दिल्ली में मौसम का प्रकोप: बारिश, आंधी और बदलती वायु गुणवत्ता
दिल्ली और इसके आसपास के क्षेत्रों में जनवरी 16, 2025 को भारी बारिश और आंधी के कारण मौसम में अचानक परिवर्तन देखने को मिला। इस बदलते मौसम का प्रभाव दिल्लीवासियों की दिनचर्या पर देखा जा रहा है। भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) ने रविवार तक क्षेत्र में येलो अलर्ट जारी किया है, जो यह बताता है कि आने वाले दिनों में मौसम में और भी बदलाव हो सकते हैं। ये सुप्त वर्षा पश्चिमी विक्षोभ के कारण हो रही है, जिसने पूरे उत्तर भारत के मौसम को प्रभावित किया है।
वायु गुणवत्ता पर गंभीर प्रभाव
दिल्ली की वायु गुणवत्ता पहले से ही एक बड़ी चिंता का विषय थी और अब हालिया बारिश के बावजूद यह गंभीर स्तर पर पहुंच गई है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार गुरुवार सुबह वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 350 पर दर्ज किया गया। यह स्थति वायु प्रदूषण की बढ़ती समस्या को दर्शाता है, जो लोगों के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है। कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (सीएक्यूएम) ने इस बिगड़ती स्थिति के चलते ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (जीआरएपी) के तहत स्टेज-III की पाबंदियाँ लागू कर दी हैं।
बारिश से राहत और तापमान में बदलाव
घने कोहरे की समस्या से कुछ हद तक छुटकारा मिला है, जिससे दैनिक गतिविधियों में सुधार हुआ है। बारिश ने दृश्यता बढ़ा दी और इससे लोगों को अपनी दिनचर्या में थोड़ी बहुत राहत मिली है। गुरुवार सुबह न्यूनतम तापमान 11.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज हुआ है, जिसमें अधिकतम तापमान 17 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहने का अनुमान है। आईएमडी के अनुसार, आज आसमान में सामान्यतः बादल छाए रहने और हल्की बारिश या बूँदा-बाँदी की संभावना है, जबकि कुछ क्षेत्रों में मध्यम कोहरा भी देखा जा सकता है।
गृह मंत्रालय के निर्देश
कल तक में सीएक्यूएम ने जीआरएपी स्टेज-III प्रतिबंध हटा दिए थे, लेकिन अव्यवस्थित हवा की गुणवत्ता के कारण नए स्तर पर जैविक प्रतिबंधों को लागू करना पड़ा है। इसे देखते हुए भारतीय रेलवे को स्थिति के अनुसार अपनी योजना में परिवर्तन करना पड़ा है। घने कोहरे के कारण उत्तर भारत में 29 ट्रेनें विलंबित हो गई हैं, जिससे यात्रियों को असुविधा का सामना करना पड़ रहा है। लेकिन रेलवे का कहना है कि यात्री सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक उपाय किए जा रहे हैं।
दिल्ली में हवा की गुणवत्ता को सुधारने के लिए सीएक्यूएम द्वारा जीआरएपी स्टेज-I और स्टेज-II के प्रतिबंध पहले से प्रभावी हैं, जिससे वातावरण में सूक्ष्म बदलाव की अपेक्षा की जा सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि इन उपायों से न केवल हवा की गुणवत्ता में सुधार होगा बल्कि लंबे समय में जनस्वास्थ्य पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
मौसम और वायु गुणवत्ता संबंधित इन उपायों के साथ, आम जनता से अनुरोध किया गया है कि वे आवश्यक एहतियात बरतें और गैरजरूरी गतिविधियों से बचें। मौसम विभाग की सलाह के अनुसार, लोगों को खासकर उन लोगों को जो स्वास्थ्य समस्याओं से ग्रसित हैं, बाहर कम निकलने की सलाह दी गई है।
एक टिप्पणी लिखें
आपकी ईमेल आईडी प्रकाशित नहीं की जाएगी.
