माँ कूष्मांडा कौन हैं? उनका इतिहास और महत्त्व
आपने शायद माँ दुर्गा या सरस्वती के बारे में सुना होगा, पर माँ कूष्मांडा कम लोग जानते हैं। वे शाक्तिपीठ की आठवीं शक्ति हैं और नववर्ष के पहले दिन जन्म लेती मानी जाती हैं। कहा जाता है कि उन्होंने ब्रह्मांड को प्रकाश दिया, इसलिए उनका नाम ‘कुशुम्बा’ यानी ‘प्रकाश देने वाली’ रखा गया है।
पुराणों में लिखा है कि माँ कूष्मांडा ने एक ही दिन में 16 वरदान दिए – इससे उनका आदर बहुत बड़ा है। इस वजह से कई लोग उन्हें स्वास्थ्य, शिक्षा और धन‑सम्पदा की देवी मानते हैं। उनके नाम पर विशेष रूप से कुशुर्मा नववर्ष (जून) के दौरान व्रत रखा जाता है, जिससे जीवन में नई ऊर्जा आती है।
कुशुम्बा जयन्ती कब मनाते हैं?
कुशुम्बा जयन्ती हर साल चैत्र माह की शुक्ल पक्ष के प्रथम तिथि को पड़ती है – यानी आमतौर पर मार्च‑अप्रैल में। इस दिन लोग मंदिरों में फूल, धूप और हल्दी चढ़ाते हैं। अगर आप घर पर पूजा कर रहे हैं तो सफेद कपड़े पहनें, घी और शुद्ध चावल का भोग रखें और माँ कूष्मांडा की मूर्ति या फोटो के सामने दीप जलाएँ।
कुशुम्बा जयन्ती को खास बनाना चाहते हैं? तो सुबह जल्दी उठ कर स्नान करें, फिर हरे पत्ते (पलाश) का सेवन करें। यह माना जाता है कि इससे शरीर में रोग‑प्रतिरोधक शक्ति बढ़ती है और मन शुद्ध हो जाता है।
पूजा के आसान चरण
1. साफ‑सुथरा स्थान तैयार करें: साफ चटाई पर माँ कूष्मांडा की तस्वीर या मूर्ति रखें।
2. प्रकाश और धूप लगाएँ: दो दीये, एक जलते हुए मोमबत्ती और धूप का बर्तन रख दें।
3. भोग की तैयारी: चावल, घी, कुटकी (सूजी) के लड्डू या फल रखें।
4. मन में शांति बनाएं: गहरी साँसें लें और माँ को धन्यवाद कहें।
5. आरती करें: तीन बार ‘ॐ कुशुम्बे नमः’ जपते हुए आरती गाएँ।
पूजा के बाद घर में हल्का संगीत बजाना या शास्त्रीय भजन सुनना अच्छा रहता है, क्योंकि इससे ऊर्जा का प्रवाह बना रहता है।
अगर आप पहली बार कर रहे हैं तो छोटा सा दान (जैसे चंदन का टुकड़ा) भी माँ कूष्मांडा को समर्पित करें। यह उनका मन प्रसन्न करता है और आपके घर में शांति आती है।
माँ कूष्मांडा के भक्त अक्सर कहते हैं कि उनकी पूजा से बीमारियों में कमी, परीक्षा में सफलता और आर्थिक स्थिरता मिलती है। इस भरोसे को देखते हुए कई लोग हर साल यह व्रत रखते हैं। आप भी एक बार आज़मा सकते हैं – शायद आपको वही लाभ मिले जो दूसरों ने महसूस किया है।
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नवरात्रि के चौथे दिन माँ कूष्मांडा की पूजा का महत्व और लाभ
नवरात्रि के चौथे दिन माँ कूष्मांडा की पूजा होती है, जो देवी दुर्गा का चौथा रूप हैं। इन्हें अपने आठ भुजाओं के कारण अष्टभुजा देवी भी कहा जाता है। माँ कूष्मांडा ब्रह्मांड की संरचना की देवी मानी जाती हैं। इनकी उपासना से सुख-समृद्धि और सौभाग्य प्राप्त होता है।