अनुराग ठाकुर की जाति टिप्पणी से लोकसभा में हंगामा, राहुल गांधी ने पीएम मोदी को घेरा

अनुराग ठाकुर की जाति टिप्पणी से लोकसभा में हंगामा, राहुल गांधी ने पीएम मोदी को घेरा

अनुराग ठाकुर की टिप्पणी से विवाद

30 जुलाई, 2024 को लोकसभा में एक गरमागरम बहस के दौरान केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर की जाति आधारित टिप्पणी ने निराशा और गुस्से को जन्म दिया। यह घटना उस समय की है जब अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) संशोधन विधेयक पर बहस हो रही थी। ठाकुर की टिप्पणी, जो कांग्रेस सांसद के.एस. अलागिरि के एक सवाल के जवाब में की गई, को एक विशेष जाति के प्रति अपमानजनक माना गया।

विपक्ष का विरोध और राहुल गांधी का हमला

ठाकुर की टिप्पणी के बाद विपक्षी दल, खासकर कांग्रेस, द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी), ने एक सुर में इसकी कड़ी निंदा की। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इसे लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा और उन्हें इस मुद्दे पर 'खामोश' रहने का आरोप लगाया। राहुल गांधी ने कहा कि बीजेपी जातिवाद को बढ़ावा दे रही है और ठाकुर की टिप्पणी इसका स्पष्ट उदाहरण है।

राहुल गांधी ने कहा, 'प्रधानमंत्री मोदी इस संवेदनशील मुद्दे पर मौन साधे हुए हैं, जबकि उनके मंत्री ऐसे विवादित बयान दे रहे हैं। बीजेपी की राजनीति में जातिवाद साफ झलकता है और यह देश में सामाजिक बंटवारे को बढ़ावा दे रही है।'

हंगामे का अद्याभास और सदन की कार्यवाही स्थगित

विपक्ष की ओर से मांग की गई कि ठाकुर माफी मांगें और इस मामले पर बीजेपी द्वारा सफाई दी जाए। इस मांग पर सरकार ने कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया नहीं दी, जिसके कारण सदन में बहस और गर्मा गई। फलस्वरूप, थोड़ी ही देर में सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी गई।

विपक्ष की मांगें और आरोप

विपक्ष की मांगें स्पष्ट थीं। वे चाहते थे कि ठाकुर अपनी टिप्पणी पर माफी मांगें और प्रधानमंत्री मोदी इस मुद्दे पर स्पष्टीकरण दें। डीएमके नेता टी.आर. बालू ने कहा, 'यह समझना मुश्किल है कि संसद के भीतर इस तरह की टिप्पणी कैसे की जा सकती है। इससे देश के जातिगत तनाव में और वृद्धि होगी।'

टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने भी ठाकुर की टिप्पणी की निंदा करते हुए कहा, 'जिन लोगों को संविधान की रक्षा करनी चाहिए, वे खुद जातिवाद को बढ़ावा दे रहे हैं। यह बेहद शर्मनाक है।'

घटनाचक्र का राजनीतिक प्रभाव

यह घटना न केवल लोकसभा की गरिमा को प्रभावित करती है, बल्कि इसके राजनीतिक प्रभाव भी गंभीर हो सकते हैं। जाति आधारित टिप्पणियों से राजनीतिक माहौल में वाणी-शुद्धिकरण की जरूरत को उजागर करती है। सभी राजनीतिक दलों को इस मामले में गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है कि किस प्रकार के बयानों और भाषाओं का इस्तेमाल किया जा रहा है।

ठाकुर की टिप्पणी से राष्ट्रीय मंच पर एक बहस छिड़ गई है कि किस प्रकार की भाषा और विचारधारा हमारे जनप्रतिनिधियों द्वारा प्रयोग की जानी चाहिए। ये विवाद दर्शाता है कि किस तरह समाज में जातिगत आधार पर उत्पन्न होने वाले तनाव आज भी जीवित हैं और इन्हें राजनीतिक मंच पर लाना कितना संवेदनशील हो सकता है।

