सेमिक्रायोजेनिक इंजन: क्या है और क्यों महत्त्वपूर्ण?

जब कारें कम ईंधन पर चलती हैं और पर्यावरण को भी सुरक्षित रखती हैं, तो अक्सर पीछे की तकनीक सर्दी-गर्मी के बीच काम करती रहती है। यही चीज़ सेमिक्रायोजेनिक इंजन में देखी जाती है। साधारण शब्दों में कहें तो यह एक ऐसा इंजन है जिसमें सिलिकॉन‑कार्बाइड (SiC) जैसी सामग्री का उपयोग किया जाता है, जिससे गर्मी और बिजली दोनों को बेहतर तरीके से संभाला जा सके। इस तकनीक की वजह से इंजन तेज़ी से गर्म नहीं होता, ऊर्जा की खपत कम होती और प्रदर्शन में बढ़ोतरी होती है।

मुख्य तकनीकी विशेषताएँ

सेमिक्रायोजेनिक इंजन के दो मुख्य हिस्से होते हैं: सिलिकॉन‑कार्बाइड पावर मॉड्यूल और हाई‑फ़्रीक्वेंसी इनवर्टर। SiC का उपयोग करने से स्विचिंग लॉस घटता है, यानी बिजली को मोटर में बदलते समय कम ऊर्जा बर्बाद होती है। इसका मतलब है तेज़ एक्सेलेरेशन और बेहतर टॉर्क, खासकर इलेक्ट्रिक कारों में। साथ ही, यह सामग्री गर्मी को जल्दी बाहर निकालती है, इसलिए कूलिंग सिस्टम का आकार छोटा रहता है। छोटे कूलर से वजन घटता है और वाहन की कुल दक्षता बढ़ती है।

एक और फायदा है दीर्घायु। सिलिकॉन‑कार्बाइड बहुत टिकाऊ होता है, इसलिए इंजन में रखरखाव कम करना पड़ता है। पारंपरिक सिलीकॉन बेस्ड सिस्टम अक्सर 80 % दक्षता पर रहते हैं, जबकि SiC आधारित सिस्टम 95 % से ऊपर पहुँच जाता है। इस अंतर को देख कर कई ऑटो निर्माता अब अपने नई मॉडल्स में इसे अपनाने की योजना बना रहे हैं।

इंडस्ट्री में नवीनतम अपडेट

पिछले साल भारत में एक प्रमुख कार ब्रांड ने अपनी हाई‑परफ़ॉर्मेंस इलेक्ट्रिक SUV में SiC इनवर्टर का प्रयोग किया और टेस्ट ड्राइव रिपोर्ट में बताया कि रेंज 15 % बढ़ी है। उसी समय, कई स्टार्ट‑अप्स ने सस्ते SiC मॉड्यूल बनाकर लागत को घटाने की कोशिश की, जिससे छोटे कार निर्माताओं के लिए भी यह तकनीक पहुंच योग्य हो रही है। इसके अलावा, सरकार की ईवी प्रोत्साहन योजना में अब SiC‑आधारित बैटरी मैनेजमेंट सिस्टम को विशेष श्रेणी में रखा गया है, ताकि निर्माता इसे अपनाने में मदद मिल सके।

अगर आप कार खरीदने का सोच रहे हैं तो सेमिक्रायोजेनिक इंजन वाले मॉडल को देखना फायदेमंद रहेगा। न सिर्फ ईंधन खर्च घटता है, बल्कि चार्जिंग टाइम भी कम होता है और रखरखाव के खर्चे काफी हद तक घटते हैं। यह तकनीक अभी शुरुआती चरण में है, लेकिन अगले कुछ सालों में इसे अधिकतर इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड वाहनों में देखेंगे।

संक्षेप में, सेमिक्रायोजेनिक इंजन ऊर्जा दक्षता, प्रदर्शन और टिकाऊपन के मामले में एक बड़ा कदम है। अगर आप ऑटो इंडस्ट्री की नवीनतम खबरों में रुचि रखते हैं तो इस टैग पेज पर नियमित रूप से नई अपडेट देखते रहें।

आईआईटी-मद्रास द्वारा इनक्यूबेटेड अग्निकुल ने लॉन्च किया दुनिया का पहला 3D प्रिंटेड सेमिक्रायोजेनिक रॉकेट इंजन

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आईआईटी-मद्रास द्वारा इनक्यूबेटेड स्टार्टअप अग्निकुल कॉसमॉस ने दुनिया का पहला 3D प्रिंटेड सेमिक्रायोजेनिक रॉकेट इंजन 'अग्निबाण' श्रीहरिकोटा से सफलतापूर्वक लॉन्च किया। घरेलू स्तर पर डिज़ाइन और निर्मित इस रॉकेट इंजन ने घरेलू और इन-हाउस प्रौद्योगिकियों का प्रदर्शन किया। इस ऐतिहासिक प्रक्षेपण को इसरो और विभिन्न अधिकारियों ने सराहा।