बांग्लादेश के तेज़ गेंदबाज़ Taskin Ahmed ने हाल ही में पत्रकारों से बातचीत में बताया कि वह IPL 2025 से बाहर रह जाने से बहुत निराश है। जबकि लखनऊ सुपर जायंट्स (LSG) ने उन्हें संभावित रिप्लेसमेंट खिलाड़ी के रूप में संपर्क किया था, अंततः कोई औपचारिक रूप नहीं बना। यह खुलासा टीम की चोट‑संकट और बांग्लादेशी खिलाड़ियों के IPL में चयन न होने की दोहरी समस्या को उजागर करता है।
LSG की तेज़ हमले में चोटें और टास्किन से संपर्क
रिशभ पंत के कप्तानत्व वाले LSG को 2025 के सीज़न में अपने तेज़ बॉलरिंग यूनिट में कई अहम चोटें झेलनी पड़ीं। मईंक यादव, मोहसिन खान और आवेश खान जैसे प्रमुख फास्टर को लगातार फिटनेस फिक्रों ने जकड़ रखा था। इस सिलसिले में फ्रैंचाइज़ ने तुरंत बैक‑अप विकल्प देखे और बांग्लादेश के अनुभवी पेसर टास्किन से संपर्क किया। उन्होंने टीम को बताया कि LSG ने उनके उपलब्धता की पुष्टि करते हुए बांग्लादेश क्रिकेट बोर्ड (BCB) से No Objection Certificate (NOC) मिलने की संभावना पूछी।
टास्किन ने स्वीकार किया कि यह संपर्क “मेगा ऑक्शन में बांग्लादेशी खिलाड़ी न चुने जाने के बाद” आया था। IPL में अक्सर बड़े टूर्नामेंट्स के दौरान रिप्लेसमेंट खिलाड़ी माना जाता है, और LSG ने यही रास्ता अपनाने की सोच रखी। हालांकि, अंततः मौजूदा फ्रैंचाइज़‑ड्राफ्ट में किसी भी बांग्लादेशी को कॉल नहीं किया गया, इसलिए टास्किन को कोई ठोस ऑफर नहीं मिला।
बांग्लादेशी खिलाड़ियों की IPL 2025 में भागीदारी और टास्किन के भविष्य के विकल्प
2025 की मेगा ऑक्शन में कुल 13 बांग्लादेशी क्रिकेटर ने पंजीकरण किया, पर कोई भी फ्रैंचाइज़ ने उन्हें चयन नहीं किया। इस रिकॉर्ड‑शून्य परिणाम ने कई खिलाड़ियों को निराश किया, विशेषकर उन लोगों को जो अंतरराष्ट्रीय मंच पर लगातार प्रदर्शन कर रहे थे। उल्लेखनीय बांग्लादेशी नामों में शामिल थे:
- शोफीक अहमद
- मुषफिकुर रहमान
- सनजिद हसन
- रहिम साफ़़ी
- अबिदी गनन
- और कई उभरते युवा प्रतिभा
इनमें टास्किन सबसे आगे थे, क्योंकि उन्होंने हालिया ICC मेन्स चैम्पियंस ट्रॉफी 2025 में अपनी गति और सटीकता से कई रैंकिंग‑टॉप बॉलर बनकर दिखाया था। विशेष रूप से उनका स्लोअर डिलिवरी और रिवर्स स्विंग ने कई मीडियम‑पेसर को परेशान किया। फिर भी, IPL की टीमों ने बांग्लादेशी खिलाड़ी को ‘विधायी कठिनाइयों’ के कारण पीछे छोड़ दिया।
टास्किन ने बताया कि अगर कभी भी LSG या किसी अन्य फ्रैंचाइज़ ने उन्हें कॉल किया, तो वह BCB से NOC जल्दी से जल्दी ले लेगा। इस बीच, बांग्लादेशी टीम ने उनकी फिटनेस को लेकर सावधानी बरती। उन्होंने टास्किन को एशिया कप 2025 के श्रीलंका के खिलाफ मैच से आराम दिया, भले ही वह पिछले हांगकांग मैच में दो विकेट लेकर अच्छा प्रदर्शन कर चुका था। यह वर्कलोड मैनेजमेंट टीम की रणनीति को दर्शाता है कि वे तेज़ गेंदबाज़ों को टॉर्नामेंट के अंत तक ताज़ा रखना चाहते हैं।
