सांसद शपथ: क्या है और क्यों जरूरी?
जब भी नया सांसद या विधायक चुना जाता है, उसे संविधान के तहत एक शपथ लेनी होती है। इस शपथ को "सांसद शपथ" कहा जाता है। यह सिर्फ औपचारिक नहीं, बल्कि लोकतंत्र की बुनियाद रखती है। शपथ लेते समय सदस्य वचन देता है कि वह देश का सम्मान करेगा, संविधान के अनुच्छेदों का पालन करेगा और जनता की सेवा में ईमानदार रहेगा।
शपथ की प्रक्रिया और कानूनी आधार
सांसद शपथ संसद या विधानसभा में गवर्नर/उच्च न्यायालय द्वारा आयोजित होती है। सदस्य को हाथ उठाकर "मैं भारत के संविधान का पालन करूँगा..." जैसी शब्दावली दोहरानी पड़ती है। अगर कोई सदस्य इस शपथ को अस्वीकार करता है तो वह पद से अयोग्य माना जाता है और चुनाव में भाग नहीं ले सकता। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 58 (संसद) और अनुच्छेद 173 (राज्य विधानसभाएँ) में यह प्रक्रिया स्पष्ट की गई है।
शपथ का एक अहम हिस्सा यह भी होता है कि सदस्य अपनी व्यक्तिगत विचारधारा को देशभक्ति के साथ संतुलित रखे। इससे संसद या विधानसभा में बहसें स्वस्थ रहती हैं और जनता के हितों पर फोकस बना रहता है।
हाली में शपथ से जुड़े विवाद
हाल ही में राजस्थान में सांसद रामजी लाल सुमन की शपथ को लेकर विरोध हुआ था। कुछ समूह ने उनकी टिप्पणी को अनुचित माना और पुटली जलाकर प्रदर्शन किया। इस तरह के मुद्दे दिखाते हैं कि शपथ सिर्फ औपचारिक नहीं, बल्कि राजनैतिक पहचान का भी प्रतीक है। जब नेता अपनी शपथ में राष्ट्रीय भावना से जुड़ते हैं तो जनता उनका समर्थन ज्यादा देती है; वरना विरोध की आवाज़ तेज़ होती है।
इसी तरह दिल्ली विधानसभा चुनावों में मनिष सिसोदिया की हार ने दिखाया कि शपथ के बाद भी प्रदर्शन और जनता का भरोसा जीतने के लिए निरंतर काम करना पड़ता है। शपथ केवल कागज़ पर नहीं, बल्कि वास्तविक कार्यों से सिद्ध होनी चाहिए।
तो अगर आप एक नया सांसद या विधायक बनते हैं तो पहले अपने मन में यह सवाल रखें – क्या मैं इस शपथ को सच में निभा पाऊँगा? जनता की आशाओं को पूरा करने के लिए आपको लगातार जवाबदेह रहना होगा। और आम नागरिक भी अपनी आवाज़ उठाकर देख सकते हैं कि उनके प्रतिनिधि शपथ का सम्मान कर रहे हैं या नहीं।
सांसद शपथ सिर्फ शब्द नहीं, बल्कि लोकतंत्र की ताकत है। इसे समझने से आप राजनीति में गहराई तक जा पाएँगे और अपने अधिकारों को बेहतर ढंग से प्रयोग कर सकेंगे।

लोकसभा में संविधान की प्रति हाथ में लेकर प्रियंका गांधी वाड्रा ने ली शपथ
प्रियंका गांधी वाड्रा ने लोकसभा में अपनी संसदीय यात्रा की शुरुआत करते हुए संविधान की प्रति के साथ सांसद के रूप में शपथ ली। यह शपथग्रहण समारोह 28 नवंबर, 2024 को हुआ और इसमें सोनिया गांधी, राहुल गांधी, विपक्ष के नेता और रॉबर्ट वाड्रा उनके साथ थे। प्रियंका ने वायनाड उपचुनाव में उल्लेखनीय अंतर से जीत हासिल की, जो राहुल गांधी के पिछले परिणामों से बेहतर था। यह पहली बार है जब गांधी परिवार के तीनों सदस्य सांसद बने हैं।