सामाजिक न्याय की लड़ाई

इस विवाद ने एक बार फिर सामाजिक न्याय के मुद्दे को चर्चा के केंद्र में ला दिया है। अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समुदायों के अधिकारों और उनके संरक्षण के मुद्दों पर बहस तेज हो गई है। विपक्षी दलों ने इसे एक सुनहरा मौका माना है कि वे इस मुद्दे पर अपने समर्थन को मजबूती से प्रसारित करें और बीजेपी को कटघरे में खड़ा करें।

बहुत सारे सामाजिक संगठनों और जन प्रतिनिधियों ने इस मुद्दे के परिप्रेक्ष्य में अपने विचार व्यक्त किए हैं। उनका मानना है कि इस तरह की घटनाएं समाज में जातिगत भेदभाव और असमानता को बढ़ावा देती हैं, जो कि संविधान की भावना के विरुद्ध है।

आगे की राह

आगे की राह

अब देखना यह होगा कि ठाकुर की टिप्पणी के बाद बीजेपी और सरकार इसका कैसे सामना करती है। क्या अनुराग ठाकुर माफी मांगेंगे? क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस मुद्दे पर कोई सार्वजनिक प्रतिक्रिया देंगे? विपक्ष इस मुद्दे को कितनी गहराई से उठाएगा?

इस घटना ने संसद में राजनीतिक मर्यादा और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर एक बड़ी बहस को शुरू कर दिया है। क्या इस बहस से कुछ सकारात्मक परिणाम निकल सकते हैं? यह सवाल अब हर भारतीय के मन में गूंज रहा है। राजनीतिक परिस्थितियाँ कैसे बदलेंगी, समय ही बताएगा।

19 टिप्पणि

Sukanta Baidya
Sukanta Baidya
जुलाई 31, 2024 AT 11:46

ये सब तो बस राजनीति का खेल है। कोई बयान दे दो, फिर उसे बड़ा बना दो। लोगों को गुस्सा दिलाओ, वोट मिल जाएंगे।

Adrija Mohakul
Adrija Mohakul
जुलाई 31, 2024 AT 21:17

मैं तो समझ नहीं पा रही कि ऐसी बातें संसद में क्यों होती हैं... जाति का जिक्र तो बहुत पुराना विषय है, अब तो सब कुछ योग्यता पर चलना चाहिए।

Dhananjay Khodankar
Dhananjay Khodankar
अगस्त 1, 2024 AT 09:16

इस तरह के बयानों से देश का बंटवारा हो रहा है। अगर हम सच में एकता चाहते हैं, तो इस तरह की बातों को बंद करना होगा।

shyam majji
shyam majji
अगस्त 3, 2024 AT 03:24

संसद में गुस्सा और शोर तो अब रोज़ की बात हो गई है। कोई बात नहीं, अगले हफ्ते कोई और विवाद आ जाएगा।

shruti raj
shruti raj
अगस्त 4, 2024 AT 12:16

ये सब एक बड़ी साजिश है... बीजेपी जातिगत तनाव बढ़ाकर अपने वोटर बेस को मजबूत कर रही है। राहुल गांधी भी इसे इस्तेमाल कर रहे हैं। दोनों ओर के लोग खेल रहे हैं। 😒

Khagesh Kumar
Khagesh Kumar
अगस्त 5, 2024 AT 19:58

जाति का जिक्र करना गलत है। चाहे कोई भी करे। लेकिन अगर कोई बयान दे दे तो उसे बड़ा बनाना भी गलत है।

Ritu Patel
Ritu Patel
अगस्त 6, 2024 AT 23:45

अनुराग ठाकुर ने जो कहा वो बिल्कुल गलत था। लेकिन राहुल गांधी भी इसे अपने लाभ के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं। दोनों खलनायक हैं।

Deepak Singh
Deepak Singh
अगस्त 7, 2024 AT 11:38

यहाँ तक कि संसद के बाहर भी लोग इस बारे में बहस कर रहे हैं... यह दर्शाता है कि जाति का विषय अभी भी देश के दिल में बसा हुआ है।

Rajesh Sahu
Rajesh Sahu
अगस्त 8, 2024 AT 17:53

ये सब विपक्ष की गड़बड़ है! बीजेपी ने कभी जाति के आधार पर कुछ नहीं कहा! ये सब बस भावनाओं को भड़काने की कोशिश है!

