रूस और अमेरिका के बीच बढ़ती तल्खी
रूस और अमेरिका के बीच पुराने तनाव अब फिर से सतह पर आ रहे हैं, और इस बार इन दोनों देशों के बीच की लड़ाई का मैदान क्यूबा बन गया है। रूस ने अपने शस्त्रागार को ताकतवर बनाते हुए क्यूबा में युद्धपोतों को तैनात किया है। इनमें से विशेष रूप से ध्यान देने वाली है एडमिरल गोर्शकोव गाइडेड-मिसाइल फ्रिगेट और K-561 कज़ान परमाणु पनडुब्बी। इन युद्धपोतों की तैनाती ने पारा चढ़ाया और वैश्विक मंच पर एक नया मोर्चा खोल दिया।
समुद्री ताकत का प्रदर्शन
एडमिरल गोर्शकोव में लगी कालीबर क्रूज मिसाइलें, जिरकोन हाइपरसोनिक मिसाइलें और ओनिक्स एंटी-शिप मिसाइलें इसे और भी खतरनाक बनाती हैं। यह युद्धपोतें किसी भी समय दुश्मनों की किले में घुसने की क्षमता रखती हैं। क्यूबा में इन्हें तैनात करके, रूस ने स्पष्ट संदेश दिया है कि वह अमेरिका के किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए तैयार है।
परमाणु पनडुब्बी K-561 कज़ान
K-561 कज़ान, एक परमाणु-सक्षम पनडुब्बी, जो अब तक क्यूबा में कभी नहीं देखी गई थी, इस बार भी आकर्षण का केंद्र बन गई है। यह पनडुब्बी न सिर्फ समुद्र की गहराइयों में अदृश्य रह सकती है बल्कि किसी भी वक्त घातक हमले किए जा सकती है। रूस की यह चाल साफ दर्शाती है कि उसकी धैर्य अब समाप्त हो रहा है और वह किसी भी हद तक जाने को तैयार है।
क्यूबा का रणनीतिक महत्व
क्यूबा, जो फ्लोरिडा से मात्र 160 किलोमीटर दूर है, हमेशा से ही अमेरिका और रूस के बीच की रणनीतिक खींचातानी का केंद्र रहा है। 1962 के क्यूबन मिसाइल संकट की यादें अब फिर से ताजा हो गई हैं, जब सोवियत संघ ने क्यूबा में परमाणु मिसाइलें तैनात करके दुनिया को विनाश के कगार पर पहुंचा दिया था। हांलाकि, इस बार का खेल थोड़ा अलग है, लेकिन अधूरी कहानियों का पूरा होना भी मुमकिन है।
स्थानीय निवासियों का क्या हाल?
क्यूबा के स्थानीय निवासियों द्वारा रात के अंधेरे में दिखाई देने वाले इन विशाल आर्मड जहाजों को देखकर विभिन्न प्रतिक्रियाएं आना स्वाभाविक है। नोहेल क्लावेल और मारिया इसाबेल क्वेसाडा जैसे निवासियों ने अपनी हैरानी व्यक्त की, और यह जानकर चौंक गए कि ऐसे महत्वपूर्ण युद्धपोत उनके घरों के पास तैनात हैं। वहीं एक अमेरिकी पर्यटक, राफेल ए. मार्टिनेज, ने चिंता व्यक्त की कि यह सैन्य हरकतें भविष्य में क्या रूप लेंगी और उनके परिणाम क्या होंगे।
अमेरिका का क्या रुख है?
अमेरिका, हालांकि इस घटना के महत्व को कम करने की कोशिश कर रहा है, दावा करता है कि इस प्रकार की तैनातियाँ रूस द्वारा क्यूबा में पहले भी की जा चुकी हैं। लेकिन क्यूबा में एक परमाणु-सक्षम पनडुब्बी की तैनाती, पहली बार देखी जा रही है और यह एक महत्वपूर्ण विकास है।
क्या कहता है इतिहास?
1962 का क्यूबन मिसाइल संकट, जब सोवियत संघ और अमेरिका के बीच तनाव ने दुनिया को न्यूक्लियर वॉर की कगार पर ला दिया था, इतिहास का एक काला अध्याय था। हालांकि रूस और अमेरिका के बीच के ताजे हालात वैसा परिणाम नहीं लाएंगे, परंतु यह निश्चित है कि इस बार भी दोनों बड़ी शक्तियों के बीच तनाव और बढ़ेंगे।
रूस का सन्देश
रूस का यह कदम विश्व मंच पर एक स्पष्ट संदेश है कि वह अमेरिका के किसी भी प्रोक्सिमल कार्यवाही का उत्तर देने के लिए तैयार है। पुतिन ने आखिरकार यह दिखा दिया है कि रूस न केवल आक्रामकता दिखा सकता है बल्कि उसे किसी भी मोर्चे पर चुनौती देने के लिए पूरी तरह तैयार है। यह स्थिति अब और भी खराब हो सकती है, खासकर जब अमेरिका और रूस एक-दूसरे के खिलाफ इतने बड़े कदम उठा रहे हैं।
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