चेन्नई का गौरव: अशोक एलुस्वामी
अशोक एलुस्वामी का नाम आज तकनीकी जगत में किसी परिचय का मोहताज नहीं है। चेन्नई में जन्मे और पले-बढ़े अशोक वर्तमान में टेस्ला के प्रसिद्ध एआई/ऑटोपायलट टीम के निदेशक हैं। इस मुकाम तक पहुँचने की उनकी यात्रा खास और प्रेरणादायक रही है। अशोक की कहानी हमें यह सिखाती है कि किस प्रकार सही समय पर लिया गया निर्णय और मेहनत आपको ऊँचाइयों पर पहुँचा सकती है। एलोन मस्क के एक साधारण ट्वीट के जरिए टेस्ला के शीर्ष पर पहुँचना, ये वाकई अद्वितीय है।
एलुस्वामी की शिक्षा और शुरुआती करियर
अशोक ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा चेन्नई में की और इंजीनियरिंग की डिग्री कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, गिंडी से हासिल की। इलेक्ट्रॉनिक्स और कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री प्राप्त करने के बाद, उन्होंने कार्नेगी मेलॉन विश्वविद्यालय, अमेरिका से रोबोटिक्स सिस्टम डेवलपमेंट का अध्ययन किया। उनके पास कंप्यूटर विज़न और संवेदनशीलता से संबंधित प्रौद्योगिकीयों में विशेषज्ञता है।
डिग्री प्राप्त करने के बाद, अशोक ने WABCO व्हीकल कंट्रोल सिस्टम्स और वोल्क्वागेन में विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर काम किया। यहां उन्होंने जो अनुभव और ज्ञान अर्जित किया, वह उनके भविष्य की राह को प्रशस्त करता गया।
टेस्ला से जुड़ने की अनोखी कहानी
अशोक एलुस्वामी की टेस्ला से जुड़ने की कहानी काफी दिलचस्प और प्रेरणादायक है। वर्ष 2014 में, एलोन मस्क ने एक ट्वीट किया जिसमें उन्होंने टेस्ला के ऑटोपायलट टीम के लिए उपयुक्त उम्मीदवारों की तलाश की बात कही। अशोक ने मस्क के इस ट्वीट पर ध्यान दिया और अपनी योग्यता दिखाने का फैसला किया। उनका उस वक्त का निर्णय अब तक का सबसे महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ।
मस्क के ट्वीट के माध्यम से अशोक को टेस्ला की ऑटोपायलट टीम में भर्ती किया गया और वह टीम के पहले सदस्य बने। इसके बाद उन्होंने अपने कौशल और मेहनत से धीरे-धीरे टेस्ला के एआई/ऑटोपायलट टीम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और आज वह इसके निदेशक हैं।
टेस्ला में भूमिका और योगदान
टेस्ला में अशोक एलुस्वामी का योगदान अतुलनीय रहा है। उनके तकनीकी कौशल और नेतृत्व ने टेस्ला को एक नई दिशा दी, विशेष रूप से उनके एआई और ऑटोपायलट सिस्टम में। अशोक ने टीम को न केवल नेतृत्व दिया बल्कि नई तकनीकी समाधानों पर काम कर इसे विशिष्ट बनाया।
अशोक के नेतृत्व में टेस्ला ने कई महत्वपूर्ण माइलस्टोन हासिल किए, जैसे दुनिया का पहला ऑटोपायलट सिस्टम और एआई हार्डवेयर के लिए कस्टम सिलिकन का निर्माण। यह उनके और उनकी टीम की मेहनत का परिणाम है कि टेस्ला आज अपने एआई और ऑटोपायलट टेक्नोलॉजी में सबसे आगे है।
एलोन मस्क की प्रशंसा
एलोन मस्क ने भी कई मौकों पर अशोक एलुस्वामी की प्रशंसा की है। 29 दिसंबर को किए गए एक ट्वीट में मस्क ने अशोक का जिक्र करते हुए कहा कि अशोक उनके द्वारा किए गए ट्वीट के माध्यम से भर्ती होने वाले पहले व्यक्ति थे। मस्क ने इस बात का जिक्र भी किया कि अशोक और उनकी टीम के बिना टेस्ला का मुकाबला अन्य ऑटोमोबाइल कंपनियों से नहीं हो सकता था।
अशोक भी मस्क की सोच और उनकी प्रेरणा को महत्वपूर्ण मानते हैं। उन्होंने एक लम्बे नोट में मस्क की प्रशंसा करते हुए कहा कि मस्क की महत्वाकांक्षा और तकनीकी समझ ने टेस्ला को ऐसे मुकाम पर पहुँचाया है। उन्होंने मस्क का धन्यवाद देते हुए उनकी राहदारी में बनाए गए अनोखे प्रयासों को सराहा।
अनोखी प्रेरणा
अशोक एलुस्वामी की कहानी एक बड़ी प्रेरणा है उन सभी के लिए जो तकनीक के क्षेत्र में कुछ बड़ा करना चाहते हैं। उनके सफलता का मार्ग हमें यह सिखाता है कि सही दिशा में मेहनत और कठिनाईओं के बावजूद सकारात्मक सोच आपको आसमान की बुलंदियों तक पहुँचा सकती है।
आधिकारिक रूप से सफल टेक्नोलॉजी के प्रमुख और प्रेरणादायक कॅरियर के साथ, अशोक आज हजारों युवाओं के लिए रोल मॉडल बन चुके हैं। उनके सीखने की भूख और लगातार बेहतर करने की जिज्ञासा से हमें भी प्रेरणा मिलती है कि हम अपने सपनों की ओर आगे बढ़ते रहें।
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17 टिप्पणि
अशोक को ट्वीट पर नौकरी मिल गई तो भारतीय इंजीनियर का नाम चमका लेकिन असली बात ये है कि इतने सारे भारतीय लोग टेस्ला में जा चुके हैं और कोई उनके नाम तक नहीं लेता
ये सब गलत बातें हैं एलोन मस्क के ट्वीट से कोई नहीं जुड़ता टेस्ला तो एक अमेरिकी कंपनी है जिसने भारतीयों को बस इसलिए रखा क्योंकि वो सस्ते हैं
क्या हम सच में इतने आश्चर्यचकित हैं कि एक भारतीय इंजीनियर एक वैश्विक टेक कंपनी में नेतृत्व कर सकता है? क्या हम अभी तक यह नहीं समझ पाए कि प्रतिभा कहीं भी हो सकती है... यहाँ तक कि चेन्नई के एक छोटे से कॉलेज से भी?