Chandu p
Chandu p
अगस्त 10, 2024 AT 04:25

हमें अपने नेताओं को समझना चाहिए... न कि उनके बयानों पर झूमना। देश का भविष्य अधिक महत्वपूर्ण है। ❤️

Gopal Mishra
Gopal Mishra
अगस्त 10, 2024 AT 10:30

इस घटना को लेकर जो भी बहस हो रही है, वह एक अवसर है कि हम अपनी भाषा, अपनी राजनीति और अपने सामाजिक मूल्यों को फिर से सोचें। जाति के आधार पर बयान देना न केवल अनैतिक है, बल्कि यह संविधान के आधारभूत सिद्धांतों के खिलाफ है। यह एक ऐसा बिंदु है जहाँ हर नेता को अपने शब्दों के बोझ को समझना चाहिए। जब एक सांसद अपनी भाषा में जाति का उल्लेख करता है, तो वह एक अनुसूचित जाति के बच्चे के दिल में भी घाव कर देता है। यह बस एक बयान नहीं है, यह एक सामाजिक संकेत है। और इस संकेत का प्रभाव दशकों तक रह सकता है। इसलिए, न केवल माफी मांगना जरूरी है, बल्कि भविष्य में ऐसी भाषा का उपयोग न करना भी जरूरी है।

Swami Saishiva
Swami Saishiva
अगस्त 10, 2024 AT 11:49

सब नेता एक जैसे हैं। बस एक दूसरे के खिलाफ लड़ रहे हैं। कोई सच नहीं बोलता।

Swati Puri
Swati Puri
अगस्त 10, 2024 AT 12:33

सामाजिक न्याय की बात करने वाले दलों को अपनी भाषा पर भी नियंत्रण रखना चाहिए। अन्यथा वे भी उसी व्यवस्था का हिस्सा बन जाते हैं जिसके खिलाफ वे लड़ रहे हैं।

megha u
megha u
अगस्त 11, 2024 AT 09:44

बीजेपी के अंदर कोई गुप्त योजना है... ये सब जाति को लेकर भावनाओं को जगाने के लिए है। अगला चरण क्या होगा? 😳

pranya arora
pranya arora
अगस्त 11, 2024 AT 19:52

हम अपने राजनीतिक बयानों को अपने जीवन के स्तर पर नहीं देखते। यही समस्या है।

Arya k rajan
Arya k rajan
अगस्त 13, 2024 AT 02:40

अगर हम सब थोड़ा शांत हो जाएं और दूसरे की बात सुन लें, तो शायद ये लड़ाइयाँ खत्म हो जाएं।

Sree A
Sree A
अगस्त 13, 2024 AT 11:41

जाति के आधार पर बयान देना असंगत है। बिल्कुल असंगत।

DEVANSH PRATAP SINGH
DEVANSH PRATAP SINGH
अगस्त 14, 2024 AT 02:49

मुझे लगता है कि इस मुद्दे को लेकर एक सार्वजनिक बैठक होनी चाहिए। जहाँ सभी पार्टियाँ शामिल हों और भाषा पर एक समझौता हो।

Govind Ghilothia
Govind Ghilothia
अगस्त 14, 2024 AT 20:37

यह घटना संसद की गरिमा के लिए एक शर्मनाक दाग है। हमारे नेता जब जाति के आधार पर बोलते हैं, तो वे अपने अधिकार के लिए लड़ने वाले लाखों लोगों के सपनों को नष्ट कर देते हैं। यह केवल एक बयान नहीं है, यह एक अपराध है। हमें इस तरह की भाषा को संसद से बाहर निकालना होगा, न कि इसे नजरअंदाज करना।

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