प्राइस बैंड क्या है? आसान समझ

जब आप शेयर मार्केट देखते हैं तो अक्सर कीमतों की सीमा दिखती है – वही प्राइस बैंड कहलाता है। यह बैंड दो स्तर तय करता है: ऊपरी (ऊँचा) और निचला (नीचा)। जब कीमत इन दोनों के बीच रहती है, तो ट्रेडिंग आम तौर पर सुरक्षित मानी जाती है। अगर कीमत ऊपर या नीचे की सीमा को पार कर लेती है, तो अक्सर अलर्ट या रोक लग जाता है।

इसे समझना उतना मुश्किल नहीं जितना लगता है. बैंकर, ब्रोकर्स और एग्जीक्यूटिव्स इसको एक साधन के तौर पर इस्तेमाल करते हैं ताकि अत्यधिक उतार‑चढ़ाव को रोका जा सके। खासतौर से छोटे निवेशकों के लिए यह सुरक्षा का जाल बन जाता है.

प्राइस बैंड के प्रकार

मुख्य रूप से दो तरह के बैंड होते हैं:

  • स्टेटिक बैंड: एक बार तय हो जाने पर वही रहता है, जब तक कि एक्सचेंज या नियामक इसे बदल न दे। यह अक्सर शेयर की ऐतिहासिक वोलैटिलिटी पर बेस्ड होता है.
  • डायनमिक बैंड: मार्केट कंडीशन के अनुसार रोज़ रिव्यू किया जाता है. उदाहरण के तौर पर, कुछ एक्सचेंजes ट्रेडिंग शुरू होने से पहले बैंड अपडेट कर देते हैं ताकि अचानक स्पाइक को रोका जा सके.

भारत में BSE और NSE दोनों ही प्राइस बैंड का उपयोग करते हैं। अगर कोई शेयर अपनी निचली सीमा के नीचे गिरता है, तो वह कुछ मिनटों या घंटों तक ट्रेडिंग नहीं कर पाएगा – इसे “कट‑ऑफ़” कहा जाता है. इसी तरह ऊपर की सीमा को छूने पर भी “सस्पेंड” हो सकता है.

ट्रेडर्स के लिए प्रैक्टिकल टिप्स

1. **बैंड का पालन करें** – अगर आपका शेयर बैंड में रहता है, तो उसका ट्रेंड अक्सर स्थिर होता है। अचानक बाहर निकलना रिस्क बढ़ा देता है.

2. **न्यूज़ पर नजर रखें** – जैसे कि हाल ही में अप्रील 2025 में BSE/NSE को तीन दिन के लिए बंद करना (महावीर जयंति, डॉ अंबेडकर जयंति, गुड फ्राइडे) ने कई शेयरों की बैंड रेंज बदल दी। ऐसी घटनाओं से पहले पोर्टफोलियो रीव्यू करें.

3. **इंडिकेटर के साथ मिलाएँ** – RSI या Moving Average जैसे टूल्स को प्राइस बैंड के साथ इस्तेमाल करने से एंट्री‑एग्ज़िट टाइमिंग बेहतर होती है.

4. **लिक्विडिटी देखें** – कम ट्रेडेड शेयरों में बैंड अक्सर चौड़ा रहता है, जिससे स्प्रेड बड़ा होता है। ऐसे स्टॉक्स में छोटे पोज़िशन रखना सुरक्षित रहेगा.

5. **बैंकिंग और कमोडिटीज़ पर ध्यान दें** – MCX या फ्यूचर्स मार्केट भी प्राइस बैंड का पालन करते हैं। अगर आप डेरिवेटिव्स ट्रेड कर रहे हैं, तो बैंड की वैधता समय‑समय पर चेक करें.

सारांश में, प्राइस बैंड सिर्फ एक तकनीकी टूल नहीं है; यह आपके जोखिम को सीमित करने और मार्केट के अनपेक्षित मूवमेंट से बचाने का तरीका भी है. इसे समझकर आप ट्रेडिंग में ज्यादा आत्मविश्वास महसूस करेंगे, खासकर जब बाजार में अचानक हलचल हो.

अंत में एक बात याद रखें: बैंड सेट करने वाले एक्सचेंजेस अपने नियम बदल सकते हैं, इसलिए नियमित अपडेट पढ़ते रहना ज़रूरी है. अगर आप इस जानकारी को रोज़मर्रा की ट्रेडिंग रूटीन में जोड़ देंगे तो प्राइस बैंड आपके लिए एक भरोसेमंद गाइड बन जाएगा.

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