17 सितंबर 2025: भारत में भारी बारिश, उत्तराखंड‑हिमाचल में मौत, दिल्ली‑NCR में हल्का बादल

17 सितंबर 2025: भारत में भारी बारिश, उत्तराखंड‑हिमाचल में मौत, दिल्ली‑NCR में हल्का बादल

जब भारत मौसम विभाग ने 17 सितंबर 2025 को भारी बारिश की चेतावनी जारी की, तो देशभर में घबराहट का माहौल बन गया। उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और महाराष्ट्र में तेज़ वर्षा ने जीवन‑धारा को बाधित कर दिया, जहाँ तीन लोगों की मौत हो गई। वहीं दिल्ली‑NCR में आंशिक बादल छाए रहने का अनुमान है, तापमान 23‑35 °C के बीच रहेगा। यह खबर सिर्फ एक रीयल‑टाइम अपडेट नहीं, बल्कि मौसमी पैटर्न के बदलाव का भी संकेत है।

मौसम पूर्वानुमान का सारांश

इसे 17 सितंबर 2025 के मुख्य मौसम‑इवेंट के रूप में देख सकते हैं। विभाग के अनुसार, अगले दो दिनों में उत्तराखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, उप‑हिमालयी पश्चिम बंगाल और सिक्किम में भारी से बहुत भारी वर्षा जारी रहने की संभावना है। दक्षिण‑पश्चिमी मॉनसून ने राजस्थान, गुजरात, पंजाब और हरियाणा के कुछ हिस्सों से अपनी राह बदल ली है।

प्रमुख प्रभावित राज्य

उत्तराखंड में तेज़ बारिश ने बाढ़ और भूस्खलन को ट्रिगर किया। उसी दिन, हिमाचल प्रदेश में भी similar परिस्थितियाँ बनीं, जहाँ तीन लोगों की मौत हुई – दो बाढ़ में फँसे और एक लैंडस्लाइड के कारण। महाराष्ट्र में 41 सेमी से अधिक बारिश दर्ज हुई, जिससे कई ग्रामीण इलाकों में संचार बाधित रहा।

बिजली विभाग के एक अधिकारी ने कहा, "हमें तुरंत राहत कार्य शुरू करना होगा, विशेषकर दूरस्थ गावों में जहाँ पहुँच अभी भी कठिन है।"

दिल्ली‑NCR में मौसम

दिल्ली में आंशिक बादल छाए रहने का अनुमान है, तापमान 23‑25 °C (न्यूनतम) से 35 °C (अधिकतम) तक रहेगा। डॉ. अनीता सिंह, प्रधान वैज्ञानिक भारत मौसम विभाग ने बताया कि "मॉनसून का कोर अभी भी सक्रिय है, लेकिन दिल्ली के लिए कोई गंभीर बाढ़ चेतावनी नहीं है।"

इस बीच, NCR के कार्बनिक टॉक्सिकेशन मॉनिटरिंग सेंटर ने कहा कि हल्की बारिश के बाद वायु में नमी बढ़ने से PM2.5 स्तर थोड़े घटेंगे, पर फिर भी एंटी‑पोल्यूशन उपाय जारी रखने की जरूरत है।

पिछले हफ़्ते की बारिश का प्रभाव

पिछले हफ़्ते की बारिश का प्रभाव

पिछले हफ़्ते में, तेज़ मानसूनी परिस्थितियों ने उत्तर में कई जगहों पर भूस्खलन और अचानक बाढ़ को जन्म दिया। तेलंगाना में 41 सेमी बारिश दर्ज हुई, जो राष्ट्रीय औसत से 48 % अधिक थी। गुजरात, राजस्थान और पूर्वोत्तर भारत में पहले सप्ताह में भारी वर्षा हुई, जबकि बिहार और असम में दूसरे सप्ताह में व्यापक बारिश की आशंका है।

  • उदयपुर, माउंट आबू और जैसलमेर में भारी‑से‑बहुत भारी बारिश की संभावना।
  • जयपुर, अजमेर, कोटा में हल्की‑बारीश के साथ तेज़ हवाएँ।
  • गाँव‑गाँव में जल जमाव और सड़कों पर गड्ढे बनना।

विशेषज्ञों की राय

मौसम विज्ञान के प्रोफेसर रवि त्रिवेदी ने कहा, "भारी बारिश का केंद्र अब उत्तरी भारत में है, और यह एक असामान्य पैटर्न है क्योंकि मॉनसून का मुख्य तूफ़ान पहले दक्षिण‑पश्चिमी हिस्से में था।" उन्होंने आगे बताया कि जलवायु परिवर्तन के कारण बारिश की तीव्रता में अचानक बदलाव होना अब नई सामान्यता बन रहा है।

केंद्रीय जलरक्षा प्राधिकरण (CWC) ने भी चेतावनी जारी की है, जिसमें कहा गया है कि बाढ़‑प्रभावित जिलों में एंटरिम राहत शिविर स्थापित किए जा रहे हैं और ग्रामीण क्षेत्रों में अतिरिक्त खाद्य सामग्री भेजी गई है।

आगे क्या उम्मीदें?

आगे क्या उम्मीदें?

अगले दो दिनों में, विभाग ने कहा कि बारिश के बाद हल्की ठंडक आएगी, विशेषकर पहाड़ी क्षेत्रों में। 19 सितंबर तक दिल्ली में फिर से आंशिक बादल छाए रहेंगे, लेकिन बाढ़ की स्थिति नहीं होगी। विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि मॉनसून की गति अभी भी समान रहती है, तो सितंबर के अंत तक भारत में औसत से 15‑20 % अधिक बारिश हो सकती है।

इसलिए, नागरिकों को सलाह दी गई है कि स्थानीय प्रशासन के निर्देशों का पालन करें, जल स्तर की निगरानी रखें, और आवश्यक दस्तावेज़ एवं आवश्यक वस्तुएँ तुरंत सुरक्षित रखें।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

यह बारिश किस कारण से इतनी भारी है?

