नवरात्रि 2025: कैसे मनाएँ उत्सव बिना झंझट
नवरात्रि आते ही घर-आँगन में रंग और खुशबू भर जाती है। लेकिन कई बार तैयारियों को लेकर उलझन पैदा हो जाती है – क्या खरीदा जाए, कौन‑सी पूजा विधि अपनाएँ, मेहमानों के लिये क्या रखेँ? इस लेख में हम आसान कदम बताएंगे ताकि आप बिना तनाव के त्योहारी माहौल बना सकें।
दुर्गा माँ की पूजा के बेसिक स्टेप्स
पहला काम है पूजा का स्थान तय करना। घर के किसी शांत कोने या बालकनी में साफ‑सुथरा एक छोटा मंच बनाएं और उस पर दुर्दांती प्रतिमा रखें। अगर आपके पास बड़ी मूर्ति नहीं है, तो पिचकारी वाली छोटी मिट्टी की मूरत भी चलेगी। इसके बाद चारों दिशाओं में गंधदायक धूप या कपूर जलाएँ – इससे वातावरण शुद्ध होता है।
पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, और शर्करा) तैयार रखें। ये पदार्थ दुर्गा माँ को अर्पित करने के लिये मुख्य होते हैं। साथ में तुलसी, नींबू, चावल, और नारियल भी रख दें – इनका उपयोग प्रसाद बनाने में होगा। हर शाम एक अंक (पहला से नौवाँ) गिनें और उसी क्रम में माँ की आरती करें। अगर आप ऑनलाइन पूजा देखना पसंद करते हैं तो यूट्यूब पर कई लाइव सत्र उपलब्ध हैं; बस लिंक सेव कर रखें।
सजावट, खरीदारी और मेहमान‑निवाज़ी के आसान टिप्स
सजावट में सबसे बड़ी बचत कागज़ की पत्तियों से आती है। रंगीन काग़ज़ को छोटे-छोटे फूलों जैसा काटें और दीवार या दरवाजे पर चिपकाएँ। अगर बजट थोड़ा कम है तो पुराने कपड़े के टुकड़ों को मोड़‑मोड़ कर रथ बनायें – बच्चा भी ख़ुशी से मदद करेगा।
खरीदारी में फोकस रखें: दो‑तीन बड़े सामान जैसे मिठाई का बॉक्स, शरबत की बोतल और पूजा‑पात्र पहले ही ले लें। छोटे‑छोटे चीज़ें (जैसे दीये, फूल, धूप) आप स्थानीय बाजार से सस्ते दाम में ले सकते हैं – अक्सर शाम के समय बॉलियों पर छूट मिलती है।
मेहमान‑निवाज़ी का सबसे बड़ा रहस्य है तैयारी को पहले ही खत्म कर देना। नवरात्रि में लोग अक्सर 9 दिनों तक घर आते रहते हैं, इसलिए स्नैक्स और हल्की चीज़ें (समोसा, आलू टिक्की) पहले से तैयार रखें। दो‑तीन बड़े पॉट में दही वाले क्रीमी सलाद बनाकर फ्रिज में रख दें – फिर गरम करने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी।
भोजन के बाद प्रसाद को छोटे थालियों में बाँटें और सबको एक साथ खिला‑पिलाएँ। इससे सभी को जुड़ाव महसूस होगा और उत्सव का आनंद बढ़ेगा। अगर आपके घर में बच्चे हैं तो उन्हें छोटी-छोटी कामों (जैसे दीप जलाना, फूल लगाना) सौंपें – यह उनके लिए भी मज़ेदार रहेगा।
अंत में एक बात याद रखें – नवरात्रि सिर्फ पूजा‑पाठ नहीं, बल्कि परिवार के साथ मिलकर खुशियाँ बाँटने का मौका है। अगर आप तनाव से बचना चाहते हैं तो योजना बनाकर चलें और हर दिन को छोटे‑छोटे लक्ष्य में बांटें। इस तरह आप बिना थकान के पूरा नौ‑दिनिया उत्सव आनंदित कर पाएँगे।

नवरात्रि के चौथे दिन माँ कूष्मांडा की पूजा का महत्व और लाभ
नवरात्रि के चौथे दिन माँ कूष्मांडा की पूजा होती है, जो देवी दुर्गा का चौथा रूप हैं। इन्हें अपने आठ भुजाओं के कारण अष्टभुजा देवी भी कहा जाता है। माँ कूष्मांडा ब्रह्मांड की संरचना की देवी मानी जाती हैं। इनकी उपासना से सुख-समृद्धि और सौभाग्य प्राप्त होता है।