पीएम-किसान योजना का उद्देश्य और महत्व
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) योजना का उद्देश्य देश के किसानों को आर्थिक दृष्टि से सशक्त करना है। इस योजना के तहत किसानों को प्रतिवर्ष ₹6,000 की आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है, जिसे तीन किस्तों में वितरित किया जाता है। योजना का लक्ष्य छोटे और सीमांत किसानों की आय में वृद्धि करना और खेती को अधिक लाभकारी बनाना है।
वाराणसी में 17वीं किस्त का शुभारंभ
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 18 जून को वाराणसी में पीएम-किसान योजना की 17वीं किस्त का शुभारंभ करेंगे। इस मौके पर 9.26 करोड़ से अधिक किसानों को ₹20,000 करोड़ से अधिक की आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी। यह किस्त सीधे किसानों के बैंक खातों में भेजी जाएगी, जिससे उन्हें खेती से जुड़े खर्चों में सहूलियत मिलेगी।
कृषि सखियों को मिलेगा प्रमाण पत्र
इस कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री मोदी 30,000 से अधिक स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) की महिलाओं को कृषि सखी के रूप में प्रशिक्षित होने के बाद प्रमाण पत्र वितरित करेंगे। इन कृषि सखियों का उद्देश्य गांवों में कृषि विस्तार कार्य करना और किसानों को नई तकनीक और पद्धतियों की जानकारी देना है।
योजना का व्यापक प्रभाव
पीएम-किसान योजना का देश के किसानों पर व्यापक प्रभाव पड़ा है। यह योजना सीधे तौर पर किसानों की आय में वृद्धि करती है और उन्हें वित्तीय सुरक्षा प्रदान करती है। इसके साथ ही, कृषि सखियों के माध्यम से किसानों को नई तकनीक और तरीकों की जानकारी मिलती है, जिससे खेती की उत्पादकता और गुणवत्ता में सुधार होता है।
कृषि क्षेत्र में सुधार की दिशा
इस योजना के तहत दी जाने वाली आर्थिक सहायता किसानों को कृषि उपकरण खरीदने, बीज और खाद जैसी आवश्यक चीजों की खरीदारी में मदद करती है। इसके अलावा, यह योजना किसानों को संकट के समय में सहारा प्रदान करती है, जिससे वे प्राकृतिक आपदाओं और अन्य चुनौतियों का सामना कर सकें।
सरकार की अन्य पहलें
पीएम-किसान योजना के साथ-साथ सरकार ने कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए अन्य कई महत्वपूर्ण पहलें की हैं। इसमें नई कृषि तकनीक का प्रसार, सिंचाई योजनाओं का विस्तार, और किसानों के लिए बाजार तक आसान पहुंच सुनिश्चित करना शामिल है।
किसानों की प्रतिक्रिया
देश के विभिन्न हिस्सों के किसानों ने पीएम-किसान योजना से मिल रही आर्थिक सहायता की सराहना की है। किसानों का कहना है कि इस योजना ने उन्हें आत्मनिर्भर बनने में मदद की है और वे अब बिना कर्ज के खेती कर पा रहे हैं।
आर्थिक और सामाजिक लाभ
पीएम-किसान योजना का लाभ केवल आर्थिक ही नहीं है, बल्कि इसका सामाजिक प्रभाव भी अत्यधिक महत्वपूर्ण है। इससे किसानों का आत्मसम्मान बढ़ा है और वे अपने परिवारों के बेहतर भविष्य के लिए योजनाएं बनाने में सक्षम हो रहे हैं।
भविष्य की योजनाएं
सरकार भविष्य में भी किसानों के कल्याण के लिए नई योजनाएं और सुधार लागू करने की दिशा में कार्यरत है। इसके अंतर्गत किसानों की आय दोगुनी करने की दिशा में प्रयास जारी हैं।
निष्कर्ष
पीएम-किसान योजना किसानों के जीवन में समृद्धि लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस योजना ने देश के लाखों किसानों को आर्थिक सुरक्षा प्रदान की है और उन्हें आत्मनिर्भर बनने की दिशा में प्रेरित किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का वाराणसी दौरा इस दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम है, जो देश के कृषि क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव लाएगा।
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6 टिप्पणि
ये योजना तो बहुत अच्छी है, पर असली सवाल ये है कि जब तक किसान को पैसा नहीं मिलता, बैंक वाले उसका खाता चेक नहीं करते। अब तक 3 किस्तें मिलीं, पर दो में बैंक फीस काट ली। कोई शिकायत करे तो कहते हैं 'डिजिटल ट्रांसपेरेंसी'।
भाई ये तो जिंदगी बदल देने वाली बात है! 9 करोड़ किसानों के खाते में सीधे पैसा? ये नहीं कि किसी बीचवाले के हाथों से गुजरे! ये तो मोदी जी ने किसानों को अपना बेटा बना लिया है! जय श्री राम, जय किसान!
ye sab toh bas photo opar hai... kisanon ko paisa toh milta hai par bank account me nahi aata... kya pata kahan jaata hai... aur ye SHG wale bhi toh sirf naam ke liye bane hue hai... koi actual training nahi hoti... bas photo ke liye... aur phir sabko certificate diya jata hai... kuch bhi nahi hota... modi ji achhe hain par system toh phir bhi same hai
इस योजना को देखकर लगता है कि सरकार ने किसानों के लिए एक बड़ा नाटक बना दिया है। कृषि सखियाँ? वो तो बस गाँव की एक और स्त्री हैं जिन्हें बिना पैसे के जिम्मेदारी दे दी गई। आय दोगुनी करने का नारा? पर बीज की कीमतें तो तीन गुना हो गईं। ये सब सिर्फ चुनावी नारे हैं।
पीएम-किसान योजना के तहत वितरित राशि वास्तविक आय में वृद्धि के लिए पर्याप्त नहीं है। खेती के लागत संरचना में वृद्धि के साथ-साथ अन्य योजनाओं की कार्यक्षमता भी समीक्षा की जानी चाहिए। इस योजना के लाभार्थी वर्ग की सटीक पहचान और अंतिम लाभ प्राप्ति की पारदर्शिता अभी भी संदेहास्पद है।
किसान को पैसा मिल रहा है, ठीक है। पर दिल को क्या मिला? उसका सम्मान? उसकी आत्मा को क्या मिला? जब तक किसान का दिमाग नहीं बदलेगा, तब तक कोई योजना काम नहीं करेगी। वो तो अभी भी खेत में बैठकर बादलों की उम्मीद कर रहा है। पैसा तो बाहर से आएगा, पर जीवन तो अंदर से बदलना है।