वर्तमान में भारतीय उपमहाद्वीप में दक्षिण‑पश्चिमी मॉनसून की लो‑प्रेशर प्रणाली धीरे‑धीरे उत्तर की ओर बढ़ रही है, जिससे उत्तराखंड‑हिमाचल में भारी वर्षा हो रही है। मौसम विज्ञानियों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन इस बदलाव को तेज़ कर रहा है।

दिल्ली‑NCR में क्या कोई बाढ़ जोखिम है?

डॉ. अनीता सिंह के अनुसार, वर्तमान परिस्थितियों में दिल्ली में बाढ़ की संभावना कम है। हल्की बारिश और आंशिक बादल की भविष्यवाणी है, इसलिए बड़े करनाल या नहरों में जल स्तर स्थिर रहेगा।

किसी भी क्षेत्र में अचानक बाढ़ से कैसे बचें?

स्थानीय प्रशासन के अलर्ट को फॉलो करें, घर के निचले मंज़िल में मूल्यवान सामान न रखें, और जरूरत पड़ने पर उच्च स्थान पर शरण लें। आपातकालीन किट, टॉर्च और जल शुद्धिकरण टैबलेट तैयार रखें।

भविष्य में मौसम की स्थिति कैसी रहेगी?

विभाग ने कहा है कि 19 सितंबर तक दिल्ली में हल्का बादल रहेगा, जबकि उत्तर में भारी बारिश जारी रहेगी। यदि मॉनसून की तेज़ी बनी रहती है, तो सितंबर के अंत तक औसत से 15‑20 % अधिक वर्षा हो सकती है।

12 टिप्पणि

priyanka k
priyanka k
अक्तूबर 6, 2025 AT 20:00

वास्तव में, राष्ट्रीय मौसम विभाग की “सटीकता” पर हम सभी को आश्चर्य हो रहा है; ऐसा लग रहा है जैसे हर वर्षा के साथ उन्होंने नई‑नई “भविष्यवाणी” का फ्रेमवर्क तैयार किया है। 😊

sharmila sharmila
sharmila sharmila
अक्तूबर 14, 2025 AT 08:33

वाह, इस भारी बारिश के बारे में पढ़ कर बहुत भावु हो गयी हूं, पर सुना है कहीं ख़ास रूटीन बना हुआ है? 🙃

Shivansh Chawla
Shivansh Chawla
अक्तूबर 21, 2025 AT 21:07

देश की सैना को जलवायु‑विज्ञान के इस “वाक्य” की भी समझ होनी चाहिए; असली जलसंध्या तो तब आती है जब हमारी सीमा‑सुरक्षा की तरह ये मॉनसन भी हमारे स्वदेशी हवा‑प्रवाहों को नहीं बिगाड़ता।

Akhil Nagath
Akhil Nagath
अक्तूबर 29, 2025 AT 08:40

मानवता के दार्शनिक आयामों से देखे तो, बाढ़ केवल प्रकृति की क्रिया नहीं, बल्कि हमारे सामूहिक अज्ञानता का प्रतिबिंब है; समय है आत्मनिरीक्षण का। 🤔

vijay jangra
vijay jangra
नवंबर 5, 2025 AT 21:13

सभी नागरिकों से अनुरोध है कि आपातकालीन किट तैयार रखें, सतह‑पानी के स्तर को मॉनिटर करें और स्थानीय प्रशासन के निर्देशों का पालन करें; मिलजुल कर हम इस चुनौती को पार कर सकते हैं।

Sandeep Chavan
Sandeep Chavan
नवंबर 13, 2025 AT 09:47

भाईसाहब, ये “जाल” नहीं, बल्कि सच है! राष्ट्रीय ध्वज के नीचे हर बूँद को संभालना हमारा कर्तव्य है!!!

arun kumar
arun kumar
नवंबर 20, 2025 AT 22:20

मौसम की इस अनिश्चितता में, हमें एक दूसरे का सहयोग बढ़ाना चाहिए; आशा है कि राहत कार्य शीघ्रता से हो और लोग सुरक्षित रहें।

Navina Anand
Navina Anand
नवंबर 28, 2025 AT 10:53

बिल्कुल सही कहा आपने, सहयोग ही इस समय की सबसे बड़ी शक्ति है।

Sameer Srivastava
Sameer Srivastava
दिसंबर 5, 2025 AT 23:27

अरे यार, ये बाढ़ तो दिल को भी गला घोटेगी...!!! जब तक हम सब मिलके नहीं लड़ेंगे, तब तक रेत में धूल ही रहेगी!!!

naman sharma
naman sharma
दिसंबर 13, 2025 AT 12:00

उल्लेखनीय है कि इस अचानक तीव्र बारिश के पीछे न केवल जलवायू परिवर्तन, बल्कि सम्भवतः अज्ञात उच्चस्तरीय प्रयोगशालाओं द्वारा नियंत्रित जलवायु‑इंजीनियरिंग के संकेत भी हो सकते हैं।

Sweta Agarwal
Sweta Agarwal
दिसंबर 21, 2025 AT 00:33

सच में, अब तो बत्ती भी नहीं जलती।

KRISHNAMURTHY R
KRISHNAMURTHY R
दिसंबर 28, 2025 AT 13:07

चलो, इस मौसम में भी हम अपने कदम स्थिर रखें और एक-दूसरे को समर्थन दें; साथ मिलकर ही हम सुरक्षित रहेंगे 😊

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