थैंक्सगिविंग डे का इतिहास
अमेरिका में थैंक्सगिविंग डे एक मुख्य त्यौहार है जिसे हर साल नवंबर के चौथे गुरुवार को मनाया जाता है। इस त्यौहार की शुरुआत 1621 में हुई जब तीर्थयात्रियों ने अपनी पहली सफल फसल की खेती के लिए पौधा उत्सव का आयोजन किया। इस उत्सव में वारांग नाग लोग भी शामिल हुए जिन्होंने तीर्थयात्रियों को नए परिवेश के साथ अनुकूलन में मदद की। यह पर्व मुख्यतः आभार और एकता का उत्सव है और इसके माध्यम से एक समृद्धिकाल की कामना की जाती है।
भूली गई कड़वी सच्चाई
थैंक्सगिविंग की पारंपरिक कथा अक्सर जटिल इतिहास के कई पहलुओं को नजरअंदाज कर देती है। तीर्थयात्रियों और स्थानीय जनजातियों के बीच संबंधों में कठिनाइयाँ, संघर्ष, बिमारियाँ और भूमि तथा जीवन की हानि शामिल थी। समय के साथ दोनों समूहों के बीच अलायंस टूट गया, जिससे मूल अमेरिकी समुदायों को बड़ी कठिनाइयाँ झेलनी पड़ीं।
आधिकारिक तौर पर, थैंक्सगिविंग 1863 में राष्ट्रीय अवकाश बना, जब राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन ने इसे उत्तरी और दक्षिणी राज्यों के साथ प्रेम और सहयोग बढ़ाने के लिए प्रतिपादित किया। इसने उस समय बहुत से जनजातियों के साथ हुए संघर्षों और की गई कार्यवाहियों के ध्यामार्थ किया गया जिसका एक पहलू डकोटा जनजाति के 38 सदस्यों का सामूहिक निष्पादन था।
आधुनिक उत्सव और धारणाएँ
थैंक्सगिविंग के अर्थ और प्रभाव समय के साथ विकसित होते गए हैं। यह दिन अब केवल धार्मिक और ऐतिहासिक परंपराओं का पालन नहीं करता बल्कि इसे खाद्य पदार्थों जैसे टर्की, आलू ग्रीवी, स्टफिंग और कद्दू पाई के रूप में साझा भोजनों के माध्यम से मर्यादित किया जाता है। इस दिन को परिवार और दोस्तों के साथ एकत्रित होकर, खुशी और आभार के साथ बिताने की मान्यता है।
हाल के वर्षों में, थैंक्सगिविंग को समाजसेवा और दान के पर्याय के रूप में देखा जा रहा है। कई लोग इस दिन स्थानीय खाद्य बैंकों और शेल्टर्स में सेवा करने के लिए आगे आते हैं। इस तरह की गतिविधियाँ इस त्यौहार के असली अर्थ को दर्शाती हैं, जो कि आशीर्वादों को प्राप्त करने के बजाय उन्हें अन्य लोगों के साथ साझा करने पर केंद्रित होती है।
संविधानिक परिवर्तनों की यात्रा
प्रारंभ में, थैंक्सगिविंग को अलग-अलग तारीखों पर मनाया जाता था। 1941 में कांग्रेस के एक प्रस्ताव के बाद, राष्ट्रपति फ्रैंकलिन डी. रूजवेल्ट ने इसे 1942 से नवंबर के चौथे गुरुवार को मनाने की स्थिरता सुनिश्चित की। इस परिवर्तन ने थैंक्सगिविंग को अमेरिकी कैलेंडर में एक निश्चित स्थान देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था।
अतीत की याद में राष्ट्रीय शोक दिवस
थैंक्सगिविंग के साथ ही, ऐतिहासिक अन्याय और जर्ज़ा जताने वाले इवेंट भी होते हैं जैसे कि 1970 में शुरू हुए 'राष्ट्रीय शोक दिवस' का आयोजन। यह दिन साम्राज्यवादी अतिचारों और पीड़ितों की याद में आयोजित किया जाता है, जहां लाखों मूल निवासियों को श्रद्धांजलि दी जाती है। यह वर्तमान में भी चल रहे क्रमवर्ग और दुरुपयोगों को उजागर करने के उद्देश्य से इस्तेमाल होता है।
यद्यपि थैंक्सगिविंग डे एक जटिल अवकाश है लेकिन इसके माध्यम से हम आभार, एकता, और समाज सेवा की उच्चतर भावना को महसूस कर सकते हैं। आज यह त्योहार सिर्फ परंपरागत नहीं बल्कि आधुनिक समाज के कई रूपों का प्रतीक हो गया है, जो हमें आत्मनिरीक्षण करने और अपने चारों ओर के लोगों के प्रति संवेदनशीलता पैदा करने के लिए प्रेरित करता है।
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20 टिप्पणि
ये तो सच में दिल को छू गया! मैंने कभी नहीं सोचा था कि थैंक्सगिविंग के पीछे इतनी कड़वी सच्चाई छिपी होगी। अब जब मैं टर्की खाता हूँ, तो सोचता हूँ कि ये खाना किसकी लूट से आया है।
ये सब गलत है भाई! हमारे देश में भी तो बहुत अच्छे त्योहार हैं, अमेरिका की बात क्यों कर रहे हो? इस तरह के लेखों से देशभक्ति खत्म हो रही है!