भाई ये तो जानवर है अशोक! एक ट्वीट ने उसकी जिंदगी बदल दी... मैंने भी एलोन मस्क को ट्वीट किया था लेकिन उसने मुझे रिप्लाई नहीं दिया... अब मैं अपने घर के बाहर बैठकर ट्वीट कर रहा हूँ!
यह उपलब्धि न केवल एक व्यक्ति की है, बल्कि भारतीय शिक्षा प्रणाली की भी है जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी शक्ति को साबित करती है। इस प्रकार के उदाहरण भारत के लिए गौरव का प्रतीक हैं।
हाँ बेवकूफों को तो लगता है कि एक ट्वीट से नौकरी मिल जाती है... अशोक के पास तो कार्नेगी मेलॉन की डिग्री है और वोल्क्सवैगन में अनुभव... ये सब तो बस एक ट्वीट के लिए नहीं है
मैंने भी एक बार टेस्ला के करियर पेज पर अप्लाई किया था... उत्तर नहीं आया... लेकिन अशोक की कहानी से मुझे लगता है कि अगर आपके पास सही स्किल्स हैं तो रास्ता खुद बन जाता है
इस तरह की कहानियाँ देखकर लगता है कि दुनिया बदल रही है... नहीं तो कोई चेन्नई का लड़का टेस्ला की एआई टीम का नेता कैसे बन जाएगा? अशोक का नाम अब भारत के युवाओं के लिए एक लाइटहाउस है
क्या ये सच है? एक ट्वीट से नौकरी? मुझे लगता है ये सब बहुत जल्दी बात है
अशोक को टेस्ला में डाला गया क्योंकि वो एक भारतीय है... अमेरिका भारत के लोगों को इसलिए रखता है क्योंकि वो आसानी से नियंत्रित हो जाते हैं... ये सब एक बड़ा षड्यंत्र है! 😈
अशोक की कहानी अच्छी है... लेकिन याद रखो कि बहुत सारे भारतीय इंजीनियर भी अच्छे हैं जिन्हें कोई नहीं जानता... उनका भी योगदान है
ये सब बकवास है... एलोन मस्क ने जो ट्वीट किया वो बस एक ट्रेंड बनाने के लिए था... अशोक को तो पहले से ही नौकरी मिल चुकी थी... ये सब बस प्रचार है
मैंने इस बारे में अपने डॉक्टरेट के थीसिस में लिखा था... एलोन मस्क के ट्वीट का असली अर्थ यह था कि वह एक नए अल्गोरिदम के लिए एक विशेषज्ञ की तलाश में थे... अशोक की प्रोफाइल उनके एल्गोरिदम द्वारा चयनित हुई थी, न कि यादृच्छिक रूप से...
भारत के नाम से इतना गर्व हो रहा है... लेकिन भारत में तो आज भी बिजली नहीं है... अशोक को अमेरिका में जाने दो... हम यहाँ अपने देश को बचाएं
बहुत बढ़िया! अशोक जी को बधाई! भारतीय युवाओं के लिए ये एक बहुत बड़ी प्रेरणा है। जब तक हम अपनी प्रतिभा को दुनिया के सामने लाएंगे, तब तक हमारा नाम दुनिया भर में चमकेगा!
अशोक एलुस्वामी की यात्रा एक व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं, बल्कि एक ऐसे सामाजिक और शैक्षिक वातावरण का परिणाम है जो उन्हें अपनी योग्यता को विकसित करने का अवसर दे सका। इस प्रकार, यह एक बहुआयामी सफलता है जिसमें परिवार, शिक्षक, और समाज का भी योगदान है।
अशोक को टेस्ला में डाला गया क्योंकि वो भारतीय था... और अमेरिका भारतीयों को इसलिए रखता है क्योंकि वो बिना बोले काम कर लेते हैं... और फिर उनका नाम नहीं लिया जाता... ये तो नया नहीं है