भविष्य की ओर देखें तो टास्किन अभी भी 2026 की IPL ऑक्शन को लेकर आशावान हैं। बांग्लादेश में उनके कौशल का विकास जारी है, और कई कोचेज़ उन्हें “वर्ल्ड‑क्लास फास्टर” के रूप में सराहते हैं। यदि LSG या कोई और फ्रैंचाइज़ उनके रिलायबिलिटी, विविध डिलिवरी और बॉलिंग इंटेंसिटी को देखता है, तो नई NOC के साथ उनका नाम फिर से सामने आ सकता है। अभी के लिए टास्किन का प्रमुख लक्ष्य अंतरराष्ट्रीय मंच पर लगातार प्रदर्शन करना और बांग्लादेश को जीत की ओर ले जाना है।
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11 टिप्पणि
ये IPL तो अब सिर्फ भारतीय खिलाड़ियों का खेल बन गया है। बांग्लादेश के टास्किन जैसे बल्लेबाज़ को भी नहीं चुना, तो फिर इस टूर्नामेंट का क्या मतलब? ये नस्लीय भेदभाव है।
टास्किन की बॉलिंग तो बहुत अच्छी है, लेकिन उसकी फिटनेस और नियमितता पर सवाल है। IPL में ऐसे खिलाड़ियों को नहीं चुना जाता जो चोटों के चक्कर में रहते हैं। ये बस एक और असफल अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी है।
लखनऊ सुपर जायंट्स द्वारा टास्किन अहमद के साथ बातचीत करना एक व्यावहारिक निर्णय था। हालाँकि, बांग्लादेश क्रिकेट बोर्ड के NOC प्रक्रिया के अनुसार, ऐसे खिलाड़ियों के लिए अनुमति प्राप्त करना जटिल है। इसलिए फ्रैंचाइज़ का फैसला पूर्णतः व्यावहारिक और नियमानुसार था।
दुनिया भर में लोग इसे देख रहे हैं। भारत अपने खिलाड़ियों को बचाने के लिए दूसरे देशों के खिलाड़ियों को बाहर रख रहा है। ये नहीं है कि टास्किन अच्छा नहीं है, बल्कि ये एक बड़ी नीति है। हम खुद को एक बंद दुनिया में बंद कर रहे हैं।
टास्किन एक बहुत अच्छा गेंदबाज़ है, अगर उसे मौका मिले तो वो IPL में अच्छा प्रदर्शन कर सकता है। लेकिन फ्रैंचाइज़ के लिए ये रिस्क नहीं लेना बेहतर है।
LSG ने टास्किन से बात की तो फिर क्यों नहीं ले लिया? ये निर्णय तो बस बुरी लालच का नतीजा है। बांग्लादेशी खिलाड़ी नहीं चाहिए? तो फिर इंग्लैंड के खिलाड़ियों को क्यों खरीदा गया? ये नफरत नहीं तो क्या है?
क्या आपने देखा कि टास्किन के लिए बांग्लादेश ने भी उसे आराम दिया? अगर अपनी टीम भी उस पर भरोसा नहीं कर रही, तो IPL में उसका क्या काम? ये खिलाड़ी बस बड़े नाम बनाने के लिए आते हैं।
क्या हम सच में यह मान रहे हैं कि एक खिलाड़ी की क्षमता उसके देश के नाम पर निर्भर करती है? टास्किन की बॉलिंग गति, स्विंग, और दबाव में बनाए रखने की क्षमता - ये सब उसकी व्यक्तिगत प्रतिभा है। इस तरह के निर्णय न सिर्फ खेल को बर्बाद करते हैं, बल्कि मानवता को भी।
ये बात तो बहुत दिल तोड़ देती है! टास्किन जैसा खिलाड़ी जो दुनिया के सबसे तेज़ गेंदबाज़ों के साथ लड़ सकता है, उसे IPL में नहीं देख पाना? ये नहीं है कि वो नहीं योग्य है, बल्कि हम उसे देखने के लिए तैयार नहीं हैं।
इस घटना को एक सांस्कृतिक और राजनीतिक चुनौती के रूप में देखना चाहिए। भारत और बांग्लादेश के बीच क्रिकेट का संबंध केवल खेल तक सीमित नहीं है - यह एक ऐतिहासिक और सामाजिक ताना-बाना है। टास्किन के लिए नहीं मिलने वाला अवसर, वास्तव में दोनों देशों के बीच सहयोग के एक अवसर का नुकसान है।
बांग्लादेशी खिलाड़ियों को नहीं चुनने का मतलब ये नहीं कि वो बुरे हैं। बस भारतीय फ्रैंचाइज़ अब बस अपने अंदर के लोगों को ही देख रहे हैं। ये टूर्नामेंट अब एक बड़ा बाजार है, खेल नहीं।