ये बस एक टेक्निकल इशू है।

DEVANSH PRATAP SINGH
DEVANSH PRATAP SINGH
अक्तूबर 7, 2025 AT 07:52

मैं एक छोटे फर्म का मालिक हूँ।

हमने अपना ऑडिट फाइल कर दिया है।

लेकिन हमारे कई क्लाइंट्स अभी तक नहीं कर पाए हैं।

ये सब बहुत तनावपूर्ण है।

हम आशा करते हैं कि मध्य प्रदेश हाई कोर्ट भी इस मामले में समझ दिखाएगा।

SUNIL PATEL
SUNIL PATEL
अक्तूबर 9, 2025 AT 01:29

आप लोगों को इतना समय चाहिए? तो आप नहीं जानते कि टैक्स फाइल कैसे करना है।

ये एक नियम है।

नियमों को तोड़ने की बजाय, सीखो।

अगर आप नहीं जानते, तो एक एकाउंटेंट रखो।

ये बस एक फॉर्म है।

नहीं तो आपको टैक्स लॉ का ज्ञान होना चाहिए।

Avdhoot Penkar
Avdhoot Penkar
अक्तूबर 9, 2025 AT 23:00

अरे ये सब बकवास है।

अगर तुम्हें टाइम नहीं मिल रहा, तो शायद तुम्हारे पास काम ही नहीं है।

मैंने अपना ऑडिट 3 दिन में कर दिया।

तुम लोग बस आलसी हो। 😎

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