एलेक्जेंडर ज़्वेरेव पर लगे आरोप समाप्त: एक मील का पत्थर
वर्तमान समय में, विश्व के चौथे स्थान के टेनिस खिलाड़ी एलेक्जेंडर ज़्वेरेव और उनकी पूर्व साथी ब्रेंडा पाटिया के बीच जर्मन अदालत में एक समझौता हो जाने से लंबित अदालती मामला समाप्त हो गया है। यह मामला मई 2020 में पाटिया द्वारा ज़्वेरेव पर शारीरिक उत्पीड़न के आरोप लगाने के बाद शुरू हुआ था। आरोपों में कहा गया था कि ज़्वेरेव ने पाटिया को एक दीवार के खिलाफ धकेला और उसका गला दबाया। ज़्वेरेव ने इन आरोपों से हमेशा इनकार किया है।
समझौते के बाद के परिणाम
इस विवाद का अंत तब हुआ जब ज़्वेरेव और पाटिया के विधि प्रतिनिधियों के बीच बातचीत हुई और दोनों ने मामले को समाप्त करने की इच्छा जताई। उनकी इच्छा अपने बच्चे की साझा परवरिश पर ध्यान केंद्रित करने की थी। जर्मन अदालत ने इस समझौते का संज्ञान लिया और मामले को समाप्त करने का आदेश दिया।
ज़्वेरेव को 200,000 यूरो का जुर्माना भरना पड़ा, जिसमें से 150,000 यूरो राज्य के खजाने में जाएंगे और बाकी 50,000 यूरो विभिन्न धर्मार्थ संस्थाओं को दान किए जाएंगे। यह जुर्माना पहले 450,000 यूरो का था, जिसे ज़्वेरेव ने चुनौती दी थी।
न्यायालय की भूमिका और सुनवाई
इस मामले की सुनवाई प्रेसीडिंग जज बार्बरा लूदर्स द्वारा की गई थी, जिन्होंने समझौते के बाद केस को खारिज कर दिया। ज़्वेरेव अदालत की सुनवाई में शामिल नहीं हुए थे, जबकि पाटिया ने बंद दरवाजों के पीछे गवाह के रूप में गवाही दी।
अदालत का माहौल और मीडिया का ध्यान
इस मामले ने जर्मन और अंतर्राष्ट्रीय मीडिया का व्यापक ध्यान खींचा। अदालत के बाहर मौजूद मीडिया कर्मियों का जमावड़ा मामूली नहीं था। ये मामला केवल एक खेल विवाद नहीं था, बल्कि इसमें घरेलू हिंसा के गंभीर आरोप भी शामिल थे, जिसने लोगों का ध्यान आकर्षित किया।
पारिवारिक जीवन पर ध्यान
समझौते के बाद, दोनों पक्षों ने स्पष्ट किया कि वे अब अपने व्यक्तिगत और पारिवारिक जीवन पर ध्यान केंद्रित करना चाहते हैं। ज़्वेरेव और पाटिया ने अपने बच्चे की भलाई को प्राथमिकता देने का निर्णय लिया है।
भविष्य की योजना
आगे बढ़ते हुए, ज़्वेरेव का प्रयास होगा कि वह टेनिस में अपनी शक्तिशाली वापसी करें और इस विवाद के छाया से बाहर निकलें। ब्रेंडा पाटिया भी अपनी व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन में आगे बढ़ने की योजना बना रही हैं।
अंततः, यह मामला अब समाप्त हो चुका है और दोनों पक्ष अपने-अपने नए पन्नों की तरफ बढ़ रहे हैं।
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16 टिप्पणि
अच्छा हुआ कि ये मामला बंद हो गया। अब दोनों को अपने बच्चे के लिए शांति मिले।
ये तो बड़ी बात है! एक टॉप 4 खिलाड़ी का नाम इतने बड़े विवाद में फंस गया... लेकिन अब ज़्वेरेव को टेनिस पर ध्यान देना चाहिए, वरना दुनिया भूल जाएगी!
ये लोग हमेशा नाटक करते हैं! जर्मनी में ऐसे मामले में जुर्माना 5 लाख रुपये तो बहुत कम है, हमारे देश में तो इतने में तीन दिन की जेल हो जाती!
इतना बड़ा विवाद, और फिर भी बस 200K यूरो? ये जुर्माना तो एक लक्जरी वॉच की कीमत है। इस तरह के लोगों को सबक सिखाने के लिए जेल चाहिए, न कि धर्मार्थ को दान।
अदालत ने सही फैसला किया। आरोपों का निराकरण नहीं हुआ, लेकिन बच्चे की हित में समझौता करना उचित था। न्याय अक्सर अपूर्ण होता है, लेकिन शांति अधिक महत्वपूर्ण होती है।
ये सब तो बस एक नाटक है। लोग अपने नाम के लिए झूठ बोलते हैं, फिर दूसरे लोग उन पर बहस करते हैं। असली जिंदगी तो बच्चे के साथ है... बाकी सब धुएं हैं।
मुझे लगता है कि दोनों ने सही फैसला किया। अब बस आगे बढ़ना है। ज़्वेरेव के लिए टेनिस अभी भी ज़िंदगी है।
200k euro? lol joker money. he shouldve been banned for life. tennis is not a circus
इस तरह के मामलों में जब दोनों पक्ष समझौता कर लेते हैं, तो यह न्याय की जगह निर्णय की अनुपस्थिति है। अदालत ने बस एक शांति बनाने का रास्ता चुना।
क्या वास्तविकता यह है कि हम सभी अपने आप को बलात्कारी या बलात्कारिणी बनाने की कोशिश करते हैं? क्या हमारी समाज की आत्मा इतनी टूट चुकी है कि हम एक खिलाड़ी के जीवन को एक ट्रेजेडी में बदल देते हैं?
अरे भाई, ये तो बहुत अच्छा हुआ! अब ज़्वेरेव वापस टेनिस कोर्ट पर आएगा और दुनिया को दिखा देगा कि वो बस एक खिलाड़ी है, न कि कोई अपराधी। ब्रेंडा भी अपना जीवन जीएगी। बच्चा खुश रहेगा। जीत जीत गए सब!
यह मामला भारतीय संस्कृति में अत्यंत विचित्र लगता है। हमारे यहाँ ऐसे मामलों में परिवार और समाज दोनों की भूमिका होती है। यहाँ तो बस अदालत और धन की बात है।
200K? ये तो एक फैशन ब्रांड के लिए एक दिन का बजट है। ज़्वेरेव को तो अपने बच्चे के लिए एक निजी स्कूल बनवाना चाहिए, न कि धर्मार्थ को दान करना।
मुझे लगता है कि बच्चे की भलाई के लिए समझौता सबसे अच्छा फैसला था। अब दोनों को अपने जीवन को आगे बढ़ाना चाहिए। अगर ज़्वेरेव टेनिस में वापसी करते हैं, तो वो एक नई शुरुआत कर रहे हैं।
ये बात बहुत गहरी है। लोग बस एक आरोप के आधार पर किसी को बुरा कह देते हैं। लेकिन जब दोनों पक्ष शांति के लिए तैयार हो जाएँ, तो ये दर्शाता है कि इंसानियत अभी भी बाकी है। अब बस एक नए दौर की शुरुआत है।
अब बस खेल पर ध्यान दो। बाकी सब बस बातें हैं।