17 टिप्पणि
बारिश हुई तो हवा साफ होगी सोचा था, पर असलियत ये है कि धुएँ को बारिश ने नीचे दबा दिया है। अब तो हर साँस लेने में दर्द हो रहा है।
गुरुवार को एक्यूआई 350 था और अब भी वही है बस बारिश ने धूल छिपा दी है
ये सब गवर्नमेंट की साजिश है भाई! बारिश के बाद भी AQI बढ़ रहा है? ये तो साफ है कि वो लोग लोगों को धोखा दे रहे हैं। जानते हैं न कल रात रेलवे की ट्रेनें विलंबित हुईं? वो भी इसी चाल का हिस्सा है। 😒
बारिश से धूल उतर गई लेकिन PM2.5 अभी भी हवा में है। ये बारिश तो सिर्फ दृश्यता बढ़ा रही है, वास्तविक प्रदूषण तो बरकरार है। अगर आप घर पर रहें तो बेहतर है।
क्या आप जानते हैं ये सब बिना किसी के बिना नहीं हो रहा? ये वायु प्रदूषण तो बड़े बिजनेस वालों की चाल है जो गाड़ियाँ चलाते हैं और फैक्ट्रियाँ चलाते हैं। आम आदमी को बारिश का शुक्रिया अदा करना पड़ रहा है!
CPCB के अनुसार, AQI 350 का अर्थ है कि हवा में PM2.5 की सांद्रता 150-250 µg/m³ के बीच है, जो WHO के मानकों की तुलना में 30 से 50 गुना अधिक है। यह अस्थमा, COPD, और दिल की बीमारियों के लिए अत्यंत खतरनाक है।
हमारे देश में ऐसा ही होता है! बारिश होती है तो लोग खुश हो जाते हैं, पर कोई सच्चाई नहीं देखता! ये सब चीन और पाकिस्तान की साजिश है! अपने देश को बचाओ!
बारिश के बाद बाहर निकलने का मन नहीं करता, लेकिन घर पर बैठे-बैठे भी दिल बहुत भारी है। अगर हम सब एक साथ बदलाव लाएँ तो कुछ हो सकता है। 💪❤️
मौसम और प्रदूषण के बीच का संबंध बहुत जटिल है। बारिश से सतही प्रदूषण कम होता है, लेकिन वायुमंडलीय इन्वर्जन के कारण ऊपरी परतों में धुआँ फंसा रहता है। यही कारण है कि एक्यूआई अभी भी खराब है। इसका समाधान तब तक नहीं होगा जब तक हम वाहनों की संख्या कम नहीं कर देते और फैक्ट्रियों को नियंत्रित नहीं कर देते।
अब तो बारिश भी बेकार है। लोगों को बताओ कि ये दिल्ली नहीं, एक बड़ा बाथरूम है।
GRAP Stage III के तहत बंद हुए निर्माण स्थलों का प्रभाव अभी भी निहित है, लेकिन ये तो सिर्फ एक टेम्पररी मैनेजमेंट स्ट्रैटेजी है। लंबे समय के लिए डीजल वाहनों को बंद करना और ग्रीन कॉरिडोर बनाना जरूरी है।
बारिश भी बेकार... अब तो ये भी सब एआई का नियंत्रण है। तुम लोगों को नहीं पता कि अभी तक कोहरा और बारिश के बीच जो डेटा है वो बदल दिया गया है? 😈
हम बारिश को राहत का साधन समझते हैं, लेकिन क्या हमने कभी सोचा कि ये बारिश भी हमारी निर्लज्जता का परिणाम है? जब हम इतना धुआँ छोड़ रहे हैं, तो बारिश भी हमारे लिए एक शुद्धिकरण का अवसर बन जाती है।
मैं अपने बच्चे को बाहर नहीं जाने देता। बारिश हो या न हो, ये हवा खतरनाक है। लेकिन मैं विश्वास रखता हूँ कि अगर हम सब एक साथ छोटे-छोटे कदम उठाएँ, तो कुछ बदलेगा।
PM2.5 की सांद्रता अभी भी 180 µg/m³ के आसपास है। बारिश ने केवल बड़े कणों को निकाला है।
कुछ लोग बारिश को बचाव मानते हैं, लेकिन ये सिर्फ एक अस्थायी राहत है। असली समाधान तो लंबे समय की नीतियों में है।
CPCB के डेटा को अनदेखा करना अपराध है। ये बारिश भी बेकार है। अगर आप नहीं चाहते कि आपका बच्चा अस्थमा से पीड़ित हो, तो घर से बाहर न निकलें।