अरे भाई, ये लेख तो बिल्कुल गूगल से कॉपी-पेस्ट किया गया है। इतिहास के इतने गहरे पहलू तो मैंने ऑक्सफोर्ड के कोर्स में पढ़े थे। ये लोग तो सिर्फ वायरल होने के लिए ऐसे लेख लिखते हैं।
लेख में उल्लिखित ऐतिहासिक तथ्यों की वैधता को लेकर गंभीर आपत्ति है। 1621 के उत्सव के संदर्भ में 'वारांग नाग' जैसा शब्द भाषावैज्ञानिक दृष्टि से अशुद्ध है। इसके अलावा, लिंकन के संदर्भ में डकोटा निष्पादन का वर्णन अतिशयोक्ति पूर्ण है।
जिंदगी में आभार तो बहुत जरूरी है... पर अगर आभार के नाम पर दूसरों का खून पीया जाए, तो ये आभार नहीं, बल्कि गुनाह है। हम सब इस दुनिया में एक दूसरे के लिए क्या कर रहे हैं? सोचो।
अच्छा लेख है। बहुत ज्यादा ज्यादा नहीं, बस ठीक जैसा चाहिए। थैंक्सगिविंग के बारे में अब मैं अलग तरह से सोचूंगा।
लिंकन ने थैंक्सगिविंग को बनाया ताकि अमेरिका एक जगह हो जाए और लोग भूल जाएं कि उन्होंने लाखों लोगों को मार डाला था और फिर भी बार-बार उस दिन टर्की खाते हैं और फोटो डालते हैं इंस्टा पर
कुछ लोगों को लगता है कि इतिहास को बदलने से वो अपने अपराधों से बच जाएंगे। लेकिन असली आभार तो उन्हीं के लिए है जिन्हें इतिहास ने भूल दिया।
आभार... यह शब्द इतना गहरा है कि इसका अर्थ सिर्फ धन्यवाद नहीं है। यह एक अनुभूति है - जब आप जानते हैं कि आपकी जिंदगी का हर पल किसी और के दर्द पर बना हुआ है। इसलिए, थैंक्सगिविंग... यह एक शोक भी है।
अरे यार, ये सब बहुत बड़ी बात है लेकिन अगर आज मैं अपने दोस्त के साथ ब्रेड के साथ चिकन खाऊं और उसके लिए धन्यवाद कहूं, तो क्या ये गलत है? जिंदगी बहुत छोटी है, बहुत ज्यादा सोचो मत!
यह लेख एक अत्यंत संवेदनशील और गहन ऐतिहासिक जागरूकता का प्रतिनिधित्व करता है। इस तरह के साहित्य के माध्यम से ही विश्व के अलग-अलग संस्कृतियों के बीच सांस्कृतिक समझ बनती है। इसके लिए आपको शुभकामनाएँ।
बस ये सब बहुत फैंटेसी है। अमेरिका के बारे में इतना लिखने की क्या जरूरत? हमारे देश में तो हर दिन कोई न कोई नया त्योहार है, और हम उसके बारे में क्यों नहीं लिखते? इतना ज्यादा अमेरिका देखो मत!
मैंने एक बार न्यूयॉर्क में थैंक्सगिविंग बिताया था... एक बूढ़ी औरत ने मुझे खाना दिया और कहा, 'ये मेरे बेटे के नाम पर है।' मैं रो पड़ा। आभार का मतलब बहुत कुछ हो सकता है।
मुझे लगता है ये लेख बहुत संतुलित है। न तो बहुत नकारात्मक, न बहुत रोमांटिक। बस इतिहास को उसी तरह दिखाया गया है जैसा वो है - उजाला और छाया दोनों के साथ।
मैंने ये लेख पढ़ा और सोचा... शायद इस दिन को बस खाना खाने के लिए नहीं, बल्कि सोचने के लिए बनाया गया है।
क्या आपने कभी सोचा है कि ये सब एक बड़ी साजिश है? जब तक लोग टर्की खा रहे होंगे, तब तक वो नहीं सोचेंगे कि उनके घरों की दीवारें किसके खून से बनी हैं। ये तो बस एक बड़ा ड्रग है - आभार का ड्रग।
मैं एक गांव से हूँ। हमारे यहां भी हर साल फसल लगाने के बाद लोग एक साथ खाना खाते हैं। अगर आभार का मतलब यही है, तो ये तो हम सब करते हैं। अमेरिका की बात क्यों?
इतिहास को बदलने की कोशिश मत करो। अगर आपको लगता है कि थैंक्सगिविंग गलत है, तो फिर इसे बर्बाद कर दो। लेकिन अगर आपको लगता है कि ये अच्छा है, तो इसे खुशी से मनाओ। जीवन इतना छोटा है कि आपको इसे लेकर इतना ज्यादा बहस करने की जरूरत नहीं।
थैंक्सगिविंग... यह एक ऐसा त्योहार है, जिसके पीछे एक बहुत बड़ा, अत्यधिक जटिल, और अत्यंत दर्दनाक इतिहास छिपा हुआ है - जिसे आज के समय में एक बहुत ही तार्किक, सामाजिक, और नैतिक रूप से समझना आवश्यक है।
मैंने अभी अपने बच्चे को बताया कि ये टर्की कहाँ से आती है... उसने बस एक बार गोली मारी जैसा नज़र डाला और कहा - 'मम्मी, तो फिर हम इसे खाएंगे?' मैं चुप रह गया।