संकष्टी चतुर्थी – भारतीय कैलेंडर का खास व्रत
जब संकष्टी चतुर्थी, शुक्रमुक्ति के बाद तीसरे तिथि पर मनाया जाने वाला वैध उपवास, संकष्टी व्रत की बात आती है, तो कई लोग उसी दिन के रीति‑रिवाज़ और स्वास्थ्य असर के बारे में पूछते हैं। यह व्रत मुख्यतः कर्तव्य निष्ठा, शारीरिक शुद्धी और मन की एकाग्रता पर आधारित है। उपवास के दौरान केवल फल, नटी और हल्की प्रार्थनाओं को अनुमति है, जिससे शरीर को हल्की ऊर्जा मिलती है और पाचन तंत्र को आराम मिलता है। इस दिन का महत्त्व सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि वैज्ञानिक भी है – कई चिकित्सकों ने बताया है कि समय‑बद्ध उपवास रक्त शर्करा को स्थिर रखता है, कोलेस्ट्रॉल घटाता है और मानसिक स्पष्टता बढ़ाता है।
संकष्टी चतुर्थी अक्सर पापंकुश एकादशी से पहले आती है, इसलिए इसे कई लोग क्रमिक शुद्धि का पहला कदम मानते हैं। इस क्रम को समझना आसान है: पहले संकष्टी चतुर्थी, फिर पापंकुश एकादशी, और अंत में नवरात्रि के तेज़ उपवास‑समय का विश्राम। यह क्रम शरीर और मन को धीरे‑धीरे उच्च स्वर पर ले जाता है।
जुड़े हुए त्यौहार और उनके प्रभाव
एक ही टैग में कई तिथियों का जुड़ाव अक्सर हमारी संस्कृति में देखा जाता है। पापंकुश एकादशी, तीसरी दिवाली के बाद का एक प्रमुख उपवास, जो शत्रु बंधुओं से मुक्तियों के लिए किया जाता है को संकष्टी चतुर्थी के बाद मनाया जाता है, और दोनों के बीच का अंतर मुख्यतः भोजन को लेकर होता है – पापंकुश में केवल फल‑मूल्य और दूध की अनुमति होती है, जबकि संकष्टी में हल्के नट्स और फलों पर अधिक जोर दिया जाता है।
वहीं नवरात्रि, दुर्गा माँ की नौ दिव्य रूपों की पूजा और साथ में तेज़ उपवास का समय अक्सर संकष्टी चतुर्थी के बाद आने वाले महीने में शुरू होता है। नवरात्रि में लोग शक्ति, धैर्य और सामुदायिक भावना को बढ़ाते हैं; यह संकष्टी के शांतिकरण की प्रक्रिया को आगे बढ़ाता है।
इसी तरह कांवड़ यात्रा, सांस्कृतिक कांवड़ की यात्रा, जिसमें श्रद्धालु पवित्र जल और खाद्य सामग्री लेकर चलते हैं के आयोजन भी अक्सर इन उपवास‑विराम के दौरान होते हैं। कांवड़ यात्रा की कठोर पाबंदियाँ, जैसे हथियारों और बाइक्स पर नियंत्रण, संकष्टी के अनुशासन को सामाजिक स्तर पर प्रतिबिंबित करती हैं। इन सभी तिथियों का आपसी संबंध यह दिखाता है कि भारतीय परम्परा में हर व्रत एक बड़े सामाजिक‑धार्मिक जाल का हिस्सा है, जहाँ एक दिन का व्रत दूसरे के लिए मंच तैयार करता है।
अब आप इस पृष्ठ पर आगे पढ़ेंगे कि हाल की खबरों में संकष्टी चतुर्थी से जुड़े कौन‑से अपडेट आए हैं – चाहे वह स्वास्थ्य गाइड हो, मौसम की चेतावनी हो, या इस व्रत के दौरान विशेष कार्यक्रमों की सूची हो। नीचे दी गई लेखों की सूची आपको विभिन्न पहलुओं से अवगत कराएगी: चुनावी परिणामों में सामाजिक असर, खेल की ताज़ा खबरें, बॉलीवुड और व्यापार की हड़बड़ी, और मौसम के बदलाव जो उपवास‑समय को प्रभावित कर सकते हैं। इन विविध लेखों को पढ़कर आप न केवल संकष्टी चतुर्थी की आंतरिक समझ बढ़ाएंगे, बल्कि आज के भारत में इस व्रत की सामाजिक महत्ता को भी महसूस करेंगे।
संकष्टी चतुर्थी 17 जनवरी 2025: सूर्य-चन्द्र क्षण, शुभ मुहूर्त व उपाय
17 जनवरी 2025 को संकष्टी चतुर्थी के शुभ क्षण, व्रत समय, नक्षत्र और प्रमुख उपाय को लेकर अचल्य कृष्णा दत्त शर्मा और पंडित शैलेंद्र पांडे की विशिष्ट सलाह।
