प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार समिति का परिचय
देश की अर्थव्यवस्था को स्थिर और तेज़ी से बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री ने एक विशेष टीम बनायी है – आर्थिक सलाहकार समिति (EAC). यह समूह वित्तीय विशेषज्ञ, उद्योगपति और नीति‑निर्माता मिलकर बनता है। उनका मुख्य काम सरकार को नई नीतियों पर राय देना, मौजूदा योजनाओं की जाँच करना और सुधार के सुझाव पेश करना है.
समिति का हर सदस्य अलग‑अलग क्षेत्र से आता है – बैंकिंग, शेयर बाजार, ऊर्जा, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार आदि. इससे सरकार को विभिन्न दृष्टिकोण मिलते हैं और निर्णय अधिक संतुलित होते हैं. अगर आप समझना चाहते हैं कि इस समिति की रिपोर्टें आपके रोज़मर्रा के खर्च या निवेश पर कैसे असर डालती हैं, तो पढ़ते रहिए.
हाल के प्रमुख सुझाव
पिछले कुछ महीनों में EAC ने कई महत्वपूर्ण मुद्दों को उठाया है. सबसे पहले, शेयर बाजार की छुट्टियों पर उन्होंने एक विस्तृत रिपोर्ट जारी की जिसमें अप्रैल 2025 की तीन‑तीन ट्रेडिंग बंदी (महावीर जयंति, डॉ. अंबेडकर जयंति और गुड फ्राइडे) के असर का विश्लेषण किया गया था. इस रिपोर्ट से ब्रोकरों को समय पर क्लियरेंस प्लान बनाने में मदद मिली.
दूसरा बड़ा कदम BRICS की नई क्रॉस‑बॉर्डर पेमेंट सिस्टम पर सलाह देना था. समिति ने कहा कि अगर भारत 2026 में इसका नेतृत्व करेगा तो डॉलर पर निर्भरता घटेगी और छोटे व्यापारियों को कम लागत वाले लेन‑देने मिलेंगे.
तीसरा, ट्रम्प के टैरिफ़ नीति से भारतीय शेयरों में गिरावट आई थी. सलाहकार समिति ने तुरंत निवेशकों को जोखिम प्रबंधन के उपाय बताये, जिससे कई फंड्स ने पोर्टफोलियो रीबैलेंस किया और नुकसान कम हुआ.
समिति के फैसले का असर
जब आर्थिक सलाहकार समिति कोई नई नीति या सुधार सुझाती है, तो उसका प्रभाव जल्दी दिखता है. उदाहरण के तौर पर Waaree Energies के शेयरों में Q3FY25 की मजबूत रिपोर्ट के बाद 14% उछाल आया. यह सुझाव इस बात का था कि नवीनीकरण ऊर्जा को आगे बढ़ाने वाले नियम आसान हों.
साथ ही, फेडरल रिज़र्व ने ब्याज दरें स्थिर रखी तो भारतीय बाजार में निवेशकों को भरोसा मिला और विदेशी पूँजी के प्रवाह में सुधार हुआ. यह भी समिति की अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक स्थितियों पर ध्यान देने का परिणाम था.
अगर आप छोटे व्यापारी हैं, तो क्रॉस‑बॉर्डर पेमेंट सिस्टम से जुड़ी खबरें सीधे आपके लेन‑देने को सस्ता बना सकती हैं. अगर आप निवेशक हैं, तो शेयर बाजार की छुट्टियों और टैरिफ़ बदलावों पर समिति के विश्लेषण को फॉलो करके नुकसान कम कर सकते हैं.
समिति हर छः महीने में अपनी रिपोर्ट जारी करती है और सरकार उसे संसद में पेश करती है. ये दस्तावेज़ सार्वजनिक होते हैं, इसलिए आप उन्हें रचनात्मक संगम समाचार से आसानी से पढ़ सकते हैं.
संक्षेप में, प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार समिति नीति‑निर्माण का एक अहम हिस्सा बन गई है. उनके सुझावों को समझकर आम जनता और व्यवसाय दोनों ही बेहतर निर्णय ले रहे हैं. आगे भी इस टीम के अपडेट पर नज़र रखें, क्योंकि भारत की अर्थव्यवस्था की दिशा अक्सर इन रिपोर्टों से तय होती है.

प्रसिद्ध आर्थिक विशेषज्ञ और प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार समिति के अध्यक्ष, बिबेक देबरॉय का निधन
भारत के मशहूर आर्थिक विशेषज्ञ और प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार समिति के अध्यक्ष, बिबेक देबरॉय का 69 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। वह भारतीय अर्थव्यवस्था के नीति-निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे थे। उन्होंने 2017 में प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार समिति के अध्यक्ष के रूप में कार्यभार संभाला था। उनके निधन से आर्थिक नीति-मेकिंग और शैक्षणिक मंडलियों में शोक की लहर है।