फेतुल्लाह गुलेन की मृत्यु और उनके जीवन की झलक
फेतुल्लाह गुलेन, जो किसी समय तुर्की के महत्वपूर्ण इस्लामिक विचारधारा के नेता थे, उनकी मृत्यु ने न केवल उनके समर्थकों को बल्कि उनके विरोधियों को भी चर्चा के लिए एक विषय दिया है। रविवार की शाम घोषणा की गई कि गुलेन का निधन अमेरिकी अस्पताल में हुआ। लंबे समय से इस्लाम का उदारवादी दृष्टिकोण रखने वाले गुलेन ने शिक्षा और सांस्कृतिक संवाद को बढ़ावा दिया था, जिससे उनका समर्थन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैला।
गुलेन की राजनीतिक यात्रा का प्रारंभ उनके और तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन के बीच एक मजबूत संबंध से हुआ था, जो समय के साथ संघर्ष और टूट तक पहुंच गया। 2016 के तख्तापलट के असफल प्रयास के बाद, एर्दोगन ने गुलेन को उसका मास्टरमाइंड घोषित किया, लेकिन गुलेन ने इन आरोपों का खंडन किया। उनके अनुसार, तख्तापलट के दावे बेबुनियाद और अपमानजनक थे।
हिजमत आंदोलन और उसका प्रभाव
फेतुल्लाह गुलेन ने 'हिजमत' आंदोलन की स्थापना की, जिसका अर्थ है 'सेवा'। यह आंदोलन न केवल तुर्की में बल्कि दुनिया के विभिन्न कोनों में फैल गया। हिजमत ने शिक्षा के क्षेत्र में प्रगति की और यह आंदोलन इंटरफेथ संवाद और बाजार की स्वतंत्र नीतियों का समर्थन करता था। विश्वासियों ने इसे एक धार्मिक और सामाजिक सुधार के रूप में देखा, जबकि गुलेन के विरोधियों का मानना था कि यह आंदोलन तुर्की की धर्मनिरपेक्षता के लिए खतरा बन सकता है।
गुलेन की शिक्षाएं और उनके द्वारा स्थापित संस्थाएँ, राजनीति, व्यापार, मीडिया और सरकारी क्षेत्रों में गहरी जड़ें जमाने में सफल रही। गुलेन के समर्थकों का मानना था कि यह शिक्षाएं समाज में प्रगति और एकात्मता को बढ़ावा देती हैं। हिजमत ने तुर्की के बाहर भी कई देशों में शिक्षा कार्यक्रमों को संचालित किया, जिसमें विशेषकर मध्य एशिया, बाल्कन, अफ्रीका और पश्चिमी देश शामिल थे।
तुर्की सरकार के साथ टकराव
2016 के तख्तापलट के प्रयास के बाद, तुर्की सरकार ने गुलेन के समर्थकों और उनसे जुड़े संस्थानों पर कठोर कार्रवाई की। इस कार्रवाई में हजारों लोगों को गिरफ्तार किया गया और कई सरकारी कर्मचारियों को निलंबित किया गया। गुलेन के संबंधित होने के संदेह में कई कंपनियाँ और मीडिया हाउस जब्त या बंद कर दिए गए थे। ये घटनाएँ तुर्की की राजनीति और समाज में एक गहरे विभाजन को दर्शाती हैं।
गुलेन की मृत्यु ने इस विवादास्पद इतिहास को और भी गहराई के साथ जनता के सामने लाने का काम किया है। उनकी विरासत को लेकर मतभेद अभी भी बने हुए हैं, लेकिन उनके अनुयायियों के लिए वे हमेशा एक मार्गदर्शक और शिक्षित नेता बने रहेंगे।
अमेरिका में निर्वासित जीवन
फेतुल्लाह गुलेन 1999 से स्वैच्छिक निर्वासन में अमेरिका में रह रहे थे। तुर्की का उन पर नजर रखते हुए अमेरिका से प्रत्यर्पण का अनुरोध लंबे समय से चला आ रहा था, लेकिन अमेरिका ने कभी उसे माना नहीं। यह राजनैतिक और कूटनीतिक स्तर पर दोनों देशों के बीच तनाव का कारण बना रहा। गुलेन का जीवन अमेरिकी धरती पर एक निर्वासित और विवादित नेता के रूप में गुजरा।
गुलेन की विरासत आज भी कई लोगों के लिए प्रेरणा है, जो धर्म और शिक्षा के माध्यम से समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाना चाहते हैं। उनकी आकस्मिक मृत्यु ने तुर्की और विश्व के विभिन्न हिस्सों में उनके अनुयायियों को शोक में डाल दिया है। अब देखना यह है कि उनकी मृत्यु के बाद उनका आंदोलन किस दिशा और दिशा में जाता है।
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